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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया सुधारने की मांग की

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया सुधारने की मांग की

भारत की न्यायपालिका में नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने CJI बी.आर. गवई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है।

नई दिल्ली: भारत की न्यायपालिका में जजों की नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर विवाद गरमाया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आग्रह किया है। SCBA ने मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली की खामियों को उजागर करते हुए पारदर्शिता, निष्पक्षता और योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया की मांग की है।

SCBA ने उजागर की कॉलेजियम प्रणाली की खामियां

SCBA अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने 12 सितंबर को CJI और कानून मंत्री को पत्र लिखकर मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली की संरचनात्मक कमियों को सामने रखा। पत्र में बताया गया कि वर्तमान प्रणाली में नियुक्तियों में देरी और असंगति न्यायपालिका की निष्पक्षता और जनता के विश्वास को कमजोर कर रही है।

SCBA ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सबसे पहले नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाना जरूरी है।

ज्ञापन (MOP) का महत्व

SCBA ने अपने पत्र में मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) को तुरंत अंतिम रूप देने पर जोर दिया। यह ज्ञापन न्यायपालिका में नियुक्तियों की प्रक्रिया को स्पष्ट, निष्पक्ष और योग्यता-आधारित ढांचे में बदलने का मार्गदर्शन करेगा। संगठन ने कहा कि यदि न्यायपालिका को वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाना है, तो जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावी, पारदर्शी और समयबद्ध बनाना अनिवार्य है। MOP के लागू होने से न केवल नियुक्तियों में देरी कम होगी बल्कि प्रतिभाशाली वकीलों और न्यायाधीशों को भी उचित अवसर मिलेगा।

बार एसोसिएशन ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली, जो शुरू में न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी, अब अपने स्वयं के बोझ तले दब गई है। SCBA ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट बार के कई प्रतिभाशाली वकीलों को जानबूझकर उनके गृह राज्य के हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने से वंचित किया जा रहा है। जबकि इन वकीलों के पास राष्ट्रीय कानून व्यवस्था और न्यायिक दृष्टिकोण का व्यापक अनुभव है। SCBA के अनुसार, यह सीधे मेधा आधारित चयन प्रणाली के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।

संगठन ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि योग्यता और अनुभव के आधार पर चयन न्यायपालिका की गुणवत्ता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का सबसे भरोसेमंद तरीका है।

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