झालावाड़ हादसे में 7 बच्चों की मौत के बाद शिक्षा मंत्री के स्वागत पर विवाद; डोटासरा ने इसे संवेदनहीनता बताते हुए इस्तीफे व बर्खास्तगी की मांग की।
Govind Singh Dotasra: राजस्थान में झालावाड़ जिले में स्कूल भवन गिरने से सात मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस हादसे के अगले ही दिन शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के स्वागत समारोह का वीडियो सामने आते ही विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे 'संवेदनहीनता' की पराकाष्ठा बताते हुए मंत्री के इस्तीफे की मांग की और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें तुरंत बर्खास्त करने की अपील की।
हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोरा
झालावाड़ में घटी इस घटना ने ग्रामीण इलाकों के जर्जर स्कूल भवनों की हकीकत उजागर कर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की दीवारों में दरारें लंबे समय से थीं, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनदेखी की। इस हादसे के बाद गांव में मातम का माहौल है, परिवारों के रोते-बिलखते दृश्य पूरे प्रदेश को विचलित कर रहे हैं।
स्वागत समारोह पर उठी तीखी आपत्ति
घटना के दूसरे दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का गुलाब की पंखुड़ियों, मालाओं और बैंड-बाजे के साथ भव्य स्वागत किया जा रहा था। इस दृश्य ने विपक्ष को सरकार पर सवाल उठाने का बड़ा मौका दे दिया।
डोटासरा ने कहा: 'जब सात परिवार अपने बच्चों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाए थे, तब शिक्षा मंत्री का फूल बरसाकर सम्मान करना शर्मनाक है। क्या ऐसे मंत्री को एक दिन भी पद पर रहना चाहिए?'
'यह हादसा नहीं, व्यवस्था की हत्या’
डोटासरा ने इस घटना को केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि ‘व्यवस्था द्वारा की गई हत्या’ बताया। उनका कहना है कि सरकार ने पहले से जर्जर भवनों का सर्वे कर मरम्मत कराने का दावा किया था, लेकिन हकीकत में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस्तीफे की मांग पर सियासी टकराव
डोटासरा ने सीकर में पत्रकारों से कहा: 'अगर शिक्षा मंत्री नैतिक जिम्मेदारी समझते हैं तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। अगर वह खुद नहीं हटते तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को उन्हें तुरंत बर्खास्त करना चाहिए।' उन्होंने सवाल उठाया कि मंत्री सिर्फ यह कहकर बच नहीं सकते कि ‘मैंने जिम्मेदारी ले ली, अब मुख्यमंत्री फैसला करेंगे।’
‘16 करोड़ का बजट कहां गया?’
डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार ने स्कूल भवनों के रखरखाव के लिए 16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन वह धनराशि कहां खर्च हुई, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण इलाकों के कई स्कूल अब भी जर्जर हालत में हैं और किसी भी वक्त ऐसे हादसे दोबारा हो सकते हैं।