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'हिंदू आतंकवाद' का नैरेटिव बेनकाब, मालेगांव केस पर बोले फडणवीस! यह सब वोटबैंक की राजनीति

'हिंदू आतंकवाद' का नैरेटिव बेनकाब, मालेगांव केस पर बोले फडणवीस! यह सब वोटबैंक की राजनीति

मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद फडणवीस ने कहा कि पिछली सरकार ने 'हिंदू आतंकवाद' का झूठा नैरेटिव गढ़ा था, जो अब बेनकाब हो चुका है।

CM Fadnavis: मालेगांव ब्लास्ट केस में आए कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। एनआईए की विशेष अदालत ने इस केस के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया, जिसके बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने 2008 में गढ़ी गई "हिंदू आतंकवाद" की साज़िश का पर्दाफाश कर दिया है।

'राजनीतिक फायदे के लिए गढ़ा गया नैरेटिव'

देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि उस समय की कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत 'हिंदू आतंकवाद' और 'भगवा आतंकवाद' जैसे शब्दों को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि यह सब उस वक्त किया गया, जब दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद चरम पर था और भारत में भी कई आतंकवादी घटनाएं हो रही थीं।

'हिंदू संगठनों को जानबूझकर फंसाया गया'

फडणवीस ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने जानबूझकर हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं को टारगेट किया। उन्होंने कहा कि संतुलन दिखाने के लिए 'हिंदू आतंकवाद' जैसा भ्रम फैलाया गया। परंतु जांच में बार-बार यह सामने आता रहा कि इन आरोपों के पीछे कोई ठोस सबूत नहीं थे। उन्होंने कहा, "परत दर परत ये झूठ सामने आ रहा है।"

महबूब मुजावर का चौंकाने वाला दावा

इस पूरे मामले में एक बड़ा बयान एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर की ओर से भी आया है। उन्होंने कहा कि 2008 में उन्हें तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए थे। मुजावर ने बताया कि वह मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच कर रहे थे और उन्हें ऐसे आदेश दिए गए जो गैरकानूनी थे।

'झूठे आदेशों को न मानने की सज़ा मिली'

महबूब मुजावर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मुझे आदेश मिला कि मोहन भागवत को लाओ, लेकिन मैंने यह गलत काम नहीं किया। नतीजतन मुझे सज़ा मिली, जेल भेजा गया और मेरी छवि खराब की गई।" उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले में जो भी सबूत थे, वो कोर्ट को सौंप दिए थे। उन्होंने जाँच अधिकारी पर व्यक्तिगत रूप से उन्हें फंसाने का आरोप भी लगाया।

'मनगढ़ंत जांच का सच सामने आया'

मुजावर ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि यह सच्चाई की जीत है। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को एक "मनगढ़ंत जांच" बताया और कहा कि यह पूरी साजिश उस समय की सत्ता के इशारे पर रची गई थी। उनका कहना था कि उन्होंने सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन किया, लेकिन गैरकानूनी आदेश मानने से इनकार करने पर उन्हें सज़ा भुगतनी पड़ी।

कांग्रेस की चुप्पी पर उठे सवाल

फडणवीस ने कांग्रेस पार्टी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अब जब अदालत ने सातों आरोपियों को बरी कर दिया है, तो कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि क्या वह अब भी 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी पर कायम है या उसे गलत मानती है।

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