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ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची का दिल्ली दौरा, भारत-पाकिस्तान तनाव पर बातचीत की उम्मीद

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची नई दिल्ली पहुंचे, जहां वह विदेश मंत्री जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे, भारत-पाक तनाव पर चर्चा संभव है।

New Delhi: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची का भारत दौरा अहम बन गया है। अराघची 8 मई 2025 को नई दिल्ली पहुंचे, जहां उनका स्वागत किया गया। यह यात्रा भारत और ईरान के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। खास बात यह है कि यह अराघची का भारत का पहला दौरा है, जो उन्होंने अगस्त 2024 में विदेश मंत्री पद संभालने के बाद किया है।

द्विपक्षीय वार्ता का अहम अवसर

अपने दौरे के दौरान, अराघची पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हैदराबाद हाउस में मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही, द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के मुद्दे पर भी वार्ता की जाएगी।

अराघची के दौरे का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा भारत-ईरान संयुक्त आयोग की 20वीं बैठक में उनकी सह-अध्यक्षता करना है। यह बैठक भारत और ईरान के बीच 75 वर्षों की मैत्री संधि की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की जा रही है। इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी हितों पर चर्चा की जाएगी और भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जाएगा।

राष्ट्रपति से मुलाकात और द्विपक्षीय सहयोग

अराघची की भारत यात्रा के बाद, वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात भारत और ईरान के बीच जारी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक और महत्वपूर्ण अवसर होगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अराघची का स्वागत करते हुए कहा, "भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक के लिए सईद अब्बास अराघची का हार्दिक स्वागत है। यह अवसर द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने और भविष्य में इसे और सुदृढ़ करने का है।"

भारत-पाकिस्तान संबंध

अराघची का दौरा भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को ध्यान में रखते हुए अहम है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि तनाव को कम करने के लिए संवाद और बातचीत का रास्ता निकाला जाएगा। यह दोनों देशों के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार हो सकता है।

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