बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और राजधानी पटना की पटना साहिब विधानसभा सीट एक बार फिर राजनीतिक चर्चा में है। यह सीट एनडीए और खासकर भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती है।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं और इस बीच पटना साहिब विधानसभा सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। यह सीट राज्य की राजधानी पटना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है, जहां शहरीकरण, ऐतिहासिक महत्व और जातिगत समीकरण राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित करते हैं।
पटना साहिब, जो पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, पूरी तरह से शहरी इलाका है और यहां के मतदाता शहरी मुद्दों, विकास, नागरिक सुविधाओं और रोजगार से जुड़े फैसलों पर ध्यान देते हैं।
पटना साहिब – शहरी मध्यम वर्ग और व्यापारियों का केंद्र
पटना साहिब, पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और पूरी तरह शहरी इलाका है। यह सीट राजधानी के मध्य स्थित होने के कारण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रही है। यहाँ शिक्षित मध्यम वर्ग, पेशेवर वर्ग, छोटे व्यापारियों और सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों का प्रभाव ज्यादा है। राजनीतिक दृष्टि से यह क्षेत्र भाजपा का परंपरागत गढ़ रहा है।
शहरी विकास, व्यापारिक हितों और सामाजिक स्थिरता को लेकर भाजपा ने यहाँ अपना समर्थन आधार बनाया है। आगामी चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है, लेकिन भाजपा की मजबूत पकड़ इस सीट को उसके लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।
नंद किशोर यादव – पटना साहिब से लगातार जीत का इतिहास
यह विधानसभा क्षेत्र 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था। तब से यह भाजपा के लिए अभेद्य किला बना हुआ है। नंद किशोर यादव यहाँ से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं और बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा बन चुके हैं।
- 2010 का चुनाव: नंद किशोर यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार परवेज अहमद को हराकर जीत हासिल की थी। आरजेडी के उम्मीदवार राजेश कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे। यह चुनाव भाजपा के लिए मजबूती का संकेत बना।
- 2015 का चुनाव: नंद किशोर यादव को 88,108 वोट मिले जबकि आरजेडी के उम्मीदवार को 85,316 वोट। केवल 2,792 वोटों के अंतर से भाजपा ने जीत दर्ज की। इस बार भी मुकाबला कड़ा था, लेकिन भाजपा अपने जनाधार को बनाए रखने में सफल रही।
- 2020 का चुनाव: नंद किशोर यादव ने कांग्रेस के प्रवीण सिंह को 18,300 वोटों से हराकर जीत हासिल की। उन्हें कुल 97,692 वोट मिले थे। यह उनके अनुभव और जनता में विश्वास का प्रमाण माना गया।
राजनीतिक समीकरण और जातिगत प्रभाव
पटना साहिब में जातीय समीकरण की भूमिका सीमित है क्योंकि यह शहरी क्षेत्र है। यहाँ मुद्दे विकास, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और व्यापारिक हितों से जुड़े होते हैं। फिर भी बिहार की राजनीति जाति समीकरण से पूरी तरह मुक्त नहीं है। भाजपा ने यहाँ शहरी मतदाता, पेशेवर वर्ग और व्यापारी समुदाय के बीच अपनी पैठ मजबूत की है।
एनडीए की रणनीति इसी आधार पर भाजपा को और मजबूत बनाना है, जबकि महागठबंधन क्षेत्र में मुकाबला करने के लिए स्थानीय मुद्दों और असंतोष को प्रमुखता देने की कोशिश कर रहा है।
इस बार पटना साहिब विधानसभा सीट पर मुकाबला कड़ा हो सकता है। महंगाई, बेरोजगारी और शहरी विकास जैसे मुद्दों के साथ-साथ राजनीतिक गठबंधनों का समीकरण भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा। फिर भी नंद किशोर यादव की व्यक्तिगत लोकप्रियता, प्रशासनिक अनुभव और पार्टी संगठन की मजबूती उन्हें चुनाव में बढ़त दिला सकती है।