ई-सिम (डिजिटल सिम) फिजिकल सिम की तुलना में अधिक सुरक्षित विकल्प साबित हो रही है। यह सिम स्वैपिंग और हैकिंग जैसे फ्रॉड से सुरक्षा प्रदान करती है। मोबाइल में एम्बेडेड होने के कारण इसे निकालना या क्लोन करना मुश्किल होता है, जिससे यूजर्स के बैंक अकाउंट और डिजिटल लेनदेन सुरक्षित रहते हैं।
ई-सिम सुरक्षा: भारत में बढ़ती मोबाइल फ्रॉड और सिम स्वैपिंग की घटनाओं को देखते हुए, यूजर्स अब ई-सिम की ओर रुख कर रहे हैं। यह डिजिटल सिम फोन में पहले से एम्बेड होती है और केवल टेलीकॉम ऑपरेटर के माध्यम से एक्टिवेट की जाती है। इसके जरिए यूजर्स अपने बैंक अकाउंट, यूपीआई और डिजिटल पेमेंट्स को सुरक्षित रख सकते हैं। चोरी या सिम स्वैपिंग जैसी धोखाधड़ी के मामलों में ई-सिम सुरक्षा की एक मजबूत परत प्रदान करती है, जिससे फ्रॉड और हैकिंग की संभावना न्यूनतम हो जाती है।
ई-सिम क्या है और कैसे काम करती है
ई-सिम, जिसे डिजिटल सिम भी कहा जाता है, पूरी तरह से फिजिकल सिम की जरूरत को खत्म कर देती है। यह पहले से ही मोबाइल डिवाइस में एम्बेड होती है और केवल टेलीकॉम ऑपरेटर के माध्यम से एक्टिवेट की जा सकती है। इसका मतलब है कि यूजर्स को सिम बदलने या खोने जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। डिजिटल वेरिफिकेशन और क्यूआर कोड स्कैनिंग के जरिए ई-सिम की एक्टिवेशन प्रक्रिया सुरक्षित रहती है, जिससे फ्रॉड करने वाले इसे क्लोन नहीं कर सकते।
फ्रॉड और सिम स्वैपिंग से बचाव
फिजिकल सिम के साथ सिम स्वैपिंग का खतरा अधिक होता है। चोरी हुए फोन में सबसे पहले सिम निकाल लिया जाता है और फिर टेलीकॉम कंपनी को धोखा देकर डुप्लिकेट सिम प्राप्त किया जाता है। इसके बाद ओटीपी के जरिए बैंक अकाउंट तक आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है। वहीं, ई-सिम में यह प्रक्रिया मुश्किल है क्योंकि इसे निकालना या दूसरे डिवाइस में लगाना असंभव है। यूजर फोन चोरी होने पर ई-सिम को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे धोखाधड़ी की संभावना न्यूनतम हो जाती है।
वित्तीय सुरक्षा और डिजिटल लेनदेन के लिए जरूरी
भारतीय यूजर्स के लिए मोबाइल नंबर बैंक अकाउंट और डिजिटल पेमेंट ऐप्स से सीधे जुड़ा होता है। सिम स्वैपिंग होने पर बैंक अकाउंट और वित्तीय डेटा भी खतरे में पड़ सकते हैं। इसलिए अब अधिक लोग ई-सिम की ओर बढ़ रहे हैं। यह न केवल फिजिकल सिम की तुलना में सुरक्षित है, बल्कि फ्रॉड और हैकिंग के जोखिम को भी कम करता है। ई-सिम के इस्तेमाल से मोबाइल उपयोगकर्ताओं को न केवल सुरक्षा मिलती है, बल्कि डिजिटल लेनदेन में आत्मविश्वास और शांति भी मिलती है।