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Bihapur Assembly Election 2025: बिहपुर में कमल बनाम नौका का कड़ा मुकाबला, जनता किसे देगी वोट?

Bihapur Assembly Election 2025: बिहपुर में कमल बनाम नौका का कड़ा मुकाबला, जनता किसे देगी वोट?

बिहपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत इस बार फिर करवट ले रही है और 2025 के चुनाव में मुकाबला और भी रोचक बन गया है। भाजपा की ओर से मौजूदा विधायक इंजीनियर कुमार शैलेंद्र मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन ने अपने दांव के तौर पर वीआईपी की अर्पणा कुमारी को उम्मीदवार बनाया है।

बिहार: बिहपुर विधानसभा सीट की सियासत इस बार नई दिशा में मोड़ ले रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा (कमल) और वीआईपी (नौका) के बीच देखने को मिल रहा है। हर राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुटा है और मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है। इस बार यह मुकाबला इसलिए भी रोचक है क्योंकि दो प्रमुख गठबंधन आमने-सामने हैं।

प्रमुख प्रत्याशी और उनके समीकरण

भाजपा की ओर से इंजीनियर कुमार शैलेंद्र मैदान में हैं। वे मौजूदा विधायक हैं और संगठन की मजबूती, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन तथा एनडीए की एकजुटता का फायदा उन्हें मिलने की उम्मीद है। महागठबंधन की ओर से वीआईपी ने अर्पणा कुमारी को उम्मीदवार बनाया है। अर्पणा गंगोता समाज से आती हैं और महिलाओं में उनकी पकड़ मजबूत मानी जा रही है। उन्हें भागलपुर के सांसद अजय मंडल का समर्थन भी मिलने की चर्चा है।

भाजपा के शैलेंद्र भूमिहार समुदाय से हैं, जबकि वीआईपी की अर्पणा कुमारी गंगोता समाज से। बिहपुर की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। यहां भूमिहार, गंगोता, यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। जदयू में शामिल हुए शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल के कारण एनडीए को गंगोता वोटों में सेंध लगाने की संभावना बन रही है। 

वहीं वीआईपी का भरोसा एम-वाई (मुस्लिम-यादव) और मल्लाह वोटरों पर है। इसके अलावा, जन सुराज पार्टी के पवन चौधरी स्थानीय मुद्दों पर जोर दे रहे हैं और निर्दलीय अवनीश कुमार भूमिहार मतदाताओं में सक्रिय हैं।

पिछले चुनावों का इतिहास

2020 के विधानसभा चुनाव में बिहपुर का समीकरण बदल गया था। भाजपा के शैलेंद्र ने राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को 6129 मतों के अंतर से हराया था। उस चुनाव में शैलेंद्र को 48.53 प्रतिशत, शैलेश कुमार को 44.45 प्रतिशत, बसपा के एमडी हैदर अली को 2.36 प्रतिशत और निर्दलीय को 0.91 प्रतिशत मत मिले थे। नोटा का प्रतिशत 1.81 था।

बिहपुर का राजनीतिक इतिहास हमेशा दिलचस्प रहा है। 2000 में राजद के शैलेश कुमार विजयी हुए थे, 2005 के दोनों चुनावों में बुलो मंडल ने राजद के टिकट पर जीत दर्ज की। 2010 में भाजपा के शैलेंद्र ने पहली बार जीत हासिल की, जबकि 2015 में राजद की वर्षा रानी ने उन्हें मात दी। 2020 में शैलेंद्र ने दोबारा वापसी की। 2025 का चुनाव आते-आते सबसे बड़ा बदलाव यह है कि राजद की पारंपरिक लालटेन सीट अब वीआईपी के पास चली गई।

अब लालटेन नहीं, तो रोशनी कौन जलाएगा?

चुनावी माहौल में स्थानीय लोगों में यही चर्चा है। बुजुर्ग शिवलाल मंडल कहते हैं, "पहले हर चुनाव में लालटेन जलती थी, अब बुझ गई।" वहीं राजेश मिश्र कहते हैं, "शैलेंद्र जी ने सड़क और पुलिया बनवाई है, जनता उन्हें फिर मौका दे सकती है। शिक्षिका सुनीता देवी के अनुसार, "महिलाओं में अर्पणा कुमारी का नाम खूब चल रहा है। वे घर-घर जाकर मुद्दों पर बात कर रही हैं।

इस बार बिहपुर में जातीय समीकरण के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे भी चुनावी चर्चा में हैं। झंडापुर के सुबोध यादव कहते हैं, "लालटेन तो बिहपुर की पहचान थी, अब जब नहीं है, चुनाव कुछ बदला-बदला सा लग रहा है।" वहीं कॉलेज छात्रा नेहा गुप्ता कहती हैं, "अब युवा वर्ग जात-पात नहीं, काम देखता है। लोग विकास और रोजगार पर वोट देंगे, चिन्ह देखकर नहीं।

 

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