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विनायक चतुर्थी पर क्यों सुनी जाती है, बुढ़िया की खास कथा? जानिए कारण

विनायक चतुर्थी पर क्यों सुनी जाती है, बुढ़िया की खास कथा? जानिए कारण

आज 28 जुलाई 2025, सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जा रहा है क्योंकि आज श्रावण मास की विनायक चतुर्थी है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है और इस मौके पर देशभर में भक्तगण पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं, पूजन करते हैं और विनायक चतुर्थी की व्रत कथा का श्रवण या पाठ करते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस व्रत को करता है और कथा सुनता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन श्रावण मास की विनायक चतुर्थी को विशेष रूप से शुभ और फलदायक माना जाता है। इस दिन भगवान गणपति की पूजा करने से विघ्न, कष्ट, रोग, ऋण और दरिद्रता दूर होती है। भक्तजन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं और दिनभर उपवास रखते हैं। शाम को गणपति की मूर्ति की पूजा करके कथा का पाठ किया जाता है।

पौराणिक कथा: एक बुढ़िया और बप्पा की लीला

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय की बात है कि एक गरीब बुढ़िया हर दिन मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती थी। लेकिन मिट्टी की मूर्ति हर बार गल जाती थी, जिससे बुढ़िया को बहुत दुख होता था। एक दिन उसने सोचा कि अगर मेरे पास पत्थर की गणेश मूर्ति हो जाए तो मैं रोज पूजा कर सकूं।

एक दिन वह बुढ़िया अपने गांव में बन रहे सेठ के नए मकान की साइट पर पहुंची और वहां काम कर रहे मिस्त्रियों से विनती करने लगी, ‘‘बेटा, मेरे लिए एक छोटा-सा पत्थर का गणेश बना दो, ताकि मैं रोज पूजा कर सकूं।’’

मिस्त्री बोले, ‘‘माई, हमारे पास इतना समय नहीं है, जितनी देर में तुम्हारा गणेश बनाएंगे, उतनी देर में हम दीवार क्यों न बना लें। सेठ का काम रुक जाएगा।’’

इस पर बुढ़िया ने भावुक होकर कहा, ‘‘राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए।’’ और जैसे ही उसने यह कहा, मिस्त्रियों की बनती दीवार सचमुच टेढ़ी हो गई। वे चाहे जितनी बार उसे बनाएँ, दीवार हर बार ढह जाती।

सेठ को समझ में आया गणेश जी का चमत्कार

शाम को जब सेठ अपने निर्माण स्थल पर आया और देखा कि एक दिन में दीवार नहीं बन पाई, तो उसने मिस्त्रियों से कारण पूछा। मिस्त्रियों ने सब कुछ बता दिया कि एक बुढ़िया आई थी और उसके श्राप जैसी बात से ही दीवार बन नहीं रही।

सेठ को यह बात चुभ गई। उसने तुरंत उस बुढ़िया को बुलवाया और माफी मांगते हुए कहा, ‘‘माई, अब हम तुम्हारे लिए सोने की गणेश प्रतिमा बनवाएंगे, कृपया हमारी दीवार सही करवा दो।’’

बुढ़िया ने मन ही मन भगवान गणेश का ध्यान किया और कहा, ‘‘हे बप्पा, जैसे मेरी विनती से ये दीवार टेढ़ी हुई, वैसे ही अब सब कुछ सही कर दो।’’

उसके इतना कहते ही दीवार सही बनने लगी और निर्माण कार्य आसानी से पूरा हुआ। सेठ ने अपने वचन अनुसार बुढ़िया को सोने का सुंदर गणेश दिया। वह बुढ़िया दिन-रात उस मूर्ति की सेवा और भक्ति करती रही।

भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी

इस कथा का सार यही है कि भगवान गणेश अपने सच्चे भक्त की हमेशा सुनते हैं। एक गरीब बुढ़िया के मन की भक्ति को भगवान ने पहचाना और उसके लिए चमत्कार कर दिखाया। सेठ को भी यह अनुभव हो गया कि गणपति बप्पा सिर्फ धन या वैभव नहीं देखते, बल्कि भावना और भक्ति को महत्व देते हैं।

आज भी इस कथा का व्रत और पाठ करने से जीवन की तमाम बाधाएं दूर होती हैं। व्रत रखने वाले लोग इस कथा को श्रद्धा से सुनते हैं और अंत में बप्पा से प्रार्थना करते हैं कि वे जीवन में खुशहाली और सुख-शांति दें।

घर-घर में होता है गणपति पूजन

विनायक चतुर्थी के दिन सुबह से ही लोग स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। घरों में मिट्टी, पीतल या संगमरमर की गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है। भगवान को दूर्वा, लड्डू, मोदक, धूप, दीप और फूल अर्पित किए जाते हैं। व्रत की कथा सुनी जाती है और आरती गाई जाती है।

व्रत करने वाले दिनभर उपवास करते हैं और शाम को गणेश जी की पूजा कर व्रत का पारण करते हैं। कई लोग इस दिन गणेश मंदिर में जाकर भी विशेष पूजा करते हैं और गणपति को प्रिय वस्तुएं चढ़ाते हैं।

गांव-शहरों में उत्सव का माहौल

विनायक चतुर्थी केवल घरों में ही नहीं, बल्कि गांव और शहरों में भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। मंदिरों में खास सजावट की जाती है और श्रद्धालु दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं। कहीं-कहीं पर झांकियां सजाई जाती हैं, तो कई जगह भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

कथा पाठ से मिलती है विशेष कृपा

कहते हैं विनायक चतुर्थी की कथा को सच्चे मन से सुनने और उसके महत्व को समझने से जीवन में सद्बुद्धि, समृद्धि और सफलता का मार्ग खुलता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और जो भी उनकी आराधना करता है, उसकी सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।

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