सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें नियमित मामलों में CBI जांच का आदेश न दें। केवल गंभीर, जटिल या राष्ट्रीय महत्व के मामलों में ही अंतिम उपाय के रूप में केंद्रीय एजेंसी की मदद ली जानी चाहिए। अदालत ने न्यायिक संयम और निष्पक्षता पर जोर दिया।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि CBI जांच का आदेश अंतिम उपाय (last resort) के रूप में ही दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि संवैधानिक अदालतों को इस शक्ति का इस्तेमाल संयमित और सावधानीपूर्वक करना चाहिए। केवल तब सीबीआई की मदद ली जानी चाहिए जब मामले की निष्पक्षता (impartiality) या शुचिता (integrity) पर गंभीर सवाल उठें और अन्य साधन विफल हो जाएं।
क्या है मामला
यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश के संदर्भ में आई है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की CBI जांच कराने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को खारिज करते हुए कहा कि CBI जांच का आदेश केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जाना चाहिए।
अदालत ने दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई शामिल थे। बेंच ने कहा कि सीबीआई जांच का आदेश सामान्य मामलों में नहीं दिया जा सकता। सिर्फ इसलिए कि किसी पक्ष ने राज्य पुलिस पर संदेह जताया है या अविश्वास दिखाया है, यह पर्याप्त कारण नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि संबंधित अदालत को प्रथम दृष्टया (prima facie) यह विश्वास होना चाहिए कि प्रस्तुत सबूत अपराध की ओर संकेत करते हैं और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई की विशेषज्ञता जरूरी है।
कब ली जाए CBI जांच की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच की आवश्यकता तब होती है जब मामला जटिल (complex) हो, व्यापक (wide-ranging) हो या राष्ट्रीय स्तर (national level) पर प्रभाव डालने वाला हो। ऐसे मामलों में केंद्रीय एजेंसी की विशेषज्ञता महत्वपूर्ण होती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संवैधानिक अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अनावश्यक रूप से सीबीआई पर बोझ न डालें।
अदालत का दृष्टिकोण
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक अदालतों को न्यायिक संयम (judicial restraint) बरतना चाहिए। CBI जैसी विशेष एजेंसी का इस्तेमाल केवल असाधारण मामलों के लिए ही किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता और शुचिता पर गंभीर आंच होने पर ही केंद्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए।
CBI जांच पर न्यायिक मानक
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया कि CBI जांच का आदेश देते समय अदालत को यह संतुष्टि होनी चाहिए कि मामला इतना संवेदनशील (sensitive) है कि राज्य पुलिस या अन्य एजेंसियों से उचित निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं हो सकती। इससे यह स्पष्ट होता है कि सीबीआई की भूमिका केवल गंभीर और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में सीमित रहनी चाहिए।