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Israeli Attack: अंकारा पर मंडराया खतरा, कतर हमले के बाद तुर्की ने जताई चिंता

Israeli Attack: अंकारा पर मंडराया खतरा, कतर हमले के बाद तुर्की ने जताई चिंता

कतर में इजरायली हमले के बाद तुर्की में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। अंकारा को आशंका है कि अगला निशाना वही बन सकता है। इजरायल-तुर्की रिश्ते गाजा युद्ध के बाद और खराब हुए हैं।

Israeli Attack: कतर की राजधानी दोहा में इजरायल द्वारा हमास अधिकारियों की बैठक पर किए गए हवाई हमले ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। इस घटना के बाद तुर्की में सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता बढ़ गई है। अंकारा को डर है कि कहीं अगला निशाना वही न बन जाए। तुर्की रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रियर एडमिरल जेकी अकतूर्क ने बयान जारी करते हुए चेतावनी दी कि इजरायल इस तरह के लापरवाह हमले और बढ़ा सकता है, जिससे पूरा क्षेत्र अस्थिरता और तबाही की ओर जा सकता है।

इजरायल और तुर्की के रिश्तों की कहानी

इजरायल और तुर्की कभी करीबी क्षेत्रीय साझेदार माने जाते थे। लेकिन 2000 के दशक के अंत में उनके रिश्ते तेजी से बिगड़ने लगे। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने दक्षिणी इजरायल पर अचानक हमला किया था। इसके बाद गाजा युद्ध शुरू हुआ और तब से इजरायल-तुर्की के रिश्ते और खराब हो गए। गाजा संघर्ष ने दोनों देशों के बीच की दूरी को और बढ़ा दिया है।

सीरिया में प्रभाव जमाने की होड़

सीरिया में असद सरकार के कमजोर पड़ने के बाद तुर्की और इजरायल दोनों दमिश्क में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धा ने तनाव को और बढ़ा दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन लंबे समय से फिलिस्तीन का समर्थन करते रहे हैं और गाजा युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाया। एर्दोगन ने यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू की नीतियां हिटलर जैसी हैं।

तुर्की क्यों है हमास नेताओं का पनाहगाह

तुर्की हमास नेताओं का सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। कई टॉप लीडर वहां रहते हैं और कई अक्सर तुर्की का दौरा करते रहते हैं। इजरायल पहले भी आरोप लगा चुका है कि तुर्की हमास को अपनी ज़मीन पर हमलों की योजना बनाने, भर्ती करने और फंडिंग करने की अनुमति देता है। यही कारण है कि तुर्की और इजरायल के बीच अविश्वास की दीवार और ऊंची हो गई है।

कतर और तुर्की की साझेदारी

एर्दोगन और कतर के नेताओं के बीच मजबूत रिश्ते हैं। तुर्की और कतर के बीच सैन्य और व्यापारिक साझेदारी काफी गहरी है। एर्दोगन इस हफ्ते कतर में होने वाले अरब और मुस्लिम नेताओं के शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे। कतर पर हुए हमले के बाद यह चिंता बढ़ी है कि कहीं तुर्की भी इजरायल के हवाई हमलों की सूची में शामिल न हो जाए।

इजरायल की बढ़ती पहुंच

इजरायल ने पिछले महीनों में ईरान, सीरिया, यमन और अब कतर की जमीन पर हमले किए हैं। इसने अंकारा को चिंतित कर दिया है। तुर्की को लगता है कि इजरायल आसानी से पड़ोसी देशों के हवाई क्षेत्र में घुसकर हमला कर सकता है। तुर्की रिसर्चर सेरहात सुहा चुबुकचुओग्लू का कहना है कि इजरायल क्षेत्रीय वायु रक्षा और अंतरराष्ट्रीय नियमों को नजरअंदाज कर हमले कर रहा है। अंकारा इसे इजरायल की उस रणनीति का हिस्सा मानता है जिसके तहत वह अपने चारों ओर कमजोर राज्यों का बफर ज़ोन बनाना चाहता है।

तुर्की बनाम इजरायल

कतर जैसे अमेरिका के करीबी सहयोगी पर हमला कर इजरायल ने एक नया सवाल खड़ा कर दिया है। आखिर वह हमास को निशाना बनाने में कितनी दूर तक जाएगा। तुर्की की स्थिति कतर से अलग है क्योंकि वह NATO का सदस्य है। इससे उसे अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है। सैन्य ताकत के मामले में भी तुर्की खाड़ी देशों से कहीं आगे है। यह अमेरिका के बाद NATO में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है। साथ ही उसका रक्षा उद्योग भी बेहद उन्नत है।

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