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गुरु पूर्णिमा: गुरु का आशीर्वाद और हमारी कृतज्ञता

गुरु पूर्णिमा: गुरु का आशीर्वाद और हमारी कृतज्ञता

गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पावन पर्व है जो गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को दर्शाता है। यह दिन गुरु के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदू धर्म के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्हें सभी गुरुओं का गुरु माना जाता है। इस लेख में हम गुरु पूर्णिमा के महत्व, इसके इतिहास, परंपराओं और आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करेंगे।

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

गुरु पूर्णिमा को "व्यास पूर्णिमा" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने चारों वेदों का विभाजन किया, महाभारत की रचना की और अठारह पुराणों को संकलित किया। उन्होंने ज्ञान की इस विरासत को आगे बढ़ाया, इसलिए उन्हें "आदिगुरु" माना जाता है।

बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा

बौद्ध धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे "धर्मचक्र प्रवर्तन" कहा जाता है। इसलिए, बौद्ध अनुयायी भी इस दिन को पूजा और ध्यान के साथ मनाते हैं।

गुरु का महत्व

संस्कृत में एक प्रसिद्ध श्लोक है:
"गुकारः अन्धकारः, रुकारः तेज रूपः।
अन्धकार नाशकत्वात् गुरुरित्यभिधीयते॥"

गुरु शब्द की व्याख्या करें तो 'गु' का तात्पर्य है अज्ञानता का अंधकार और 'रु' का अर्थ है ज्ञान का प्रकाश। इस प्रकार, गुरु वह पावन व्यक्तित्व है जो हमारे मन में छाए अज्ञान के बादलों को हटाकर विवेक और बोध की किरणें प्रसारित करता है। वह एक प्रकाशस्तंभ की भाँति हमें जीवन के संकटों और भ्रमों से मार्गदर्शन करता है।गुरु है।

गुरु के प्रकार

हिंदू परंपरा में गुरु के विभिन्न प्रकार बताए गए हैं:
शिक्षक गुरु – जो विद्या प्रदान करता है।
दीक्षा गुरु – जो मंत्र और आध्यात्मिक ज्ञान देता है।
सद्गुरु – जो मोक्ष का मार्ग दिखाता है।

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?

पारंपरिक विधियाँ

गुरु पूजन – इस दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों में फूल, फल और वस्त्र अर्पित करते हैं।
ध्यान और सत्संग – आध्यात्मिक गुरुओं के सान्निध्य में भजन-कीर्तन और प्रवचन होते हैं।
व्यास पूजा – कई घरों और मंदिरों में वेदव्यास की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।
दान-पुण्य – इस दिन ज्ञान और शिक्षा से जुड़े कार्यों में दान देना शुभ माना जाता है।

आधुनिक समय में गुरु पूर्णिमा

आज के समय में गुरु पूर्णिमा का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक और सामाजिक दृष्टि से भी है। शिक्षक दिवस की तरह, यह दिन शिक्षकों, प्रोफेसरों और मार्गदर्शकों को सम्मानित करने का अवसर देता है।

गुरु-शिष्य परंपरा के प्रसिद्ध उदाहरण

1. गुरु द्रोण और एकलव्य

एकलव्य ने गुरु द्रोण के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा दिखाई। जब गुरु ने गुरु दक्षिणा के रूप में उसका अंगूठा माँगा, तो उसने बिना हिचकिचाहट अपना अंगूठा काटकर दे दिया।

2. संत कबीर और गुरु रामानंद

कबीरदास ने गुरु रामानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया। उन्होंने गुरु के एक शब्द "राम" को ही अपना मंत्र मान लिया और जीवनभर उसी का जाप किया।

3. स्वामी विवेकानंद और गुरु रामकृष्ण परमहंस

स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु माना। गुरु की शिक्षाओं ने उन्हें देश और दुनिया में वेदांत का प्रचार करने के लिए प्रेरित किया।

आत्मज्ञान की प्राप्ति

गुरु का मुख्य उद्देश्य शिष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाना है। जैसे कहा गया है:
"गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय॥"

इस दिव्य सत्य को समझें कि गुरु और ईश्वर एक साथ उपस्थित हों तो गुरु को प्रथम नमन करना चाहिए। कारण स्पष्ट है - गुरु ही वह माध्यम हैं जिनके द्वारा परमात्म-तत्व का बोध होता है। वे ईश्वर तक पहुँचने के सोपान हैं, इसलिए उनका स्थान सर्वोपरि है।"

मन की शुद्धि

गुरु का मार्गदर्शन मनुष्य को अहंकार, लालच और मोह से मुक्त करता है। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है।
गुरु पूर्णिमा एक ऐसा पावन अवसर है जो हमें याद दिलाता है कि गुरु के बिना ज्ञान, भक्ति और मोक्ष संभव नहीं है। चाहे वह शैक्षिक गुरु हो या आध्यात्मिक गुरु, उनका स्थान ईश्वर से भी ऊपर है। इस दिन हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

"अज्ञान तिमिरांधस्य, ज्ञानांजन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः॥"

अर्थात, जिस गुरु ने अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी अंजन से दूर करके मेरी आँखें खोल दीं, मैं उस गुरु को प्रणाम करता हूँ।
इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा हमें गुरु के महत्व का स्मरण कराती है और जीवन में सही मार्गदर्शन का आशीर्वाद प्रदान करती है।

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