आज के समय में हमारी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं से जुड़ा हुआ है। हम हर दिन सोशल मीडिया, ऑनलाइन बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ईमेल और क्लाउड स्टोरेज जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। इन सभी को सुरक्षित रखने के लिए हम पासवर्ड का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका पासवर्ड कैसे हैकर्स के हाथ लग जाता है?
पासवर्ड लीक होना आज एक सामान्य साइबर खतरा बन चुका है, जिसकी वजह से लाखों यूज़र्स की निजी जानकारी, बैंक डिटेल्स और डिजिटल पहचान खतरे में पड़ जाती है।
फिशिंग: सबसे पुरानी और असरदार चाल
फिशिंग (Phishing) वो तकनीक है जिसमें साइबर अपराधी नकली वेबसाइट या ईमेल के ज़रिए आपको फंसाते हैं। यह ईमेल या वेबसाइट बिल्कुल असली लगती है—जैसे कि आपकी बैंक या सोशल मीडिया साइट की हो। इसमें आपको कहा जाता है कि 'आपका अकाउंट लॉक हो गया है', 'पासवर्ड बदलें' या 'सत्यापन जरूरी है'।
जैसे ही आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं और अपनी लॉगिन डिटेल्स डालते हैं, वो सारी जानकारी सीधा हैकर के सर्वर तक पहुंच जाती है। फिशिंग अटैक आज भी सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली और सफलतम रणनीति है पासवर्ड चुराने की।
डेटा ब्रीच: जब बड़ी कंपनियां बनती हैं शिकार
अक्सर हम सुनते हैं कि किसी बड़ी वेबसाइट का डेटा लीक हो गया है। इसका मतलब है कि उस वेबसाइट के सर्वर में सेंध लगाकर हैकर्स ने लाखों यूज़र्स की निजी जानकारी चुरा ली है—जैसे कि ईमेल आईडी, पासवर्ड, फोन नंबर और यहां तक कि बैंक डिटेल्स भी।
अगर आपने भी कभी किसी ऐसी वेबसाइट पर अकाउंट बनाया है जो इस तरह के ब्रीच का शिकार हुई हो, तो हो सकता है आपका पासवर्ड भी इंटरनेट पर लीक हो चुका हो और आपको इसका पता तक न हो।
कीलॉगर: चुपचाप आपकी हर कीबोर्ड स्टोक पर नज़र
Keylogger एक प्रकार का खतरनाक मैलवेयर है, जो आपकी डिवाइस पर बैठकर आपकी हर टाइपिंग को रिकॉर्ड करता है। जब भी आप किसी साइट पर यूज़रनेम और पासवर्ड टाइप करते हैं, यह सॉफ्टवेयर उसे चुपचाप नोट करता रहता है और फिर हैकर तक पहुंचा देता है।
ये कीलॉगर्स आमतौर पर संक्रमित ईमेल अटैचमेंट, अनसेफ वेबसाइट या थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन के ज़रिए आपके डिवाइस में आते हैं।
ब्रूट फोर्स अटैक: जब कंप्यूटर हर संभावित पासवर्ड आज़माता है
ब्रूट फोर्स अटैक में हैकर एक ऑटोमेटेड टूल की मदद से हर संभव पासवर्ड का कॉम्बिनेशन ट्राय करता है जब तक सही पासवर्ड मिल न जाए। आसान पासवर्ड जैसे '123456', 'password', या 'admin123' सेकंडों में ही क्रैक हो जाते हैं।
यही वजह है कि विशेषज्ञ हमेशा मजबूत, जटिल और यूनिक पासवर्ड रखने की सलाह देते हैं।
पब्लिक वाई-फाई: आसान निशाना बनाते हैं साइबर अपराधी
जब भी आप कैफे, मॉल या एयरपोर्ट जैसी जगहों पर पब्लिक वाई-फाई से कनेक्ट होते हैं, तब आपके डिवाइस का डेटा असुरक्षित हो सकता है। हैकर्स उसी नेटवर्क से कनेक्ट होकर आपके पासवर्ड, बैंक डिटेल्स या अन्य संवेदनशील जानकारी को इंटरसेप्ट कर सकते हैं।
अगर पब्लिक नेटवर्क पर आप किसी साइट में लॉगिन करते हैं, तो हैकर के पास उसे चोरी करने का अच्छा मौका होता है।
कैसे रखें खुद को साइबर अटैक्स से सुरक्षित?
- मजबूत पासवर्ड बनाएं: कम से कम 12 अक्षरों का पासवर्ड रखें जिसमें छोटे-बड़े अक्षर, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर हों।
- हर अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड: एक ही पासवर्ड कई जगह यूज़ करना बड़ा खतरा है।
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ज़रूर ऑन करें: इससे अगर पासवर्ड लीक भी हो जाए तो बिना OTP के कोई लॉगिन नहीं कर पाएगा।
- संदिग्ध ईमेल या लिंक से रहें सावधान: कभी भी अज्ञात लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक न करें।
- पब्लिक वाई-फाई से बचें: पब्लिक नेटवर्क पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या लॉगिन न करें।
- एंटीवायरस और सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें: ये आपके डिवाइस को कीलॉगर और अन्य मालवेयर से सुरक्षित रखते हैं।
- रेगुलर पासवर्ड चेक करें: 'Have I Been Pwned' जैसे टूल से जांच सकते हैं कि आपका पासवर्ड लीक हुआ है या नहीं।
पासवर्ड सुरक्षा आपकी डिजिटल दुनिया की पहली रक्षा पंक्ति है। यदि आपने सतर्कता नहीं बरती तो आपकी निजी जानकारी चंद सेकंड में हैक हो सकती है। मजबूत पासवर्ड, सतर्कता और सही साइबर हैबिट्स ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा हैं।