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भारत के लिए खुला चावल निर्यात का नया रास्ता! जानिए क्या है पूरी रणनीति

भारत के लिए खुला चावल निर्यात का नया रास्ता! जानिए क्या है पूरी रणनीति

बांग्लादेश सरकार के एक अहम फैसले ने भारतीय चावल बाजार में नई हलचल पैदा कर दी है। बांग्लादेश ने इस साल कुल 14 लाख टन चावल और बोरो धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है। इनमें से अब तक 9.50 लाख टन चावल और 3.76 लाख टन बोरो धान की खरीद पहले ही हो चुकी है। अब बांग्लादेश 9 लाख टन चावल का आयात करने जा रहा है, जिससे भारत के चावल व्यापारियों और मिलर्स के लिए नए अवसर खुलते नजर आ रहे हैं।

भारत को मिलेगा निर्यात का बड़ा मौका

भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और वैश्विक सप्लाई में इसका हिस्सा लगभग 46 प्रतिशत है। ऐसे में बांग्लादेश द्वारा तय किया गया यह आयात लक्ष्य भारतीय व्यापारियों के लिए बड़ा मौका बनकर आया है। नजदीकी स्थान, अच्छी क्वालिटी, भरपूर स्टॉक और कम लागत के चलते भारत को बांग्लादेश की ओर से बड़े ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।

चावल के दामों में तेजी की आशंका

बांग्लादेश की इस मांग के चलते भारत में खासतौर पर लो-टू-मिड रेंज चावल की कीमतों में उछाल आने की संभावना जताई जा रही है। 'स्वर्णा मंसूरी' परबॉयल्ड चावल जो अभी ₹29 प्रति किलो (एक्स-मिल) के आसपास बिक रहा है, उसकी कीमत ₹31 से ₹32 तक जा सकती है। इसी तरह ‘मिनिकट’ किस्म की कीमत ₹41 से बढ़कर ₹45 प्रति किलो तक पहुंचने का अनुमान है। व्यापारी और एक्सपोर्टर्स इन बदलावों को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं।

बंगाल के मिलर्स को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

जय बाबा बक्रेश्वर राइस मिल के निदेशक राहुल अग्रवाल का मानना है कि इस पूरे आयात प्रोजेक्ट में बंगाल की मिलें सबसे अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि निजी तौर पर होने वाले आयात का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा बंगाल से ही आ सकता है। साथ ही बंगाल की कई मिलें बांग्लादेश सरकार की इंटरनेशनल निविदाओं में भी हिस्सा लेने जा रही हैं।

किन राज्यों को होगा अतिरिक्त लाभ

बंगाल के अलावा झारखंड, ओडिशा, बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों की मिलें और व्यापारी भी इस निर्यात से मुनाफा कमा सकते हैं। इन राज्यों में पहले से चावल की भारी पैदावार होती है और वहां की मिलें बांग्लादेश के ऑर्डर को पूरा करने में सक्षम हैं।

तेज बारिश से डरी बांग्लादेश सरकार, पहले कर रही है तैयारी

Ricevilla Foods के CEO सूरज अग्रवाल के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने इस बार सामान्य से पहले ही आयात की योजना बनाई है। कारण यह है कि इस बार भारी बारिश की वजह से ‘अमन’ धान की फसल को नुकसान पहुंचने का खतरा मंडरा रहा है। यही वजह है कि सरकार अभी से अतिरिक्त चावल आयात करने में जुटी है।

गरीब परिवारों के लिए चावल वितरण की योजना

इस खरीद अभियान का मकसद सिर्फ भंडारण नहीं बल्कि वितरण भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार अगस्त से मार्च तक करीब 55 लाख गरीब परिवारों को हर महीने 30 किलो चावल उपलब्ध कराएगी, वह भी सिर्फ Tk 15 प्रति किलो की रियायती दर पर। इसके लिए पर्याप्त भंडार तैयार करना सरकार की प्राथमिकता बन गई है।

किसानों को मिलेगा बेहतर दाम

निर्यात मांग बढ़ने का एक सकारात्मक असर यह भी है कि किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मिल सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां धान की कटाई चल रही है या हाल ही में हुई है, वहां मंडियों में चावल की कीमतें ऊपर जा सकती हैं। इससे छोटे और मझोले किसानों को राहत मिल सकती है।

व्यापारी और निर्यातक तैयारी में जुटे

बांग्लादेश की मांग के ऐलान के बाद से ही भारत के कई मिलर्स और निर्यातक तेजी से सप्लाई चेन तैयार कर रहे हैं। निजी व्यापारियों के जरिए आने वाले ऑर्डर को पूरा करने के लिए बुकिंग, प्रोसेसिंग और लोजिस्टिक्स की तैयारी तेज कर दी गई है। कुछ जगहों पर तो पहले से ही कीमतों में बदलाव दिखने लगा है।

सरकारी निविदाओं पर नजर लगाए बैठी इंडस्ट्री

जैसे ही बांग्लादेश की ओर से इंटरनेशनल टेंडर जारी होंगे, भारत की दर्जनों कंपनियां इसमें भाग लेंगी। बंगाल, ओडिशा और आंध्र की बड़ी राइस मिलें पहले से ही दस्तावेज और बिडिंग की तैयारी में जुट गई हैं। इन टेंडर्स के ज़रिए चावल भेजने पर मुनाफा ज्यादा मिलता है, इसलिए सभी की नजरें इस पर टिकी हैं।

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