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ईरान संकट के बीच एलन मस्क की एंट्री, Starlink ने खोला डिजिटल दरवाज़ा

ईरान संकट के बीच एलन मस्क की एंट्री, Starlink ने खोला डिजिटल दरवाज़ा

ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र, ईरान सरकार ने देश में इंटरनेट पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। सरकार ने यह कदम सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उठाया है।

Starlink in Iran: इजराइल-ईरान के बीच गहराते तनाव के बीच ईरान की सरकार ने देश में अस्थायी तौर पर इंटरनेट सेवा को प्रतिबंधित कर दिया। सरकार के इस फैसले ने देश के आम नागरिकों को न सिर्फ वैश्विक सूचनाओं से काट दिया, बल्कि संचार के तमाम रास्ते भी बंद कर दिए। लेकिन इस डिजिटल अंधेरे के बीच, एक बार फिर सामने आए टेक दिग्गज एलन मस्क, जिन्होंने अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा स्टारलिंक के ज़रिए ईरान में इंटरनेट की नई खिड़की खोल दी है।

एलन मस्क ने किया ऐलान – 'बीम चालू हैं'

एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर ऐलान करते हुए लिखा, "The beams are on", यानी बीम चालू हो चुके हैं। यह संकेत था कि स्टारलिंक के सैटेलाइट अब ईरान में इंटरनेट सिग्नल बीम कर रहे हैं, और जिनके पास स्टारलिंक किट है, वे अब सैटेलाइट के ज़रिए इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।

स्टारलिंक की यह सर्विस ऐसे समय में शुरू की गई है, जब ईरान की सरकार ने इंटरनेट को पूरी तरह से नियंत्रित करने का प्रयास किया है। यह कदम स्पष्ट रूप से सेंसरशिप और सूचना के नियंत्रण के खिलाफ मस्क की टेक्नोलॉजी के रूप में देखा जा रहा है।

इंटरनेट बैन का तोड़: मस्क का ‘डिजिटल प्रतिरोध’

यह पहली बार नहीं है जब एलन मस्क ने किसी देश में इंटरनेट प्रतिबंध का जवाब स्टारलिंक से दिया हो। इससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के आग्रह पर मस्क ने स्टारलिंक सेवा वहां सक्रिय की थी, जिससे यूक्रेन की सेना और नागरिक संपर्क बनाए रखने में सफल रहे।अब ईरान में भी मस्क ने उसी रणनीति को दोहराया है। 

सरकार की ओर से लगाए गए बैन के बावजूद जिनके पास स्टारलिंक किट है, वे अब सरकार की अनुमति के बिना वैश्विक इंटरनेट से जुड़ सकते हैं। यह एक तरह से सरकारी सेंसरशिप के खिलाफ डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

कैसे काम करता है स्टारलिंक?

स्टारलिंक सेवा के पीछे एक उन्नत सैटेलाइट नेटवर्क काम करता है। इसके 3,000 से अधिक सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में घूमते रहते हैं और धरती पर मौजूद डिश एंटेना को सिग्नल भेजते हैं। यह एंटेना एक राउटर से जुड़ा होता है, जो पूरे घर या दायरे में वाई-फाई नेटवर्क बनाता है। डिश को खुले आसमान के नीचे, छत या किसी खुले स्थान पर स्थापित करना होता है, ठीक उसी तरह जैसे हम DTH एंटीना लगाते हैं। सिग्नल राउटर तक पहुंचते हैं, और फिर मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसे उपकरणों में इंटरनेट चालू हो जाता है।

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि ईरान में स्टारलिंक की कितनी किटें मौजूद हैं। लेकिन एक बात तय है कि देश में जिन लोगों के पास पहले से ये किटें थीं – चाहे कानूनी तौर पर या ब्लैक मार्केट से खरीदी गई हों – वे अब इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। गौरतलब है कि कई देशों में जहां स्टारलिंक सेवा कानूनी रूप से उपलब्ध नहीं है, वहां यह ब्लैक मार्केट के ज़रिए पहुंचती है। म्यांमार, थाईलैंड और भारत के मणिपुर जैसे इलाकों में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां संकट के समय स्टारलिंक किटें मिली हैं।

सरकारें असहज, लेकिन जनता को राहत

ईरान सरकार के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है क्योंकि यह उसकी सूचना नियंत्रण नीति को सीधी चुनौती देता है। लेकिन आम लोगों के लिए यह एक संजीवनी की तरह है। अब वे न सिर्फ अपने प्रियजनों से संपर्क में रह सकते हैं, बल्कि दुनिया भर में हो रही घटनाओं से भी जुड़ सकते हैं। माना जा रहा है कि यदि स्टारलिंक की किटें ईरान में तेजी से फैलती हैं, तो सरकार की ओर से कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन यह भी साफ है कि डिजिटल दुनिया में अब सरकारें हर सूचना को नहीं रोक सकतीं, खासकर जब सैटेलाइट टेक्नोलॉजी जैसे विकल्प मौजूद हैं।

एलन मस्क ने यह तो साफ कर दिया कि स्टारलिंक सेवा ईरान में एक्टिव है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इसका चार्ज क्या होगा। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सेवा को कुछ समय के लिए फ्री ट्रायल मोड में शुरू किया गया है। लेकिन यदि यह स्थायी रूप से चालू रहती है, तो यूज़र्स को शायद मासिक प्लान चुनना पड़े।

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