ChatGPT जैसे AI टूल्स की लोकप्रियता ने गूगल की सर्च बादशाहत को चुनौती दी है। 10 साल में पहली बार गूगल का सर्च शेयर 90% से नीचे गिरा है। यूज़र्स अब तेज, सटीक और विज्ञापन-मुक्त अनुभव चाहते हैं। गूगल ने AI Mode शुरू किया है,
ChatGPT or Google: तकनीक की दुनिया पर गूगल का बोलबाला रहा है। लेकिन अब, एक तकनीकी बदलाव ने इस बादशाहत को चुनौती देना शुरू कर दिया है। ओपनएआई के ChatGPT जैसे जनरेटिव एआई टूल्स की बढ़ती लोकप्रियता ने गूगल की पकड़ को ढीला करना शुरू कर दिया है। 10 साल में पहली बार गूगल का ग्लोबल सर्च मार्केट शेयर 90% से नीचे गिर गया है, और यह किसी साधारण बदलाव का संकेत नहीं है — यह एक तकनीकी क्रांति की शुरुआत है।
ChatGPT का बढ़ता प्रभाव
OpenAI द्वारा विकसित ChatGPT अब केवल चैटबॉट नहीं रहा। यह एक मल्टीटूल AI बन चुका है — जो टेक्स्ट जनरेशन, कोडिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, डाटा विश्लेषण, यात्रा योजना और यहां तक कि करियर सलाह देने में भी उपयोग किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ChatGPT अब गूगल के डेली सर्च वॉल्यूम का लगभग 15–20% ट्रैफिक ले रहा है, जो एक बेहद बड़ा संकेत है कि उपभोक्ता किस दिशा में जा रहे हैं।
क्यों बढ़ी ChatGPT की लोकप्रियता?
1. सटीक और तेज जवाब
ChatGPT यूज़र्स को एक ही स्थान पर संक्षिप्त, सटीक और संदर्भ के साथ जानकारी प्रदान करता है, जबकि गूगल कई बार लिंक और विज्ञापनों के जाल में उलझा देता है।
2. विज्ञापन-मुक्त अनुभव
गूगल पर जहां हर दूसरे क्लिक पर विज्ञापन दिखते हैं, वहीं ChatGPT का इंटरफेस अभी भी एड-फ्री है, जिससे यूजर्स को ज्यादा सहज अनुभव मिलता है।
3. मल्टीपर्पज़ एआई टूल
ChatGPT सिर्फ सर्च टूल नहीं है, यह एक ऑल-इन-वन असिस्टेंट की तरह काम करता है। ऑफिस प्रेजेंटेशन, स्कूल प्रोजेक्ट्स, सोशल मीडिया कैप्शन, ईमेल ड्राफ्टिंग से लेकर यात्रा सुझाव और पोषण प्लान तक — हर काम के लिए एक जवाब है।
गूगल की रणनीति: AI मोड
ChatGPT की लोकप्रियता को देखते हुए, गूगल ने भी अपनी रणनीति बदली है। गूगल ने नया 'AI Mode' लॉन्च किया है, जो एक एआई-पावर्ड सर्च अनुभव प्रदान करता है। इस मोड में यूज़र को सामान्य लिंक की बजाय डायरेक्ट और डिटेल में जवाब मिलता है। गूगल का दावा है कि 100 मिलियन से अधिक यूजर्स पहले ही इस AI मोड को अपना चुके हैं। लेकिन फिर भी सवाल उठ रहा है — क्या यह बदलाव काफी है?
गूगल के शेयर और मुनाफे पर असर
2025 की पहली छमाही में ही गूगल के शेयर 25% तक गिर चुके हैं। कंपनी की आधी से ज्यादा कमाई सर्च एडवरटाइजमेंट से आती है, और अब जब उपयोगकर्ता ChatGPT जैसे टूल्स की ओर मुड़ रहे हैं, तो इस कमाई के मॉडल पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही, गूगल वर्तमान में दो बड़े एंटीट्रस्ट ट्रायल्स का सामना कर रही है। अमेरिकी सरकार ने गूगल को सर्च मोनॉपॉली घोषित किया है और यह भी संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी, तो गूगल को विभाजित किया जा सकता है।
क्या AI भविष्य है या गूगल का अंत?
AI की तरफ बढ़ता रुझान यह दिखाता है कि उपभोक्ता अब जानकारी सिर्फ ढूंढना नहीं चाहते, बल्कि समझना और उपयोग करना चाहते हैं। ChatGPT जैसे टूल्स इस जरूरत को सीधे पूरा कर रहे हैं। हालांकि, गूगल की तकनीकी ताकत, डेटा बेस और विशाल यूज़र बेस अभी भी बहुत बड़ा है। गूगल यदि समय रहते अपना AI सिस्टम और बेहतर बनाता है, तो वह इस चुनौती से उबर सकता है।
तकनीकी भविष्य की दौड़ में कौन आगे?
- Microsoft: ChatGPT में भारी निवेश करने वाला माइक्रोसॉफ्ट, Bing में इसका इंटीग्रेशन कर पहले ही AI सर्च रेस में बढ़त बना चुका है।
- Apple: AI और प्राइवेसी के संयोजन पर काम कर रहा है, जिससे AI का उपयोग और भी स्मार्ट हो सकता है।
- Amazon & Meta: जनरेटिव AI टूल्स को शॉपिंग और सोशल प्लेटफॉर्म्स में इंटीग्रेट कर भविष्य की प्लानिंग में जुटे हैं।