मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से 23 नवजात बच्चों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सख्त चेतावनी जारी की है। WHO ने श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स और शेप फार्मा के कुछ कफ सिरप बैचों के संदर्भ में चिंता जताई है।
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को दूषित कफ सीरप के बारे में चेतावनी जारी की है। संगठन ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि अपने-अपने देशों में इन दवाओं के पाए जाने की सूचना स्वास्थ्य एजेंसी को दें। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से 23 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत में कई राज्यों की सरकारों ने इस कफ सीरप पर प्रतिबंध लगा दिया। इस जानलेवा दवा के मामले में WHO ने स्वयं संज्ञान लिया है।
WHO की एडवाइजरी और गंभीर चेतावनी
WHO ने स्पष्ट किया कि जिन सिरपों की पहचान की गई है, वे निम्नलिखित हैं:
- श्रीसन फार्मास्युटिकल्स – कोल्ड्रिफ
- रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स – रेस्पिफ्रेश टीआर
- शेप फार्मा – रीलाइफ
WHO ने कहा कि ये दूषित उत्पाद गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं और बच्चों में जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों की स्वास्थ्य एजेंसियों से आग्रह किया है कि यदि इन सिरपों के कोई बैच उनके देश में मौजूद हों, तो उनकी जानकारी तुरंत साझा की जाए।
CDSCO ने दी जानकारी
भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने WHO को बताया कि इस सिरप का सेवन पांच साल से कम उम्र के बच्चों ने किया था। जांच में पाया गया कि इन कफ सिरपों में डायथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) की मात्रा निर्धारित सीमा से लगभग 500 गुना अधिक थी। CDSCO ने यह भी स्पष्ट किया कि इन दवाओं में से कोई भी भारत से निर्यात नहीं किया गया है। साथ ही, अवैध निर्यात का कोई प्रमाण नहीं मिला। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भी पुष्टि की कि ये विषाक्त सिरप संयुक्त राज्य अमेरिका में नहीं भेजे गए थे।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू की और पाया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप के विशिष्ट बैच में जहरीली सामग्री थी। इसके बाद कई राज्यों की सरकार ने इस सिरप पर बैन लगा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि डायथिलीन ग्लाइकॉल एक गंभीर विषाक्त पदार्थ है, जो बच्चों में किडनी फेल्योर, सांस लेने में कठिनाई और अंततः मौत का कारण बन सकता है।