Columbus

हरतालिका तीज 2025: कब रखा जाएगा निर्जला व्रत, जानें पूजा की विधि और खास मान्यताएं

हरतालिका तीज 2025: कब रखा जाएगा निर्जला व्रत, जानें पूजा की विधि और खास मान्यताएं

भाद्रपद मास में आने वाले प्रमुख व्रतों में हरतालिका तीज का खास स्थान है। यह व्रत खासतौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। इस व्रत को सबसे कठिन उपवासों में गिना जाता है, क्योंकि इसमें बिना पानी पिए दिनभर उपवास रखा जाता है।

कब है हरतालिका तीज व्रत?

इस साल हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 25 अगस्त 2025 को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 26 अगस्त को 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि यानी सूर्योदय के समय तृतीया होने की वजह से यह व्रत 26 अगस्त को ही रखा जाएगा। इसी दिन महिलाएं शिव-पार्वती की पूजा करके उपवास करेंगी।

व्रत का धार्मिक महत्व क्या है?

हरतालिका तीज का व्रत खासकर उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था और अंत में भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि इस व्रत को शिव-पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक माना जाता है।

'हरतालिका' शब्द का मतलब

हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है ‘हरत’ और ‘आलिका’। इसमें ‘हरत’ का अर्थ है ‘हर लेना’ और ‘आलिका’ का अर्थ है ‘सखी’ या ‘सहेली’। कथा के अनुसार, माता पार्वती की सहेलियां उन्हें विवाह से बचाने के लिए चुपचाप एक वन में ले गई थीं, जहां उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तप किया। इसी घटना के आधार पर इस व्रत का नाम ‘हरतालिका’ पड़ा।

व्रत की प्रमुख कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा हिमवान की पुत्री पार्वती जी का विवाह भगवान विष्णु से तय किया गया था। लेकिन माता पार्वती ने बाल्यकाल से ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में मान लिया था। जब उन्होंने यह सुना कि उनका विवाह किसी और से किया जा रहा है, तो उन्होंने भोजन और जल त्यागकर कठोर तप शुरू कर दिया। उनकी सहेलियां उन्हें एक निर्जन वन में ले गईं ताकि कोई विघ्न न डाले।

माता पार्वती ने वर्षों तक शिव की आराधना की। अंततः भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया। तभी से यह दिन स्त्रियों के लिए विशेष माना जाता है।

कैसे मनाया जाता है यह पर्व?

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं खास तैयारियां करती हैं। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। फिर मिट्टी या रेत से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा की जाती है। पूजा के दौरान महिलाएं पूरी श्रद्धा से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आराधना करती हैं।

पूजन में बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, दूर्वा, फल-फूल, पान-सुपारी, सिन्दूर, मेहंदी, चूड़ी, कंघी, बिंदी, चुनरी, नारियल, और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं। रात भर जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है।

इस दिन महिलाएं बिना पानी पिए यानी निर्जला व्रत करती हैं। यह उपवास सुबह सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक चलता है। कई महिलाएं इस दिन सोला श्रृंगार करती हैं और सज-धजकर पूजा में शामिल होती हैं।

विवाहित महिलाओं के लिए क्यों है विशेष?

यह व्रत खासतौर पर विवाहित स्त्रियां करती हैं, ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो, घर में सुख-शांति बनी रहे और दांपत्य जीवन खुशहाल रहे। कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

सावन महीने में भी तीज आती है, जिसे 'हरियाली तीज' कहा जाता है। हालांकि हरतालिका तीज उससे अलग है। हरतालिका तीज भाद्रपद मास में आती है और इसमें शिव-पार्वती की पूजा के साथ-साथ निर्जला व्रत की विशेष महत्ता है।

Leave a comment