फिडे विश्व कप के दूसरे दौर के पहले मुकाबले में भारतीय ग्रैंडमास्टर विदित गुजराती को 12 वर्षीय अर्जेंटीनी प्रतिभा ओरो फाउस्टिनो ने ड्रॉ पर रोक दिया। ‘चेस के मेसी’ के नाम से मशहूर फाउस्टिनो ने अपनी असाधारण खेल क्षमता से एक बार फिर सबको हैरान कर दिया।
स्पोर्ट्स डेस्क: शतरंज की दुनिया में उभरते सितारे ओरो फाउस्टिनो (Oro Faustino) ने एक बार फिर सबको हैरान कर दिया है। महज़ 12 साल की उम्र में इस अर्जेंटीनी प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने FIDE World Cup 2025 के दूसरे दौर के पहले मुकाबले में भारत के शीर्ष ग्रैंडमास्टर विदित गुजराती को ड्रॉ पर रोक लिया।
अपने शानदार प्रदर्शन और आत्मविश्वास से फाउस्टिनो ने यह साबित कर दिया कि उम्र प्रतिभा की सीमा नहीं है। यही वजह है कि उन्हें अब “चेस का मेसी (Messi of Chess)” कहा जा रहा है।
पहले दौर में सनसनी, दूसरे में भारतीय दिग्गज से टक्कर
फाउस्टिनो ने फिडे विश्व कप के पहले दौर में ही धमाका कर दिया था। उन्होंने क्रोएशिया के अनुभवी ग्रैंडमास्टर आंटे ब्रकिक (Ante Brkic) को हराकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। अब दूसरे दौर में, जब उनका सामना भारत के स्टार खिलाड़ी विदित गुजराती से हुआ, तो सभी को लगा कि अनुभव फाउस्टिनो पर भारी पड़ेगा — लेकिन हुआ इसका उल्टा।
12 वर्षीय फाउस्टिनो ने पूरे मैच में विदित को कड़ी टक्कर दी। दोनों खिलाड़ियों के बीच का यह मुकाबला लगभग बराबरी का रहा और अंततः 28 चालों के बाद ड्रॉ पर समाप्त हुआ।

फाउस्टिनो का बर्लिन डिफेंस और विदित की रणनीति
मंगलवार को खेले गए इस मुकाबले में फाउस्टिनो ने काले मोहरों से बर्लिन डिफेंस (Berlin Defense) का उपयोग किया — जो विश्व स्तर पर एक ठोस और रणनीतिक ओपनिंग मानी जाती है। विदित ने सफेद मोहरों से खेलते हुए शुरुआत में बढ़त बनाने की कोशिश की और मिडिल गेम में पहल अपने हाथ में लेने का प्रयास किया।
लेकिन फाउस्टिनो ने शांत दिमाग और सटीक चालों से विदित की हर कोशिश को बेअसर कर दिया। खेल के अंत में जब स्थिति बराबर बनी रही, तो विदित ने जोखिम न लेते हुए तीन बार एक ही पोजिशन दोहराई, जिससे नियमों के अनुसार मैच ड्रॉ घोषित किया गया।
विदित गुजराती पर दबाव, लेकिन अभी मौका बाकी
यह टूर्नामेंट विदित गुजराती के लिए बेहद अहम है। यही उनके लिए FIDE Candidates Tournament 2026 में क्वालिफाई करने का अंतिम मौका है। विश्व कप के शीर्ष तीन खिलाड़ी सीधे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह बनाएंगे — जहां से विश्व चैंपियनशिप के लिए दावेदारी तय होती है। अब बुधवार को होने वाले रिटर्न गेम में विदित काले मोहरों से खेलेंगे। यदि वह मुकाबला भी बराबरी पर छूटता है, तो दोनों खिलाड़ियों के बीच टाई-ब्रेक गेम्स (कम समय वाले खेल) के जरिए नतीजा तय किया जाएगा।
ओरो फाउस्टिनो को “Chess का मेसी” कहना यूं ही नहीं है। अर्जेंटीना, जो फुटबॉल में लियोनेल मेसी के लिए जाना जाता है, अब शतरंज में भी एक नए ‘मेसी’ को देख रहा है। फाउस्टिनो की शैली में आत्मविश्वास, गहराई और अनोखी परिपक्वता दिखाई देती है। केवल 12 साल की उम्र में उन्होंने उन ग्रैंडमास्टर्स को चुनौती दी है, जो वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं।













