अयोध्या में इस बार दीपोत्सव की रौनक और भी बढ़ने वाली है, क्योंकि चुनार की मिट्टी से बने 15 लाख दीये राम नगरी की गलियों और घाटों को रोशन करेंगे। यह आयोजन न केवल दीपावली की खुशियों को बढ़ाएगा, बल्कि स्वदेशी कारीगरी और महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक बनेगा।
चुनार के समसपुर गांव स्थित पाटरी टेराकोटा क्लस्टर दिया घर में इन दिनों दीपावली की हलचल अपने चरम पर है। यहां की 38 महिला शिल्पकार पारंपरिक चाक और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके मिट्टी के आकर्षक दीये बना रही हैं। इन दीयों में चुनार की मिट्टी कला और महिला शक्ति का श्रम शामिल है।
नवचेतना एफपीओ और गाइडिंग सोल्स ट्रस्ट के मार्गदर्शन में यहां पारंपरिक मिट्टी के दीपकों के साथ-साथ रंग-बिरंगे सजावटी दीयों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। पिछले वर्ष यहां से साढ़े आठ लाख दीये अयोध्या भेजे गए थे, जबकि इस बार संख्या करीब दोगुनी है। अभी तक करीब 10 लाख दीयों की खेप चुनार से अवधपुरी पहुंच भी चुकी है।
दीपोत्सव 2025: नया विश्व रिकॉर्ड
इस वर्ष अयोध्या में दीपोत्सव के दौरान 28 लाख दीयों से सरयू तट को सजाने का लक्ष्य है, जिससे एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित होगा। इस आयोजन में पहली बार लक्ष्मण किला घाट को भी शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं दीप प्रज्ज्वलित कर इस भव्य कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे और ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय बन जाएगा।
इस दीपोत्सव में राम की पैड़ी सहित अन्य घाटों पर 26 लाख से अधिक दीप जलाए जाएंगे, जिससे अयोध्या की आस्था और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा, राम मंदिर ट्रस्ट दर्शनार्थियों और कर्मचारियों को प्रसाद भी वितरित करेगा।
अयोध्या का दीपोत्सव केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और स्वदेशी कौशल का प्रतीक बन चुका है। यह आयोजन अयोध्या को "विश्व सांस्कृतिक राजधानी" के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस दीपोत्सव में शामिल होकर आप भी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकते हैं और स्वदेशी कारीगरी की सराहना कर सकते हैं।