अगर आप बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) की पढ़ाई करना चाहते हैं और आर्थिक सहायता की जरूरत है, तो आपको शिक्षा ऋण (एजुकेशन लोन) मिल सकता है।
Loan for BDS: भारत में चिकित्सा क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें डेंटल साइंस यानी दंत चिकित्सा भी एक प्रमुख विकल्प बन कर उभरा है। BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) कोर्स करने की चाहत रखने वाले कई छात्र आर्थिक कारणों से अपने सपने पूरे नहीं कर पाते। लेकिन अब एजुकेशन लोन इस समस्या का एक प्रभावी समाधान बन चुका है। इस लेख में हम जानेंगे कि BDS कोर्स के लिए छात्रों को कितना एजुकेशन लोन मिल सकता है, कौन-कौन से बैंक यह सुविधा देते हैं और प्रक्रिया क्या है।
BDS कोर्स: खर्च और संभावनाएं
BDS कोर्स एक 4 साल की पढ़ाई और 1 साल की इंटर्नशिप वाला पेशेवर मेडिकल डिग्री प्रोग्राम है। भारत के सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में यह कोर्स कराया जाता है। सरकारी कॉलेजों में जहां फीस काफी कम होती है, वहीं निजी संस्थानों में यह सालाना 1.5 लाख से लेकर 6 लाख रुपये तक हो सकती है। यदि हॉस्टल, किताबें, लैब फीस, यूनिफॉर्म और अन्य खर्च जोड़ दिए जाएं तो एक छात्र को BDS कोर्स पूरा करने में कुल 6 से 25 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है।
एजुकेशन लोन से कैसे मिलेगी मदद
बैंक BDS कोर्स के लिए एजुकेशन लोन की पूरी रकम उपलब्ध कराने के लिए तैयार रहते हैं, खासतौर पर यदि संस्थान मान्यता प्राप्त हो। अधिकतर बैंक भारत में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपये और विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन देते हैं। कुछ बैंक जरूरत के अनुसार इससे अधिक भी लोन प्रदान करते हैं, लेकिन इसके लिए गारंटी देना आवश्यक हो सकता है।
किन बैंकों से मिल सकता है लोन
भारत में लगभग सभी प्रमुख सरकारी और निजी बैंक, साथ ही कई गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFCs) BDS समेत मेडिकल कोर्सेज के लिए एजुकेशन लोन प्रदान करते हैं। प्रमुख बैंक और संस्थान निम्नलिखित हैं
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- पंजाब नेशनल बैंक
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- HDFC बैंक
- ICICI बैंक
- Axis बैंक
- Avanse, InCred, Credila जैसी NBFCs
क्या-क्या खर्च होगा कवर
एजुकेशन लोन केवल ट्यूशन फीस तक सीमित नहीं रहता। इसके अंतर्गत निम्नलिखित खर्चों को भी शामिल किया जाता है
- ट्यूशन फीस
- हॉस्टल फीस
- परीक्षा शुल्क
- प्रयोगशाला शुल्क
- किताबें और स्टेशनरी
- लैपटॉप (कुछ मामलों में)
- ट्रैवल खर्च (विदेशी पढ़ाई के लिए)
- यूनिफॉर्म, डेंटल टूल्स इत्यादि
जरूरी दस्तावेजों की सूची
लोन के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है
- प्रवेश पत्र (कॉलेज से एडमिशन कन्फर्मेशन लेटर)
- पिछली परीक्षा की मार्कशीट
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो
- संस्थान द्वारा जारी फीस स्ट्रक्चर
- गारंटर का आय प्रमाण पत्र (ITR, सैलरी स्लिप)
- बैंक स्टेटमेंट
ब्याज दर और चुकाने की शर्तें
सरकारी बैंकों में एजुकेशन लोन की ब्याज दर लगभग 8% से 10% के बीच होती है, जबकि निजी बैंकों और NBFC में यह दर थोड़ा अधिक हो सकती है, जो लगभग 10% से 13% तक पहुंच सकती है। यह छात्र और को-संयुक्त गारंटर की क्रेडिट प्रोफाइल पर निर्भर करता है।
लोन की चुकौती (EMI) कोर्स समाप्त होने के बाद शुरू होती है। अधिकतर बैंक कोर्स समाप्त होने के बाद 6 महीने से लेकर 1 साल तक का 'मॉरेटोरियम पीरियड' देते हैं। इस दौरान छात्र को लोन की EMI नहीं चुकानी होती। EMI भुगतान की अवधि 5 साल से लेकर 15 साल तक हो सकती है।
कोलैटरल की आवश्यकता कब होती है
यदि लोन की रकम 7.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अधिकतर बैंक गारंटी के रूप में संपत्ति, FD, बीमा पॉलिसी या अन्य वित्तीय साधनों की मांग करते हैं। यदि लोन 7.5 लाख से कम है, तो बिना कोलैटरल के भी लोन मिल सकता है, बशर्ते कि गारंटर के पास स्थिर आय हो।
विद्यार्थियों के लिए सरकारी सहायता
भारत सरकार छात्रों को एजुकेशन लोन में सहायता देने के लिए 'विद्या लक्ष्मी पोर्टल' चला रही है। इस पोर्टल के माध्यम से छात्र एक ही मंच पर विभिन्न बैंकों की एजुकेशन लोन योजनाओं को देख सकते हैं और एक ही फॉर्म से कई बैंकों में आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें गरीब या पिछड़े वर्ग के छात्रों को ब्याज में छूट देती हैं। जैसे कि:
- SC/ST/OBC छात्रों के लिए विशेष ब्याज सब्सिडी योजना
- उत्तर भारत के राज्यों में छात्राओं को प्राथमिकता
लोन लेने से पहले ध्यान देने योग्य बातें
- संस्था UGC, AICTE, DCI या अन्य संबंधित संस्थाओं से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए
- गारंटर की क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी हो
- लोन लेते समय इन्श्योरेंस कवर (Loan Protection Plan) पर भी विचार करें
- EMI की प्लानिंग पहले से करें ताकि भविष्य में भुगतान में दिक्कत न हो