इंसान की जिंदगी ना एकदम सीख कबाब के माफिक है, जब तक वो सरिया अंदर घुसता नहीं है ना, बात समझ में नहीं आती. यह डायलॉग गहरी बात को हल्के अंदाज़ में कह देता है. यानी जब तक जिंदगी में कोई बड़ा झटका या मुश्किल हालात नहीं आते, तब तक इंसान सीखता नहीं है।
- रिव्यू: फर्स्ट कॉपी
- Source: IMDB
- Director: Farhan Zamma
- Starring: Munawar Faruqui, Krystle D'Souza, Saqib Ayub
- रेटिंग: 3.5 स्टार्स
First Copy Web Series Review: स्टैंडअप कॉमेडी की दुनिया से निकलकर ओटीटी पर कदम रखने वाले मुनव्वर फारूकी ने अपनी पहली वेब सीरीज First Copy में साबित कर दिया है कि उनके पास केवल पंचलाइनों की ताकत नहीं, बल्कि एक सच्चा कलाकार बनने की काबिलियत भी है। अमेजन एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई इस सीरीज में फारूकी एक संघर्षशील युवक की भूमिका निभाते हैं, जिसकी जिंदगी और सपनों के बीच की लड़ाई आज के दौर के हर आम इंसान को छू जाती है।
कहानी की जड़ें हैं ज़मीन से जुड़ी
First Copy की कहानी है आरिफ नाम के एक युवक की, जो शादीशुदा है लेकिन बेरोजगार है। जेल की एक छोटी सी सजा के बाद वह अपने जीवन की नई शुरुआत करता है – और वो भी पायरेसी जैसे गैरकानूनी रास्ते से। सीडी पर चोरी की फिल्में बेचना उसका नया काम बनता है। मगर यह कहानी सिर्फ उसके धंधे की नहीं है, बल्कि उसकी जिंदगी के उन अनछुए पहलुओं की भी है जिन्हें समाज नजरअंदाज करता है।
फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध से दूर इस सीरीज में वह हिस्सा दिखाया गया है जहां एक राइटर, एक छोटा डिस्ट्रीब्यूटर, एक असफल एक्ट्रेस, और एक मजबूर पति – सभी किसी न किसी तरह से सिस्टम से लड़ रहे हैं।
सीरीज का दिल: दमदार संवाद और सच्ची भावनाएं
First Copy का सबसे मजबूत पहलू इसकी लेखनी है। फरहान ज़म्मा और जुनैद खलीफा ने एक ऐसी कहानी लिखी है जो भावुक तो है, पर बोझिल नहीं लगती। आरिफ का डायलॉग, इंडस्ट्री में सबसे बड़ा फाइटर राइटर होता है केवल एक लाइन नहीं, बल्कि पूरी इंडस्ट्री के एक हिस्से की हकीकत है। वॉकमैन बेचने वाला आरिफ जब कहता है, जेब में 50 रुपये नहीं और चाहता है कि किशोर कुमार कान में गाना गाएं, तो वो केवल ताना नहीं, एक पूरा सामाजिक व्यंग्य बन जाता है। डायलॉग्स में मुंबई की गलियों की खुशबू है, साथ ही उस कड़वाहट की भी झलक है जो फिल्म इंडस्ट्री के कड़वे सच को उजागर करती है।
अभिनय: मुनव्वर फारूकी का सहज अभिनय है जीत का कारण
मुनव्वर फारूकी का अभिनय इस सीरीज की सबसे बड़ी जीत है। उन्होंने अपने किरदार को ओवरएक्टिंग से बचाते हुए बेहद प्राकृतिक ढंग से निभाया है। मुंबई की गलियों से आए इस कलाकार की जुबान और अंदाज दोनों ही कहानी में जान फूंकते हैं। आशी सिंह ने उनकी पत्नी आफरीन का किरदार बेहद सादगी और गहराई से निभाया है। वहीं क्रिस्टल डिसूजा, साकिब अयूब, इनामुल हक, गुलशन ग्रोवर, और मियांग चेंग जैसे सह कलाकारों ने भी अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी अच्छे से निभाई है।
निर्देशन और टेक्निकल पक्ष
फरहान ज़म्मा ने ना सिर्फ इस सीरीज को लिखा है बल्कि उसे निर्देशित भी किया है। उनकी समझ यह बताती है कि वह खुद भी फिल्म इंडस्ट्री के अंदर के सच से अच्छी तरह वाकिफ हैं। कैमरा वर्क, एडिटिंग और बैकग्राउंड स्कोर साधारण हैं, लेकिन कहानी में किसी भी तरह की रुकावट नहीं लाते। सीरीज की लंबाई और गति दोनों ही दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहती है। हर एपिसोड 25-30 मिनट का है और पूरे 10 एपिसोड में कोई भी हिस्सा अनावश्यक नहीं लगता।
क्या है खास और क्यों देखें?
- मुनव्वर फारूकी की परिपक्व अदायगी
- बेहतरीन संवाद लेखन
- फिल्म इंडस्ट्री की अंधी गलियों में झांकती रोशनी
- छोटे शहरों से आए सपनों की असली लड़ाई
First Copy कोई टिपिकल ग्लैमरस सीरीज नहीं है। यह एक नग्न यथार्थ है, जिसमें सपने भी हैं और उनकी कुर्बानी भी। अगर आप ऐसी कहानी देखना चाहते हैं जिसमें मनोरंजन और संदेश दोनों हो, तो यह सीरीज एकदम फिट है।