छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़ा एक मामला सामने आया है। पुलिस ने इस प्रकरण में दो ननों समेत तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन महिलाओं ने तीन आदिवासी लड़कियों को नौकरी का झांसा देकर उत्तर प्रदेश ले जाने की कोशिश की।
गिरफ्तार की गई महिलाओं की पहचान सुकमान मंडावी, नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि ये सभी नारायणपुर जिले की लड़कियों को दुर्ग स्टेशन तक लेकर आई थीं, जहां से वे उन्हें आगरा ले जाने वाली थीं। मामला तब उजागर हुआ जब बजरंग दल के एक स्थानीय पदाधिकारी ने 26 जुलाई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कर उन्हें बाहर भेजने की योजना बनाई गई थी।
कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई
पुलिस ने तीनों महिलाओं के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम और अनैतिक व्यापार (निरोधक) अधिनियम (PITA) के तहत मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान लड़कियों ने अपने बयान में बताया कि वे ननों के साथ नौकरी की तलाश में आगरा जा रही थीं। उन्होंने यह भी बताया कि सुकमान मंडावी ने उन्हें दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुंचाया था, जहां से उनकी यात्रा शुरू होने वाली थी।
लड़कियों को फिलहाल सुरक्षित स्थान पर रखा गया है और उनके परिवारों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश की जा रही है कि कहीं यह किसी बड़े मानव तस्करी रैकेट का हिस्सा तो नहीं है।
केरल सीएम ने केंद्र से मांगा हस्तक्षेप
इस मामले में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दो ननों के साथ न्याय सुनिश्चित करने की अपील की है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस घटना को लेकर केरल में चिंता का माहौल है। विजयन ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराएगी और मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाएगी।
इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने साफ किया है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो जांच के लिए अन्य राज्यों की एजेंसियों से भी समन्वय किया जाएगा। फिलहाल, पूछताछ और जांच का सिलसिला जारी है।