हर महीने की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है, जिसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत खासकर उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है जो जीवन में बाधाओं और संकटों से मुक्ति चाहते हैं। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा से सभी विघ्न दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। जून 2025 में संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब और कैसे रखा जाएगा, इसका सही समय, पूजा मुहूर्त, योग, और चंद्र उदय का समय क्या है,
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और उनकी पूजा करने से न केवल जीवन की कठिनाइयां कम होती हैं, बल्कि मन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का वास होता है। यह व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो अपने जीवन में स्थिरता, सफलता और सुख की कामना रखते हैं।
जून 2025 की संकष्टी चतुर्थी कब है?
पंचांग के अनुसार, जून माह की संकष्टी चतुर्थी 14 जून, शनिवार को है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दोपहर 3:46 बजे शुरू होकर 15 जून को दोपहर 3:51 बजे समाप्त होगी। चूंकि चंद्रमा के उदय के बाद ही व्रत खुलता है, इसलिए इस तिथि पर संकष्टी चतुर्थी व्रत 14 जून शाम को मनाया जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी का पूजा मुहूर्त और महत्वपूर्ण समय
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:02 बजे से सुबह 04:43 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:54 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: रात 12:01 बजे से रात 12:42 बजे तक
- शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 07:07 बजे से सुबह 08:52 बजे तक
इन मुहूर्तों में भगवान गणेश की पूजा और मंत्र जाप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। आप अपनी सुविधा के अनुसार शुभ मुहूर्त का चयन कर पूजा कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के शुभ योग
- ब्रह्म योग: सुबह से दोपहर 01:13 बजे तक रहेगा। यह योग पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- इंद्र योग: दोपहर 01:13 बजे से रात तक रहेगा।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 14 जून की रात 12:22 बजे से लेकर 15 जून सुबह 05:23 बजे तक रहेगा, जो कि सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला श्रेष्ठ योग है।
इन योगों में की गई पूजा और व्रत अत्यंत फलदायी होते हैं।
जून 2025 की संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र उदय का समय
14 जून की संकष्टी चतुर्थी को चंद्रमा रात 10:07 बजे प्रकट होगा। चंद्रमा के उदय होने के बाद ही व्रत खोलना शुभ माना जाता है। व्रत खोलते समय चंद्रमा को जल या दूध से अर्घ्य देकर भगवान गणेश की आराधना करें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत कैसे करें?
- व्रत प्रारंभ: संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ और शुद्ध स्थान पर बैठ जाएं।
- पूजा सामग्री: गणेश जी की मूर्ति या फोटो, सफेद फूल, लाल कपड़ा, दूर्वा, सिंदूर, मोदक, नारियल और पंचामृत रखें।
- पूजा विधि: भगवान गणेश का ध्यान करते हुए गणेश चालीसा या संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
- भोजन: दिनभर एक बार ही भोजन करें, जो शुद्ध और हल्का हो। व्रत के दौरान मांस, शराब और अनाज से परहेज करें।
- व्रत खुलना: रात को चंद्रमा के दर्शन कर जल अर्पित करके व्रत खोलें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने के लाभ
- जीवन की सभी बाधाएं और कठिनाइयां दूर होती हैं।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- घर में सुख-समृद्धि आती है।
- मानसिक तनाव और भय दूर होता है।
- सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
जून 2025 की संकष्टी चतुर्थी 14 जून को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप भी इस पावन दिन का लाभ उठाएं और संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखें। सुबह के शुभ मुहूर्त में पूजा करें और रात में चंद्रमा को जल अर्पित कर व्रत खोलें।