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IND vs HKG: सुनील छेत्री की गैरमौजूदगी में टुटा भारत का सपना, हांगकांग ने AFC क्वालीफायर में 1-0 से दी मात

IND vs HKG: सुनील छेत्री की गैरमौजूदगी में टुटा भारत का सपना, हांगकांग ने AFC क्वालीफायर में 1-0 से दी मात

भारतीय फुटबॉल टीम को 2027 एएफसी एशियाई कप क्वालीफायर के एक अहम मुकाबले में मेजबान हांगकांग के खिलाफ 0-1 से हार का सामना करना पड़ा।

स्पोर्ट्स न्यूज़: भारतीय फुटबॉल टीम के लिए संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। 2027 एएफसी एशियन कप क्वालीफायर के एक अहम मुकाबले में भारत को हांगकांग के हाथों 0-1 से करारी हार का सामना करना पड़ा। यह हार सिर्फ तीन अंक गंवाने की बात नहीं, बल्कि टीम के रणनीतिक फैसलों और मैदान पर खिलाड़ियों के तालमेल की गंभीर खामियों को उजागर करती है।

इस हार के बाद भारतीय कोच मनोलो मार्क्वेज की रणनीति एक बार फिर कटघरे में है, खासकर सुनील छेत्री को शुरुआती एकादश में शामिल न करना, जिसने मैच का रुख पूरी तरह पलट दिया।

इंजरी टाइम में टूटा दिल

मैच के दौरान दोनों टीमों ने एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दी। 90 मिनट तक स्कोर 0-0 पर बराबर था और लग रहा था कि मुकाबला ड्रॉ की ओर बढ़ रहा है। लेकिन इंजरी टाइम के चौथे मिनट (90+4) में भारत के गोलकीपर विशाल कैथ से एक बड़ी चूक हो गई। हांगकांग के खिलाड़ी माइकल उदेबुलुजोर पर फाउल करते हुए कैथ ने गोलकीपर बॉक्स से बाहर जाकर हस्तक्षेप किया, जिस पर रेफरी ने बिना हिचकिचाए पेनल्टी दे दी। 

इस मौके को स्टीफन परेरा ने भुनाया और गोल दागकर भारत को चौंका दिया। विशाल को इस फाउल के लिए पीला कार्ड भी दिखाया गया। यह पल न केवल मैच का टर्निंग पॉइंट था बल्कि भारतीय डिफेंस की आखिरी मिनट में ढीली पड़ती एकाग्रता को भी दर्शाता है।

कोच का गलत दांव: छेत्री की अनुपस्थिति

मैच से पहले ही कोच मार्क्वेज का एक फैसला भारी पड़ गया। उन्होंने भारत के सबसे भरोसेमंद स्ट्राइकर सुनील छेत्री को शुरुआती एकादश से बाहर रखा। यह फैसला हैरानी भरा भी था और विवादास्पद भी, क्योंकि छेत्री की मौजूदगी हमेशा विरोधी डिफेंस के लिए खतरे की घंटी रही है। उनकी जगह लालरीनजुआला चांग्ते को मैदान पर उतारा गया, जो पूरे मैच में कोई खास छाप नहीं छोड़ सके। उनके पास कई मौके आए, लेकिन वे गोल में तब्दील नहीं हो पाए।

छेत्री जैसे अनुभवी खिलाड़ी को ऐसी अहम भिड़ंत में न खिलाना न सिर्फ फैंस के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि खुद टीम के लिए आत्मघाती भी साबित हुआ। मैच में भारत ने शुरुआत से ही कुछ आक्रामक प्रयास किए। 39वें मिनट में आशिक कुरियन ने एक शानदार मौका बनाया लेकिन उसे भुनाया नहीं जा सका। भारत की मिडफील्ड तिगड़ी सुरेश सिंह, ब्रेंडन फर्नांडेज और अपुइया पूरी तरह तालमेल से बाहर दिखी और हांगकांग के मजबूत काउंटर अटैक को रोकने में विफल रही। इस असंतुलन ने हांगकांग को बार-बार आक्रमण करने का मौका दिया और आखिर में वह निर्णायक पेनल्टी भी मिली।

लगातार हारों से गिरता मनोबल

इससे पहले भारत को थाईलैंड के खिलाफ 3-0 से हार झेलनी पड़ी थी। हांगकांग से मिली हार भारत की लगातार दूसरी हार है, जिससे टीम का मनोबल बुरी तरह टूटता नजर आ रहा है। इन दो मैचों में भारतीय टीम ने अवसर तो बनाए, लेकिन उन्हें अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी – यही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है।

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