गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाई तेज, हजारों रिजर्व सैनिक तैनात। सैनिक और माताओं ने विरोध जताया। युद्ध के चलते नागरिक और बंधकों की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जनमत में असंतोष बढ़ रहा है।
Israel Hamas War: गाजा में इजरायली सेना द्वारा लगातार सैन्य कार्रवाई जारी है। हाल के दिनों में सरकार ने इस अभियान को और तेज कर दिया है। इस क्रम में हजारों रिजर्व सैनिकों को फिर से तैनात किया गया है। यह कदम स्थानीय जनता और सेना दोनों के बीच विरोध का कारण बना है। कई सैनिकों और उनकी माताओं ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। हालांकि इस विरोध के कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन सामाजिक मीडिया और हालिया रिपोर्टों में सैनिकों और उनके परिवारों की नाराजगी दिखाई दी है।
पीएम नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि नेतन्याहू युद्ध को राजनीतिक लाभ के लिए लंबा खींच रहे हैं। उनका कहना है कि पीएम को प्राथमिकता बंधकों की सुरक्षित रिहाई और हमास से समझौते की दिशा में कदम उठाना चाहिए। वर्तमान में 48 बंधकों में से केवल 20 की जीवित होने की संभावना जताई जा रही है।
पूर्व सुरक्षा अधिकारियों सहित कई आलोचक मानते हैं कि हालिया सैन्य अभियान का बंधकों की रिहाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा युद्ध से गाजा में पैदा हुए मानवीय संकट और नाकेबंदी को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना भी बढ़ रही है।
सैनिक और माताओं का विरोध
‘सोल्जर्स फॉर होस्टेजेस’ नामक समूह का कहना है कि वह 360 से अधिक ऐसे सैनिकों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने गाजा में सेवा देने से इनकार किया है। इसी तरह, ‘सेव आवर सोल्स’ (SOS) नामक समूह में लगभग 1,000 सैनिकों की माताएं शामिल हैं, जो युद्ध का विरोध कर रही हैं। कुछ माताएं अपने बेटों को सेना में वापस न भेजने का आग्रह कर रही हैं, जबकि कुछ माताएं अपने बच्चों के फैसलों का सम्मान कर रही हैं।
नूरित फेल्सेंथल बर्गर ने बताया कि वह अपने बेटों को गाजा में भेजे जाने की आशंका से इतनी भयभीत हैं कि उन्हें यह विचार आया कि अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें रोकना ही बेहतर है। उनके दोनों बेटे पहले ही गाजा में तैनात रह चुके हैं।
सैनिक और मेडिकल कर्मी अवशालोम जोहर साल (28 वर्ष) ने कहा कि सैनिक अब थक चुके हैं और हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे किसके लिए लड़ रहे हैं और उनकी सेवा का उद्देश्य क्या है।
क्यों बढ़ रहा है जन असंतोष
इजरायल में लगभग एक करोड़ की आबादी में से 60,000 रिजर्व सैनिकों को हाल ही में तैनात किया गया है। यह देश में अब तक की सबसे बड़ी तैनाती में से एक है।
सैन्य सेवा यहूदी पुरुषों के लिए अनिवार्य है और कई सैनिक इसे पहले ही पूरा कर चुके हैं। वहीं अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदियों को छूट देने की नीति से आम जनता में असंतोष बढ़ रहा है। यह नीति नेतन्याहू की गठबंधन सरकार का अहम हिस्सा रही है। समाज में इससे असमानता और अन्याय की भावना गहराई है।
इजरायली सैनिकों को दी गई सजा
इजरायली सेना का कहना है कि वे अनुपस्थित या सेवा से इनकार करने वालों की संख्या सार्वजनिक नहीं करती। प्रत्येक मामले को व्यक्तिगत आधार पर देखा जाता है। सेना ने स्पष्ट किया कि रिजर्व सैनिकों का योगदान मिशनों की सफलता और देश की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। ‘सोल्जर्स फॉर होस्टेजेस’ समूह ने दावा किया कि सेवा से इनकार करने वाले कम से कम तीन सैनिकों को इस वर्ष जेल की सजा दी गई है।
गाजा का हाल
हमास के नेतृत्व में सात अक्टूबर 2023 को हुए हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 251 बंधक बना लिए गए थे। उस समय युद्ध को लेकर जन समर्थन अधिक था। मार्च में संघर्ष विराम समाप्त होने और बंधकों की रिहाई की संभावनाओं के कम होने के बाद जनमत में बदलाव आया। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक युद्ध में 64,000 से अधिक फलस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें लगभग आधे महिलाएं और बच्चे हैं।