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UP News: अमित शाह के 'मित्र' बयान से सियासत गर्म, अखिलेश यादव का तंज और भाजपा का पलटवार

UP News: अमित शाह के 'मित्र' बयान से सियासत गर्म, अखिलेश यादव का तंज और भाजपा का पलटवार

लखनऊ में अमित शाह के 'मित्र' बयान ने यूपी की सियासत में हलचल मचा दी। अखिलेश यादव ने तंज कसा, जबकि भाजपा ने पलटवार करते हुए एकजुटता का संदेश दिया।

UP News: लखनऊ में हाल ही में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में एक रोचक सियासी दृश्य देखने को मिला। इस मंच पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य साथ बैठे थे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 60 हजार से अधिक नव-नियुक्त पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र देना था। लेकिन इस पूरे आयोजन में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बन गया अमित शाह का केशव प्रसाद मौर्य को 'मित्र' कहकर संबोधित करना।

अमित शाह मंच के बीचों-बीच बैठे थे, उनकी दाईं ओर सीएम योगी और बाईं ओर डिप्टी सीएम मौर्य थे। पूरे कार्यक्रम के दौरान अमित शाह दोनों नेताओं से संवाद करते रहे। लेकिन जैसे ही उन्होंने अपने संबोधन में मौर्य को 'मित्र' कहा, राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।

'मित्र' संबोधन ने खींचा ध्यान

अमित शाह ने केशव मौर्य को सार्वजनिक मंच से पहली बार 'मित्र' कहकर संबोधित किया। खास बात यह थी कि सीएम योगी भी उस समय मंच पर मौजूद थे। सोशल मीडिया पर इस वीडियो क्लिप को तेजी से साझा किया गया, जिसमें सिर्फ 'मित्र' वाला हिस्सा हाइलाइट किया गया।

हालांकि, यदि पूरा संबोधन ध्यान से सुना जाए तो यह स्पष्ट होता है कि अमित शाह ने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'सफल और लोकप्रिय' सीएम कहा और फिर मौर्य को 'मित्र' बताया। इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की रणनीति के नजरिए से देखा जा रहा है, जिसमें अमित शाह ने एक साथ योगी और मौर्य दोनों को सियासी संदेश दिया।

भाजपा की ओबीसी राजनीति को नई दिशा

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अमित शाह का यह बयान केवल शब्द भर नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक सशक्त सियासी संदेश छिपा था। ओबीसी वर्ग की राजनीति में भाजपा की पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश के तहत यह बयान देखा जा रहा है।

केशव मौर्य, जो कि पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरों में से एक हैं, विधानसभा चुनाव में हार के बाद कुछ हद तक सियासी हाशिए पर चले गए थे। लेकिन इस बार अमित शाह द्वारा सार्वजनिक मंच से उन्हें 'मित्र' कहने से यह संकेत मिल रहा है कि भाजपा फिर से ओबीसी कार्ड को धार देने की तैयारी में है।

सीएम योगी के लिए भी दिया गया स्पष्ट संदेश

अमित शाह ने अपने संबोधन में सीएम योगी की भी खुलकर तारीफ की। उन्हें 'सफल और लोकप्रिय' मुख्यमंत्री बताया। इससे यह स्पष्ट संकेत गया कि पार्टी नेतृत्व फिलहाल मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर किसी तरह के बदलाव के मूड में नहीं है।

यह भाजपा की स्पष्ट रणनीति मानी जा सकती है, जिसमें एक ओर ओबीसी वर्ग को साधा जा रहा है और दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को भी बरकरार रखा जा रहा है। यानी भाजपा यह संदेश देने में कामयाब रही है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी पूरी तरह एकजुट है।

अखिलेश यादव का तंज और भाजपा की प्रतिक्रिया

इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "इन्होंने इश्तहार में न लगाया उनका चित्र... उन्होंने किसी और को कह दिया 'मित्र'!" उनके इस बयान को भाजपा के भीतर चल रही संभावित खींचतान की ओर इशारा माना गया।

हालांकि, भाजपा की ओर से जवाब भी तुरंत आया। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि सपा और कांग्रेस के मंचों पर जहां आपसी लड़ाई और गाली-गलौज होती है, वहीं भाजपा में आपसी सम्मान और सौहार्द है। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने सीएम योगी की तारीफ की और मौर्य को 'मित्र' कहा, यह राजनीति में सकारात्मक संकेत है।

विपक्ष के नैरेटिव की काट

भाजपा के इस कदम को सपा द्वारा बनाए गए 'ठाकुर बनाम PDA' नैरेटिव की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है। अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार को एक जाति विशेष की सरकार करार देते रहे हैं। ऐसे में अमित शाह का यह बयान भाजपा के समावेशी चेहरे को सामने लाने की कोशिश माना जा सकता है।

मौर्य की वापसी की तैयारी?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी मौर्य को फिर से सक्रिय सियासी भूमिका में लाना चाहती है। ओबीसी समाज में उनकी मजबूत पकड़ को फिर से भुनाने की तैयारी हो रही है। साथ ही यह भी संकेत है कि मौर्य को कमजोर आंकना जल्दबाजी होगी।

हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह मौर्य के क्षेत्र में भाजपा को नुकसान हुआ था, उससे उनके राजनीतिक कद पर असर पड़ा था। अब भाजपा शायद उन्हें फिर से केंद्रीय भूमिका देने का प्रयास कर रही है।

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