भारत ने अपने पहले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA के विकास को मंजूरी दे दी है। 15,000 करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट 2035 तक पूरा होगा। AMCA में स्टेल्थ तकनीक, ट्विन इंजन और सुपरमैन्युवरेबल क्षमता होगी, जिससे भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बनेगा जिसके पास 5th जनरेशन फाइटर जेट होगा।
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 अगस्त 2025 को भारत के पहले स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। इस प्रोजेक्ट पर 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होगा और इसे बेंगलुरु की एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर तैयार करेगी। AMCA 2035 तक वायुसेना और नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसमें स्टेल्थ तकनीक, सुपरमैन्युवरेबल डिजाइन और मल्टीरोल क्षमता होगी, जो भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
कैसी होगी AMCA की क्षमता
AMCA एक सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन लड़ाकू विमान होगा। इसमें स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे इसे रडार पर पकड़ पाना बेहद मुश्किल होगा। विमान के अंदर हथियार रखने के लिए इंटरनल वेपन बे होंगे, जिससे इसकी स्टेल्थ क्षमता और बढ़ेगी। यह विमान 55,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेगा। इसमें आंतरिक हिस्से में 1,500 किलो हथियार ले जाने की क्षमता होगी, जबकि बाहरी हिस्सों में 5,500 किलो तक हथियार और 6,500 किलो अतिरिक्त ईंधन ले जाया जा सकेगा।
दो इंजन वर्जन होंगे
रिपोर्ट्स के मुताबिक, AMCA के दो वर्जन तैयार किए जाएंगे। शुरुआती वर्जन में अमेरिकी GE F414 इंजन लगाया जाएगा। जबकि आगे आने वाले वर्जन में भारत का खुद का विकसित इंजन इस्तेमाल किया जाएगा, जो इससे भी ज्यादा ताकतवर होगा। इंजन का यह स्वदेशीकरण भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
AMCA को सुपरमैन्युवरेबल और मल्टीरोल दोनों श्रेणियों में डिजाइन किया जा रहा है। सुपरमैन्युवरेबल का मतलब है कि यह विमान बेहद जटिल और तेज गति वाले हवाई करतब कर सकेगा, जो दुश्मन के विमानों को चकमा देने में मदद करेगा। वहीं मल्टीरोल का मतलब है कि यह सिर्फ हवा से हवा में लड़ाई ही नहीं, बल्कि ग्राउंड स्ट्राइक, दुश्मन की एयर डिफेंस को खत्म करना और लंबी दूरी के मिशन जैसे कई कामों को अंजाम दे सकेगा।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खासियत
पांचवीं पीढ़ी के विमानों की पहचान उनकी हाई-टेक तकनीक से होती है। इनमें एडवांस बैटलफील्ड सॉफ्टवेयर होते हैं, जो पायलट को युद्ध के दौरान रियल-टाइम जानकारी देते हैं। इनके रडार सिस्टम इस तरह डिजाइन होते हैं कि इन्हें ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है। साथ ही यह विमान नेटवर्किंग सिस्टम के जरिए बाकी यूनिट्स से जुड़े रहते हैं और कंट्रोल, कमांड और कम्युनिकेशन यानी C3 क्षमता को और मजबूत बनाते हैं।
भारत का AMCA और दुनिया के अन्य लड़ाकू विमान
आज की तारीख में केवल तीन देशों के पास पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं। अमेरिका के पास F-22 और F-35, रूस के पास Su-57 और चीन के पास J-20 है। अमेरिका का F-35 दुनिया का सबसे महंगा और आधुनिक विमान माना जाता है। वहीं रूस का Su-57 भी स्टेल्थ कैटेगरी में आता है। अब भारत का AMCA इनसे टक्कर देने वाला चौथा विमान होगा।
चीन की छठी पीढ़ी की तैयारी
इधर चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान की दिशा में भी तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन J-36 और J-50 नाम के दो प्रोटोटाइप पर काम कर रहा है। वहीं अमेरिका भी F-47 नाम के नए एयर सुपीरियरिटी फाइटर की तैयारी में है। ऐसे में भारत का AMCA प्रोजेक्ट एशिया में शक्ति संतुलन का अहम हिस्सा साबित हो सकता है।
भारत की रक्षा तैयारियों में नई छलांग
पिछले कुछ सालों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में तेजी से आधुनिकीकरण किया है। वायुसेना को पहले ही 36 Rafale-C विमान मिल चुके हैं और हाल ही में 26 Rafale-M विमानों का सौदा किया गया है, जो नौसेना के लिए होंगे। इसके अलावा भारत ने अपना स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाई हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों के परीक्षण भी सफल रहे हैं। अब AMCA प्रोजेक्ट इस कड़ी को और मजबूत करेगा।