चार वैज्ञानिक जो अंतरिक्ष में एक मिशन पर गए थे, वहां ब्रह्मांडीय किरणों की चपेट में आकर ऐसी शक्तियां हासिल कर लेते हैं, जो उन्हें आम इंसानों से अलग बना देती हैं।
- मूवी रिव्यू: 'द फैंटास्टिक फोर: फर्स्ट स्टेप्स'
- रेटिंग: 2.5/5
- निर्देशक: मैट शाकमैन
- कलाकार: पेड्रो पास्कल, वैनेसा किर्बी, एबन मॉस-बैचराच, जोसेफ क्विन, जूलिया गार्नर, सारा नाइल्स
- अवधि: 1 घंटा 54 मिनट
- श्रेणी: साइंस-फिक्शन, सुपरहीरो, अंग्रेज़ी/हिंदी
'द फैंटास्टिक फोर: फर्स्ट स्टेप्स' मार्वल सिनमैटिक यूनिवर्स की 37वीं फिल्म है और एक बार फिर यह अपने प्रतिष्ठित सुपरहीरो ग्रुप 'फैंटास्टिक फोर' को बड़े पर्दे पर लेकर आई है। लेकिन इस बार कहानी पारंपरिक सुपरहीरो टेम्पलेट से हटकर कुछ ज्यादा इमोशनल और पारिवारिक बन गई है। फिल्म की शुरुआत होती है पृथ्वी 828 के सुपरस्टार सुपरहीरो ग्रुप से – रीड रिचर्ड्स (पेड्रो पास्कल), उनकी पत्नी सू स्ट्रॉम (वैनेसा किर्बी), उनके दोस्त बेन ग्रिम (एबन मॉस-बैचराच) और उनके साले जॉनी स्ट्रॉम (जोसेफ क्विन) से। ये चारों एक अंतरिक्ष मिशन पर गए थे, जहां ब्रह्मांडीय किरणों के संपर्क में आकर वे विशेष शक्तियों से लैस होकर लौटे।
रीड रबर की तरह खिंच सकता है, सू अदृश्य हो सकती है और फोर्स फील्ड बना सकती है, बेन एक पत्थर जैसे शक्तिशाली राक्षस में बदल चुका है और जॉनी आग के गोले में उड़ सकता है। चार साल तक इन्होंने मानवता को कई खतरों से बचाया, लेकिन अब एक नया खतरा मंडरा रहा है – गैलेक्टस, जो पूरे ग्रहों को निगल जाता है।
वह अर्थ 828 को तबाह करने से पहले एक शर्त रखता है – रीड और सू के अजन्मे बच्चे की बलि। अब ये चारों इस धर्मसंकट से कैसे बाहर निकलते हैं, यही फिल्म की मुख्य कहानी है।
रेट्रो फ्यूचरिस्टिक दुनिया और कमजोर पटकथा
मैट शाकमैन ने इस फिल्म को एक खास तरह की रेट्रो फ्यूचरिस्टिक दुनिया में सेट किया है, जहां एक ओर रोबोट्स और टेलीपोर्टेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीक है, तो दूसरी ओर ब्लैकबोर्ड और चॉक की पुरानी शैली भी देखने को मिलती है। यह फिल्म एक स्टैंडअलोन कहानी के रूप में आती है – इसे देखने के लिए आपको मार्वल की पुरानी फिल्मों की जानकारी की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, बैकस्टोरी को ज्यादा समझाने के चक्कर में स्क्रीनप्ले धीमा और कभी-कभी बोरिंग हो जाता है।
एक्शन सीक्वेंस, जो किसी भी सुपरहीरो फिल्म की जान होते हैं, फिल्म में कमज़ोर साबित होते हैं। खासतौर से जब फिल्म का विलेन गैलेक्टस जैसा दानव हो, तो दर्शक उम्मीद करते हैं जबरदस्त टकराव की। लेकिन गैलेक्टस और फैंटास्टिक फोर की भिड़ंत काफी सतही और बिना थ्रिल के निपटा दी गई है।
VFX और परफॉर्मेंस की तारीफ
जहां कहानी और स्क्रीनप्ले थोड़े निराश करते हैं, वहीं VFX वाकई में दर्शकों को एक नई दुनिया में ले जाता है। अंतरिक्ष, ग्रहों की तबाही, और गैलेक्टस की एंट्री – ये सभी सीन तकनीकी रूप से प्रभावशाली हैं। जूलिया गार्नर द्वारा निभाया गया सिल्वर सर्फर का किरदार आकर्षक है, जो गैलेक्टस की दाहिनी हाथ बनी है। उनकी अदाकारी इस फिल्म को एक ऊंचाई देती है।
पेड्रो पास्कल एक सुपरहीरो और पिता के बीच के संघर्ष को बड़ी खूबसूरती से निभाते हैं। वैनेसा किर्बी का किरदार सबसे ज़्यादा असरदार साबित होता है – एक योद्धा और एक मां के रूप में। एबन मॉस-बैचराच ने बेन की आंतरिक पीड़ा को अच्छी तरह उभारा है, जबकि जोसेफ क्विन की हल्की-फुल्की मस्ती फिल्म में थोड़ी राहत देती है।
फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा: क्लाइमेक्स
जहां से कहानी को ज़बरदस्त मोड़ मिलना चाहिए था, वहीं फिल्म धीमी पड़ जाती है। गैलेक्टस को विलेन के तौर पर इंट्रोड्यूस करने के बाद उससे टकराव काफी हल्का बन गया है। यह उस स्तर की महाकाव्य टक्कर नहीं बन पाई जिसकी उम्मीद दर्शक मार्वल से करते हैं। मार्वल फिल्मों की खासियत होती है उनका पोस्ट-क्रेडिट सीन – और इस बार भी कुछ ऐसा ही है। फैंटास्टिक फोर को आप जल्द ही 'Avengers: Doomsday' में वापसी करते देख सकते हैं, जो उनके यूनिवर्स को और भी विस्तृत बनाएगा।