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HAL और Safran की साझेदारी से भारत में बनेगा LEAP इंजन, मेक इन इंडिया को बढ़ावा

HAL और Safran की साझेदारी से भारत में बनेगा LEAP इंजन, मेक इन इंडिया को बढ़ावा
अंतिम अपडेट: 30-11--0001

HAL एक प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है जो विमान, हेलीकॉप्टर, इंजन और संबंधित प्रणालियों के डिजाइन, विकास, निर्माण और रखरखाव में शामिल है.

HAL: कभी बेचने की कगार पर खड़ी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अब भारत की रक्षा और एयरोस्पेस क्षमताओं की रीढ़ बनती जा रही है। हाल ही में फ्रांस की प्रतिष्ठित एयरो इंजन निर्माता कंपनी सफरान एयरक्राफ्ट इंजन के साथ HAL ने एक महत्वपूर्ण औद्योगिक समझौता किया है, जो भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को एक नई दिशा देगा। इस साझेदारी के तहत भारत में विश्वस्तरीय LEAP इंजन के रोटेटिंग पार्ट्स का निर्माण किया जाएगा, जो एयरबस A320neo और बोइंग 737 MAX जैसे नागरिक विमानों में उपयोग होते हैं। यह करार सिर्फ एक व्यावसायिक समझौता नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की उड्डयन नीति का मजबूत आधार भी है।

HAL: संकट से सशक्तिकरण तक का सफर

HAL की कहानी एक समय संघर्ष और अनिश्चितता से भरी रही है। कुछ वर्षों पहले तक यह कंपनी वित्तीय दबावों और नीति अस्पष्टताओं के कारण विनिवेश की स्थिति में पहुंच गई थी। लेकिन सरकार की रणनीतिक नीतियों और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य ने HAL को नई ताकत दी। अब यह कंपनी भारत की प्रमुख नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई बन चुकी है।

HAL विमान, हेलीकॉप्टर, इंजन, एवियोनिक्स और अन्य रक्षा प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण में अग्रणी है। तेजस लड़ाकू विमान, ध्रुव हेलीकॉप्टर, और अब एयरो इंजन निर्माण जैसे क्षेत्रों में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। मौजूदा फ्रांसीसी साझेदारी इसी विकास पथ का हिस्सा है।

फ्रांस के सफरान एयरक्राफ्ट इंजन से रणनीतिक साझेदारी

फ्रांस की सफरान एयरक्राफ्ट इंजन कंपनी विश्व में उन्नत एविएशन इंजनों के निर्माण के लिए जानी जाती है। HAL और सफरान के बीच यह साझेदारी केवल औद्योगिक नहीं, बल्कि तकनीकी स्थानांतरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस साझेदारी के तहत भारत में LEAP इंजन के घूमने वाले पुर्जों का निर्माण किया जाएगा। इन पुर्जों का निर्माण Inconel जैसे उच्च ताप-सहिष्णुता वाले मटेरियल से किया जाएगा, जो एडवांस्ड इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह कदम भारत को विश्वस्तरीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग हब की ओर अग्रसर करेगा।

यह समझौता उस MoU का विस्तार है जो अक्टूबर 2023 में दोनों कंपनियों के बीच हुआ था, और फरवरी 2025 में फोर्ज्ड पार्ट्स के निर्माण को लेकर भी अनुबंध हो चुका है। इन समझौतों के बाद अब फ्रांस भारत में दीर्घकालिक उत्पादन इकाई के निर्माण की दिशा में HAL के साथ मिलकर आगे बढ़ रहा है।

मेक इन इंडिया को मिलेगा सीधा फायदा

भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति का उद्देश्य है कि देश रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। HAL और सफरान का यह नया समझौता इसी नीति को गति देने वाला है। अब LEAP इंजन जैसे आधुनिक तकनीक वाले कंपोनेंट्स का निर्माण भारत में किया जाएगा, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी और देश के भीतर तकनीकी कौशल का विकास होगा।

इसके अलावा, इससे भारत के युवाओं को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और प्रोडक्शन में नए अवसर मिलेंगे। निर्माण गतिविधियों में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को शामिल करने से रोजगार भी बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।

शेयर बाजार में हलचल, निवेशकों की बढ़ी रुचि

हाल ही में BSE में HAL का शेयर 4900.35 रुपये पर ट्रेंड कर रहा है, जिसमें हल्की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि यह गिरावट अस्थायी मानी जा रही है क्योंकि सफरान के साथ हुए नए समझौते से आने वाले समय में HAL के शेयर में सकारात्मक तेजी देखने को मिल सकती है।

HAL का 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर 5675 रुपये (9 जुलाई 2024) रहा है, जबकि न्यूनतम स्तर 3045.95 रुपये (3 मार्च 2025) तक गया था। कंपनी का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन इस समय 3.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो इसे भारत की सबसे मूल्यवान सरकारी कंपनियों में से एक बनाता है।

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि फ्रांसीसी साझेदारी और भारत में हाई-टेक प्रोडक्शन बढ़ने से HAL के शेयरों में लंबी अवधि में सकारात्मक वृद्धि होगी।

रक्षा निर्माण में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

HAL और सफरान की साझेदारी केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक रक्षा स्थिति को भी मजबूती देती है। भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं रह गया है, बल्कि वह निर्माण, निर्यात और वैश्विक साझेदारियों के जरिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है।

LEAP इंजन जैसे अत्याधुनिक कंपोनेंट्स का निर्माण भारत में होना इस बात का संकेत है कि देश अब उन्नत तकनीकों के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपने लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों के इंजन देश में बना सकेगा, बल्कि इनका निर्यात भी कर सकेगा।

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