बॉलीवुड में तीन दशक लंबे करियर के दौरान ट्रेन टू पाकिस्तान, स्पेशल 26, दिल्ली 6 और भाग मिल्खा भाग जैसी कई यादगार फिल्मों में बेहतरीन अभिनय करने वाली नेशनल अवॉर्ड विजेता एक्ट्रेस दिव्या दत्ता ने अब पहली बार तेलुगु सिनेमा में कदम रखा है।
एंटरटेनमेंट: बॉलीवुड की दिग्गज और नेशनल अवॉर्ड विजेता अभिनेत्री दिव्या दत्ता अपने तीन दशक लंबे करियर में बेहतरीन किरदार निभाने के लिए जानी जाती हैं। ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘स्पेशल 26’, ‘दिल्ली 6’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा चुकीं दिव्या अब पहली बार तेलुगू सिनेमा में कदम रखने जा रही हैं। उनकी नई तेलुगू वेब सीरीज़ ‘मायासभा’ में वह एक राजनीतिक नेता की भूमिका निभा रही हैं, जो जल्द ही रिलीज़ होने वाली है।
हाल ही में दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में दिव्या दत्ता ने न केवल अपने करियर और तेलुगू सिनेमा की ओर रुख करने के बारे में बताया, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के ‘स्टार सिस्टम’ पर भी खुलकर अपनी राय रखी।
तेलुगू सिनेमा में कदम रखने का सफर
दिव्या बताती हैं, “मैं काफी समय से तेलुगू में कुछ काम करना चाहती थी। करियर के शुरुआती दिनों में कई ऑफर आए, लेकिन किसी न किसी कारणवश मैं उन्हें कर नहीं पाई। मन में हमेशा यह इच्छा रही कि तेलुगू फिल्म जरूर करूं। ‘मायासभा’ का ऑफर मिलने पर कहानी, किरदार और डायरेक्टर सब कुछ इतना बेहतरीन लगा कि मैंने तुरंत हामी भर दी। इतने सालों बाद अगर मैं कुछ नया कर रही हूं, तो वह खास होना चाहिए।
वह पैन इंडिया सिनेमा के मौजूदा दौर को सकारात्मक मानती हैं। जब हम छोटे थे, तब भी अमिताभ बच्चन और रजनीकांत जैसे सुपरस्टार एक साथ फिल्मों में नजर आते थे। अब यह दौर फिर से लौट आया है, जहां अलग-अलग भाषाओं के कलाकार एक-दूसरे के इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। यह भारतीय सिनेमा को ग्लोबल स्तर पर मजबूत बना रहा है।
राजनीति नहीं, लेकिन बदलाव की चाहत
दिव्या ने साफ कहा कि उन्हें राजनीति में कोई रुचि नहीं है, लेकिन अगर कभी उन्हें पावर मिली, तो वह फिल्म इंडस्ट्री का ‘स्टार सिस्टम’ बदल देंगी।
उनके अनुसार, “किरदार के हिसाब से ही कास्टिंग होनी चाहिए, चाहे वह स्टार हो, न्यूकमर हो या किसी भी स्तर का एक्टर। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पहले स्टार का नाम तय कर लिया जाए और फिर कहानी उसके मुताबिक बनाई जाए। फिल्में स्टार-ड्रिवेन नहीं, बल्कि स्टोरी और करैक्टर-ड्रिवेन होनी चाहिए।”
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई ‘स्कैम’ और ‘पंचायत’ जैसी सीरीज़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “इनमें कलाकार हमें सिर्फ किरदार के रूप में नजर आते हैं, यह उनकी सबसे बड़ी सफलता है।”
अपने करियर को लेकर संतुष्टि
दिव्या कहती हैं, मैं अपने आप को एक स्टार एक्टर मानती हूं। ऑडियंस से मुझे जो प्यार और सम्मान मिलता है, वह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि फिल्म या शो में सबसे अच्छा रोल करूं, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। अगर मुझे लगे कि यह रोल दर्शकों के दिल तक पहुंचेगा, तो मैं उसे जरूर करती हूं।
वह खुद को ‘भुक्खड़ एक्टर’ कहती हैं, “मुझे हमेशा बेस्ट रोल चाहिए। अगर किरदार दमदार है, तो मैं उसके लिए तैयार हूं, चाहे स्क्रीन टाइम कितना भी हो।दिव्या दत्ता मानती हैं कि पिछले कुछ सालों में फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया है, खासकर महिला कलाकारों और क्रू के लिए।
'अब हर विभाग में महिलाएं हैं—चाहे कैमरा हो, डायरेक्शन, कॉस्ट्यूम या मेकअप। पहले ऐसा नहीं था। यह बदलाव धीरे-धीरे आया, लेकिन बेहद अहम है। पर्दे पर भी अब महिलाओं की कहानियां कही जा रही हैं। उन्हें केवल ऑब्जेक्टिफाई नहीं किया जा रहा, बल्कि उनके किरदारों में गहराई और लेयर्स हैं। यह बदलाव हर तबके के कलाकारों को उनका हक दिला रहा है।'
‘मायासभा’ में दिव्या का किरदार एक सशक्त और प्रभावशाली नेता का है। यह सीरीज़ न केवल उनके लिए बल्कि दर्शकों के लिए भी एक नए अनुभव का वादा करती है। पॉलिटिक्स-थीम वाली इस वेब सीरीज़ में शक्ति, राजनीति और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का दिलचस्प मेल है।