Columbus

CM मोहन यादव का दावा: 18 महीने में बदला मध्य प्रदेश का चेहरा, मिली नई पहचान और विकास की ऊंचाइयां

CM मोहन यादव का दावा: 18 महीने में बदला मध्य प्रदेश का चेहरा, मिली नई पहचान और विकास की ऊंचाइयां

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में बताया कि मध्यप्रदेश तेजी से औद्योगिक निवेश का केंद्र बन रहा है। बीते एक वर्ष में सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, ₹30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव और लाखों रोजगार के अवसर मिले हैं। पर्यटन, खनिज और कृषि उत्पादों में वैश्विक रुचि भी लगातार बढ़ रही है।

MP News: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में प्रदेश की औद्योगिक उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि बीते 18 महीनों में राज्य में निवेश और रोजगार सृजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 77 औद्योगिक इकाइयों के संचालन से 4800 लोगों को रोजगार मिला, वहीं हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव और संभावित रोजगार के अवसर बने हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 65 देशों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया और ₹30.77 लाख करोड़ के प्रस्ताव आए। राज्य के खनिज, पर्यटन, कृषि और हथकरघा उत्पादों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।

औद्योगिक निवेश और रोजगार सृजन में नई उड़ान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में जानकारी दी कि राज्य में औद्योगिक निवेश और रोजगार सृजन के क्षेत्र में बीते 18 महीनों में बड़ी प्रगति हुई है। 77 औद्योगिक इकाइयों का लोकार्पण किया गया जिसमें ₹1374 करोड़ का निवेश हुआ और 4800 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला। वहीं, 151 इकाइयों का भूमि पूजन संपन्न हुआ, जिससे ₹7336 करोड़ के निवेश और करीब 13,700 संभावित रोजगार की उम्मीद है। 789 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन के लिए आशय पत्र जारी किए गए हैं जिनसे अनुमानित ₹28,722 करोड़ का निवेश और 66,550 से अधिक रोजगार सृजन की संभावना जताई गई है।

राज्य सरकार द्वारा राजधानी भोपाल में वर्ष 2025 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) को लेकर भी मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह समिट अब तक की सबसे बड़ी रही जिसमें 65 देशों के प्रतिनिधियों और 25,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस आयोजन के दौरान ₹30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। GIS के साथ 6 विभागीय समिट्स, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और रोड शो के माध्यम से भी निवेशकों से संवाद स्थापित किया गया। इससे 254 औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटित की जा चुकी है, जिनमें ₹1,52,574 करोड़ के निवेश और 1.82 लाख से अधिक रोजगार की संभावना है।

खनिज और पर्यटन क्षेत्रों में भी राज्य सरकार को व्यापक निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। खनिज क्षेत्र में 909 ब्लॉक्स के लिए ₹3.22 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। पर्यटन क्षेत्र में 305 निवेशकों से ₹64,635 करोड़ के प्रस्ताव मिले हैं, और ₹325 करोड़ से अधिक के एमओयू भी संपन्न हुए हैं। स्किलिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में IBM, Microsoft, Barclays और IISER के साथ साझेदारी की दिशा में भी पहल जारी है।

कृषि और वैश्विक मंच पर राज्य की पहचान

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। महेश्वरी और चंदेरी साड़ियों को जीआई टैग मिल चुका है और इन्हें अब जापान और यूरोप जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है। झाबुआ, मंदसौर और नीमच के ऑर्गेनिक मसाले, गेहूं और धनिया भी यूरोपीय बाज़ारों में अपनी जगह बना चुके हैं। मिलेट्स जैसे कोदो, कुटकी और बाजरा की मांग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। स्विट्जरलैंड के व्यापारी अब इन उत्पादों में निवेश की इच्छा जता रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश अब केवल कृषि और खनिज उत्पादन में अग्रणी नहीं है, बल्कि प्रसंस्करण उद्योग का प्रमुख केंद्र भी बनता जा रहा है। इससे किसानों और उत्पादकों को बेहतर मूल्य मिल रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। राज्य सरकार ने इस दिशा में ‘मेक इन मध्यप्रदेश’ अभियान को मजबूती से आगे बढ़ाया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ की भावना को प्रदेश स्तर पर साकार करता है। आयशर मोटर्स और फोर्स मोटर्स जैसे ब्रांड के ट्रक और ट्रैक्टर अब अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एशिया में निर्यात किए जा रहे हैं। वहीं BHEL भोपाल और मंडीदीप में निर्मित ट्रांसफॉर्मर देश-विदेश की पावर ग्रिड तक ऊर्जा पहुंचा रहे हैं।

राज्य सरकार का फोकस क्षेत्रीय असमानता को दूर करने पर भी है। इसके लिए विभिन्न संभागों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किए गए, ताकि हर क्षेत्र की औद्योगिक क्षमताओं को सामने लाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के हर कोने के समग्र विकास पर ध्यान देते हैं, वैसे ही राज्य सरकार मध्यप्रदेश के हर क्षेत्र की संभावनाओं को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

औद्योगिक अधोसंरचना और श्रमिक हितों पर जोर

राज्य में औद्योगिक अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए ₹2000 करोड़ से अधिक की राशि का निवेश किया जा रहा है। उज्जैन में विक्रम उद्योगपुरी, धार में पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क, मुरैना में मेगा लेदर और फुटवियर क्लस्टर, मोहसा बाबई में रिन्यूएबल एनर्जी पार्क, रतलाम में मेगा इंडस्ट्रियल पार्क, सीहोर के आष्टा में इंडस्ट्रियल क्लस्टर, पीथमपुर में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, इंदौर में इकोनॉमिक कॉरिडोर और टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग ज़ोन जैसे प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य में एक सशक्त सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया गया है, जिससे निवेशकों को सभी आवश्यक स्वीकृतियाँ और परमिट एक ही स्थान पर मिल जाते हैं। इससे उनका समय और संसाधन दोनों की बचत होती है। प्रत्येक जिले में निवेश प्रोत्साहन केंद्र स्थापित किए गए हैं जो स्थानीय स्तर पर निवेशकों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर रहे हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार श्रमिकों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। हुकुमचंद मिल के श्रमिकों को न्याय दिलाया गया है और अन्य मिलों के मामलों में भी सरकार समान प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश अब केवल निवेश आकर्षित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे एक सशक्त ब्रांड के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी गंभीरता से प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में देश के आठ प्रमुख शहरों में इंटरएक्टिव सेशन्स का आयोजन किया गया है, जिससे निवेशकों के साथ सीधा संवाद स्थापित हो सके और मध्यप्रदेश की क्षमताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।

Leave a comment