Suzlon Energy को टाटा पावर Renewable Energy से 838 MW का ऑर्डर मिला है, जो कंपनी के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा सौदा है। इससे सुजलॉन की ऑर्डरबुक 6.5 GW से ऊपर पहुंच गई है। UBS ने इस डील को ग्रोथ के लिए अहम बताते हुए स्टॉक पर ₹78 का टारगेट दिया है और बाय कॉल बनाए रखी है।
Suzlon Share: पवन ऊर्जा कंपनी Suzlon Energy को टाटा पावर Renewable Energy (TPREL) से 838 मेगावाट का बड़ा ऑर्डर मिला है, जो वित्त वर्ष 2025-26 का सबसे बड़ा और कंपनी के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा सौदा है। इस प्रोजेक्ट के तहत सुजलॉन कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में अपनी S144 सीरीज के 266 विंड टरबाइन लगाएगी। इस डील से सुजलॉन की ऑर्डरबुक 6.5 GW पार कर गई है और UBS ने इसे कंपनी की दीर्घकालिक ग्रोथ स्टोरी के लिए अहम मानते हुए स्टॉक पर ₹78 का लक्ष्य तय किया है।
सुजलॉन को मिला दूसरा सबसे बड़ा ऑर्डर
टाटा पावर से आया यह ऑर्डर 838 मेगावाट क्षमता का है, जिसे "फर्म एंड डिस्पैचेबल Renewable Energy" (FDRE) प्रोजेक्ट के तहत पूरा किया जाएगा। यह ऑर्डर एनटीपीसी के 1,544 मेगावाट प्रोजेक्ट के बाद सुजलॉन को मिला दूसरा सबसे बड़ा ऑर्डर है। कंपनी इस प्रोजेक्ट के तहत अपनी S144 सीरीज के 266 विंड टरबाइन लगाएगी। हर टरबाइन की क्षमता 3.15 मेगावाट होगी। ये टरबाइन कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में लगाए जाएंगे।
तीसरी बार टाटा पावर का भरोसा
टाटा पावर Renewable Energy और सुजलॉन के बीच यह तीसरा बड़ा समझौता है। इससे यह साफ झलकता है कि दोनों कंपनियों के बीच रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। टाटा पावर ने 2045 तक 100% क्लीन पावर देने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में सुजलॉन की तकनीक टाटा पावर की योजनाओं को मजबूती देगी।
ऑर्डरबुक 6.5 गीगावाट से पार
इस नए ऑर्डर के बाद सुजलॉन की कुल ऑर्डरबुक 6.5 गीगावाट से अधिक हो गई है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अब तक 1.8 गीगावाट ऑर्डर हासिल कर लिए हैं। UBS का अनुमान है कि यह आंकड़ा 3.5 गीगावाट तक पहुंच सकता है। इसका सीधा मतलब है कि आने वाले समय में सुजलॉन के पास काम की कोई कमी नहीं होगी और कंपनी को लगातार बड़े प्रोजेक्ट मिलते रहेंगे।
UBS ने इस डील को सुजलॉन की ग्रोथ स्टोरी का अहम हिस्सा बताते हुए कंपनी के शेयर पर बाय कॉल बनाए रखा है। ब्रोकरेज का कहना है कि इस डील से सुजलॉन की निष्पादन क्षमता मजबूत होगी और कंपनी के लिए सतत विकास का रास्ता साफ होगा। UBS ने कंपनी के शेयर का टारगेट प्राइस 78 रुपये तय किया है, जो मौजूदा स्तर से बेहतर रिटर्न की संभावना दिखाता है।
भारत में बढ़ती क्लीन एनर्जी की अहमियत
इस सौदे का एक और बड़ा संदेश यह है कि भारत में "फर्म एंड डिस्पैचेबल Renewable Energy" यानी FDRE प्रोजेक्ट्स की अहमियत तेजी से बढ़ रही है। FDRE प्रोजेक्ट्स का मकसद 24x7 क्लीन पावर मुहैया कराना है। टाटा पावर और सुजलॉन की यह साझेदारी इस दिशा में अहम कदम है। इससे यह भी साफ होता है कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर का भविष्य मजबूत है और बड़ी कंपनियां इस पर लगातार दांव लगा रही हैं।
सुजलॉन का यह प्रोजेक्ट "मेक इन इंडिया" की थीम को भी आगे बढ़ाता है। कंपनी के सभी विंड टरबाइन देश में ही डिजाइन और निर्मित किए जा रहे हैं। यह भारतीय तकनीक और उत्पादन क्षमता की ताकत को दिखाता है। सरकार की नवीकरणीय ऊर्जा योजनाओं में सुजलॉन जैसी कंपनियों की बड़ी भूमिका है और यह प्रोजेक्ट उसी का उदाहरण है।
शेयर बाजार में हलचल
इस बड़े सौदे की घोषणा के बाद निवेशकों का ध्यान फिर से सुजलॉन के शेयर की ओर गया है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इस तरह के प्रोजेक्ट कंपनी की वित्तीय स्थिति को और बेहतर बनाएंगे। UBS जैसी बड़ी ब्रोकरेज हाउस का पॉजिटिव रुख निवेशकों का भरोसा बढ़ा रहा है।
सुजलॉन की ग्रोथ स्टोरी जारी
कभी कर्ज संकट से जूझ चुकी सुजलॉन ने पिछले कुछ वर्षों में खुद को दोबारा खड़ा किया है। अब कंपनी लगातार बड़े ऑर्डर हासिल कर रही है और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी जगह मजबूत कर चुकी है। टाटा पावर से मिला यह नया ऑर्डर सुजलॉन की उसी ग्रोथ स्टोरी को और मजबूती देता है।