दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने राजधानी में निजी स्कूलों की मनमर्जी से बढ़ाई जाने वाली फीस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से Delhi School Education (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) Bill, 2025 विधानसभा में पेश किया है। इस नए विधेयक के ज़रिए सरकार ने फीस बढ़ोतरी को लेकर सख्त दिशा-निर्देश तय किए हैं, जिससे अभिभावकों को सीधी राहत मिलने की उम्मीद है। बिल के तहत अब कोई भी निजी स्कूल हर साल फीस नहीं बढ़ा सकेगा। सिर्फ तीन साल में एक बार फीस बढ़ाने की अनुमति होगी, वो भी एक निर्धारित प्रक्रिया और समिति की मंजूरी के बाद।
स्कूलों को लेनी होगी समिति की मंजूरी
बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि फीस बढ़ाने से पहले स्कूलों को एक 11 सदस्यीय स्कूल लेवल समिति से अनुमति लेनी होगी। इस समिति में स्कूल प्रबंधन द्वारा नियुक्त चेयरमैन, स्कूल प्रिंसिपल, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक, और जिला प्रशासन द्वारा नामित एक ऑब्ज़र्वर शामिल होगा। स्कूल प्रबंधन को इस समिति के समक्ष यह स्पष्ट करना होगा कि फीस में बढ़ोतरी की आवश्यकता क्यों है। उसके बाद समिति बहुमत से यह तय करेगी कि फीस बढ़ाई जानी चाहिए या नहीं।
बढ़ाई गई फीस तीन सालों के लिए लॉक रहेगी, यानी तीन वर्षों तक उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। यह प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है ताकि बार-बार की गई फीस बढ़ोतरी से अभिभावकों को राहत मिल सके और निजी स्कूलों पर जवाबदेही बनी रहे।
अपील की प्रक्रिया भी तय
अगर किसी अभिभावक को फीस बढ़ोतरी पर आपत्ति होती है, तो वह पहले जिला स्तरीय समिति में अपील कर सकता है। इस समिति में एक शिक्षाविद अध्यक्ष, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, शिक्षा विभाग का एडिशनल सेक्रेटरी और अन्य सदस्य शामिल होंगे। यदि यहां भी समाधान न मिले तो अभिभावक अंतिम अपील शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति में कर सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया त्रिस्तरीय होगी ताकि हर पक्ष को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले।
हालांकि, बिल में यह भी प्रावधान है कि कोई भी अभिभावक या स्कूल समिति के फैसले या किसी सदस्य के खिलाफ सिविल कोर्ट में अपील नहीं कर सकता। इसके बजाय, सभी अधिकार शिक्षा निदेशालय के पास रहेंगे। यहीं से अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इस प्रावधान को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है।
सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग
बिल पेश किए जाने के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध शुरू कर दिया। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने बिल की कई धाराओं पर सवाल उठाते हुए इसे निजी स्कूलों और उद्योगपतियों के पक्ष में बताया। उन्होंने कहा कि समिति की संरचना स्कूल के पक्ष में झुकी हुई है और अभिभावकों के लिए अपील की प्रक्रिया जटिल और लंबी है। उन्होंने मांग की कि इस बिल को विधानसभा की सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए, ताकि अभिभावकों की राय भी शामिल हो सके।
कोर्ट में अपील करने से रोकने के प्रावधान को लेकर आतिशी ने बीजेपी की मंशा पर भी सवाल उठाए और कहा कि इससे पारदर्शिता पर असर पड़ेगा। वहीं, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सरकार के मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी बिना कारण के हंगामा कर रही है और केवल चर्चा से भाग रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अभी तक बिल को गंभीरता से पढ़ा भी नहीं है और केवल भ्रम फैलाने की राजनीति कर रही है।