ढाणी लक्ष्मण निवासी प्ले स्कूल की शिक्षिका मनीषा की मौत के मामले ने बड़ा तूल पकड़ लिया है। इस संवेदनशील मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया है।
भिवानी: हरियाणा के भिवानी जिले की 18 वर्षीय शिक्षिका मनीषा की रहस्यमयी मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। आठ दिन तक चले गतिरोध के बाद आखिरकार गुरुवार को मनीषा का अंतिम संस्कार किया गया। उनके छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीण और परिजन मौजूद रहे और “मनीषा अमर रहे” के नारे गूंजे। राज्य सरकार ने मृतका के परिवार और ग्रामीणों की मांग मानते हुए इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का फैसला किया है।
तीसरी बार हुआ मनीषा का पोस्टमार्टम
मनीषा का शव पहली बार 13 अगस्त को बरामद होने के बाद भिवानी और रोहतक पीजीआई में दो बार पोस्टमार्टम किया गया था। दोनों रिपोर्ट में यह सामने आया कि मौत जहर से हुई और दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। लेकिन परिवार और ग्रामीण इन रिपोर्टों से असंतुष्ट रहे। उनकी मांग पर बुधवार को दिल्ली एम्स (AIIMS) में तीसरी बार पोस्टमार्टम हुआ। शाम करीब साढ़े पांच बजे शव परिजनों को सौंपा गया। इसके बाद शव को सीधे भिवानी लाया गया और गुरुवार सुबह श्मशान घाट में अंतिम संस्कार हुआ।
परिवार और ग्रामीणों ने सीबीआई जांच और एम्स में पोस्टमार्टम के बिना अंतिम संस्कार करने से साफ इनकार कर दिया था। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि गांव ढाणी लक्ष्मण के सभी रास्तों को ग्रामीणों ने पेड़ काटकर बंद कर दिया। बुधवार सुबह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर घोषणा की कि मामले की जांच CBI को सौंपी जाएगी। इसके बाद पंचायत और ग्रामीणों ने सहमति जताई और धरना खत्म करने का ऐलान किया।
आठ दिन तक खिंचा विवाद
- 11 अगस्त को मनीषा स्कूल गई थीं लेकिन घर नहीं लौटीं।
- 13 अगस्त को खेतों में उनका शव मिला।
- परिवार ने दुष्कर्म और हत्या के आरोप लगाए।
- पुलिस ने शुरुआती जांच में जहर खाने से मौत की पुष्टि की।
- विरोध में ग्रामीणों ने शव लेने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया।
- तीन बार पोस्टमार्टम, धरना-प्रदर्शन और सरकार पर दबाव के बाद CBI जांच तय हुई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया बुधवार को परिवार से मिलने भिवानी पहुंचीं। लेकिन ग्रामीणों द्वारा रास्ते बंद करने के कारण वह ढाणी लक्ष्मण गांव नहीं जा सकीं। उन्हें पास के ढिगावा मंडी के रेस्ट हाउस में रुककर पंचायत सदस्यों से वार्ता करनी पड़ी। रेणु भाटिया ने कहा कि वह लगातार परिवार से फोन पर संपर्क में हैं और न्याय की लड़ाई में उनके साथ हैं।