अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने फिडे महिला विश्व कप फाइनल के दूसरे गेम में शानदार प्रदर्शन करते हुए ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को ड्रॉ खेलने पर मजबूर कर दिया। हम्पी, जो कि दिव्या से ऊंची रैंकिंग की खिलाड़ी हैं, उन्हें कोई बढ़त नहीं मिल सकी।
FIDE Women's World Cup Final 2025: FIDE महिला शतरंज विश्व कप 2025 के फाइनल मुकाबले में भारत की उभरती हुई सितारा दिव्या देशमुख ने अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को दूसरे गेम में ड्रॉ पर रोकते हुए मुकाबले को टाईब्रेकर तक पहुंचा दिया है। अब खिताब का फैसला सोमवार को होने वाले शॉर्ट टाइम फॉर्मेट के मुकाबलों से होगा।
19 वर्षीय नागपुर की दिव्या ने हम्पी को काले मोहरों से खेलते हुए कड़ी चुनौती दी और मुकाबले को 34 चालों के बाद बराबरी पर खत्म करने के लिए मजबूर कर दिया। इससे पहले शनिवार को पहला गेम भी ड्रॉ पर समाप्त हुआ था, लेकिन दिव्या ने उस मुकाबले में कुछ चूकों की बात स्वीकार की थी।
टाईब्रेकर का फॉर्मेट: कैसे होगा विजेता का फैसला?
अब जब दोनों क्लासिकल गेम्स बराबरी पर रहे, तो मुकाबला अब टाईब्रेकर की ओर बढ़ गया है, जिसमें निम्नलिखित फॉर्मेट अपनाया जाएगा:
- 15-15 मिनट के दो रैपिड गेम खेले जाएंगे, जिसमें हर चाल के बाद 10 सेकंड का इजाफा होगा।
- अगर स्कोर बराबर रहा, तो 10-10 मिनट के दो और गेम होंगे, हर चाल पर 10 सेकंड बढ़ाया जाएगा।
- फिर भी परिणाम न निकला, तो 5-5 मिनट के दो ब्लिट्ज गेम खेले जाएंगे, हर चाल के बाद 3 सेकंड की वृद्धि होगी।
- अंत में, 3 मिनट + 2 सेकंड इन्क्रीमेंट का एक आर्मगेडन मुकाबला तब तक खेला जाएगा जब तक कोई विजेता सामने न आ जाए।
दिव्या का आत्मविश्वास और रणनीतिक वापसी
दूसरे गेम में दिव्या देशमुख ने बेहद रणनीतिक खेल दिखाया। उन्होंने हम्पी के हर कदम का सटीक जवाब दिया और उस मौके का फायदा उठाया जब हम्पी ने एक प्यादा गंवाया। हालांकि हम्पी ने उलझाने की कोशिश की, लेकिन इस प्रक्रिया में अपने दो बिशप भी खो बैठीं, जिससे दिव्या को संतुलन बनाने और बराबरी पर लाने का मौका मिला।
दिव्या ने कहा: पहला गेम मेरे लिए काफी निराशाजनक था। वह ड्रॉ जरूर रहा, लेकिन मुझे हार जैसा महसूस हुआ। आज मैंने बस खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखा और आसान खेलने की कोशिश की।
मानसिक मजबूती की मिसाल हैं दिव्या
जब दिव्या से पूछा गया कि वह पहले गेम की गलतियों को भुलाकर कैसे अगले गेम पर ध्यान केंद्रित करती हैं, तो उन्होंने बेहद भावुक और प्रेरणादायक जवाब दिया: मैं खुद से कहती हूं कि दुखी होने के लिए मेरे पास पूरी जिंदगी है, इसलिए आज दुखी मत हो। अभी के खेल पर फोकस करो। अगर अभी दुखी रहूंगी, तो अगला गेम भी खराब होगा।”
यह मानसिक मजबूती ही उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है। अगर दिव्या सोमवार को टाईब्रेकर में हम्पी को हरा देती हैं, तो वह महिला ग्रैंडमास्टर (WGM) से फुल ग्रैंडमास्टर (GM) बनने की ओर अपना आखिरी कदम पूरा कर लेंगी। इस उपलब्धि के साथ वह भारत की सबसे युवा महिला ग्रैंडमास्टर में शामिल हो सकती हैं।