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Haryana Day: राज्य के गौरव, संस्कृति और विकास यात्रा का उत्सव

Haryana Day: राज्य के गौरव, संस्कृति और विकास यात्रा का उत्सव

हर साल 1 नवंबर को हरियाणा दिवस (Haryana Day) पूरे राज्य में हर्ष और गर्व के साथ मनाया जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाता है जब 1966 में हरियाणा को पंजाब से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया था। यह विभाजन भाषा और संस्कृति के आधार पर किया गया था, ताकि हरियाणा अपने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास पर स्वतंत्र रूप से ध्यान केंद्रित कर सके।

यह दिवस हरियाणा की सांस्कृतिक विविधता, परंपराओं और विकास यात्रा का उत्सव है — एक ऐसा दिन जब राज्य अपनी मेहनत, वीरता और उपलब्धियों पर गर्व करता है।

हरियाणा दिवस का इतिहास

हरियाणा 1 नवंबर 1966 को भारत का 17वां राज्य बना। स्वतंत्रता के बाद, पंजाब प्रांत के हिंदीभाषी क्षेत्रों के लोगों ने एक अलग राज्य की मांग उठाई थी। इसके बाद भारत सरकार ने श्रीधरन आयोग (Punjab Reorganisation Commission) का गठन किया, जिसने हरियाणा और पंजाब के बीच सीमाओं का निर्धारण किया।

चंडीगढ़ को दोनों राज्यों की साझा राजधानी बनाया गया, जबकि हरियाणा को अपनी अलग प्रशासनिक पहचान मिली। यह दिन उस ऐतिहासिक निर्णय की याद दिलाता है जिसने हरियाणा को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील राज्य बनने की दिशा में अग्रसर किया।

कृषि, खेल और विकास का प्रतीक

हरियाणा देश की कृषि और खेल उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य की उपजाऊ भूमि देश की अन्न भंडार में महत्वपूर्ण योगदान देती है। गेहूं, धान, और बाजरे जैसी फसलों की उच्च पैदावार ने इसे भारत का ‘ग्रीन हब’ बना दिया है।

खेलों की बात करें तो, ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा जगजाहिर है। नीरज चोपड़ा, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे खिलाड़ियों ने राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है।

इसके अलावा, उद्योग, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भी हरियाणा देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है।

हरियाणा दिवस कैसे मनाया जाता है

  1. सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
    गाँव-गाँव और शहरों में लोकगीत, रागिनी, घूमर, फाग और नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये प्रस्तुतियाँ हरियाणा की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत कर देती हैं।
  2. साइकिल और मोटर रैलियाँ
    युवाओं को स्वस्थ जीवन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए साइकिल रैलियाँ निकाली जाती हैं।
  3. भोजन उत्सव (Food Festival)
    हरियाणवी व्यंजनों का स्वाद इस दिन विशेष रूप से लिया जाता है — बाजरे की खिचड़ी, सरसों का साग, मक्के की रोटी, छाछ और लस्सी जैसे पारंपरिक पकवान लोगों के बीच लोकप्रिय रहते हैं।
  4. सामुदायिक सेवा
    रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर लोग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं।
  5. ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण
    लोग इस दिन कुरुक्षेत्र, पिंजौर गार्डन, मोरनी हिल्स, सुल्तानपुर नेशनल पार्क जैसे स्थानों की यात्रा करते हैं, जो हरियाणा के गौरवशाली अतीत की झलक दिखाते हैं।
  6. भवनों की सजावट
    राज्य के सरकारी भवनों, स्मारकों और सड़कों को रोशनी से सजाया जाता है, जिससे पूरा प्रदेश एक उत्सव की छटा में नहाया हुआ प्रतीत होता है।

हरियाणा दिवस का महत्व

हरियाणा दिवस हमें यह सिखाता है कि किसी भी राज्य की असली ताकत उसके लोगों की मेहनत, एकता और आत्मसम्मान में होती है।
1966 में एक नए राज्य के रूप में जन्म लेने के बाद हरियाणा ने हर क्षेत्र में यह साबित किया है कि इच्छाशक्ति से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

यह दिन हरियाणा के नागरिकों में गौरव, आत्मविश्वास और देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है। हरियाणा दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि भविष्य के विकास का संकल्प दिवस है।

हरियाणा दिवस राज्य की एकता, मेहनत और प्रगति का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि समर्पण और परिश्रम से कोई भी राज्य नई ऊँचाइयों को छू सकता है। हरियाणा ने कृषि, खेल, शिक्षा और उद्योग में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। यह दिवस गर्व, प्रेरणा और विकास के नए संकल्पों का प्रतीक है।

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