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गुजरात में 804 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा, 10 आरोपी गिरफ्तार

गुजरात में 804 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा, 10 आरोपी गिरफ्तार

गुजरात में साइबर क्राइम टीम ने 804 करोड़ रुपये के फ्रॉड का पर्दाफाश किया। 482 बैंक खातों के जरिए किए गए इस अपराध में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने लोगों को डिजिटल सुरक्षा और सतर्क रहने की चेतावनी दी।

गांधीनगर: गुजरात पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने 804 करोड़ रुपये के ऑनलाइन फ्रॉड का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों से ठगी की। इस जांच के दौरान पुलिस को 482 बैंक अकाउंट, सैकड़ों एटीएम कार्ड और मोबाइल उपकरण बरामद हुए हैं।

साइबर अपराध में दर्ज हुई 1549 FIR

आरोपियों के खिलाफ नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कुल 1549 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इन शिकायतों के आधार पर गुजरात में 22 एफआईआर दर्ज की गईं। अहमदाबाद और मोरबी में विशेष रूप से तीन मामले सामने आए, जिनमें लगभग 17.75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

साइबर अपराधों की जांच में पता चला कि आरोपी विभिन्न डिजिटल माध्यमों और ऑनलाइन फ्रॉड के तरीकों से लोगों को अपना शिकार बनाते थे। उन्होंने बड़े पैमाने पर लोगों को निवेश, बैंकिंग और नौकरी के झांसे में लाकर ठगी की।

आरोपियों द्वारा अपनाए गए फ्रॉड के तरीके

आरोपी कई तरह के ऑनलाइन फ्रॉड में शामिल थे। उन्होंने डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों को डराया और लालच दिखाकर पैसे की ठगी की। इसके अलावा, शेयर निवेश, यूपीआई फ्रॉड, बैंक लोन और पार्ट-टाइम नौकरी के नाम पर लोगों से लाखों रुपये ठगने का खुलासा हुआ।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास 686 सिम कार्ड, 16 पीओएस मशीनें, 60 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 11 साउंड बॉक्स और 17 क्यूआर कोड जैसे उपकरण भी बरामद हुए। यह साफ करता है कि आरोपी बड़े नेटवर्क के जरिए ऑनलाइन धोखाधड़ी कर रहे थे।

जनता के लिए पुलिस की चेतावनी

दिल्ली पुलिस ने इस तरह के साइबर अपराधों के प्रति जनता को सतर्क रहने की सलाह दी। पुलिस उपायुक्त (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि लालच या डर दिखाकर लोगों को ठगने वाले अपराधियों से बचने के लिए जागरूक रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर नकली बैंक अधिकारी या पुलिसकर्मी पर भरोसा करके अपनी संवेदनशील जानकारी साझा कर देते हैं।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने ‘इंफॉरमेशन डिस्टेंसिंग’ की आवश्यकता पर जोर दिया। कोविड-19 के दौरान अपनाई गई सोशल डिस्टेंसिंग की तरह ही, व्यक्तिगत और सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग ईमेल का इस्तेमाल और मज़बूत पासवर्ड रखने की सलाह दी गई।

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