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Karur Stampede 2025: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सौंपा मामला, रिटायर जज की निगरानी में होगी जांच

Karur Stampede 2025: सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सौंपा मामला, रिटायर जज की निगरानी में होगी जांच

अभिनेता और राजनेता विजय की रैली में हुई भगदड़ की जांच अब सीबीआई को सौंपी गई है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया।

नई दिल्ली: करूर में 27 सितंबर को हुई भगदड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। इस हादसे की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी और जांच की निगरानी पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति करेगी। इस घटना में 41 लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे।

यह आदेश सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की त्रासदी की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच बेहद जरूरी है।

रैली के दौरान हुई थी भगदड़

यह भगदड़ अभिनेता और राजनेता विजय की पार्टी टीवीके (तमिलनाडु वेत्रि कझगम) की रैली के दौरान करूर में हुई थी। इस रैली में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, और भीड़ नियंत्रण न होने के कारण भगदड़ मच गई। इस घटना ने न केवल तमिलनाडु में बल्कि पूरे देश में चिंता और गहरा दुख पैदा किया। इस मामले में रैली के आयोजकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी पर सवाल उठे थे। मद्रास हाईकोर्ट ने पहले ही विशेष जांच दल (SIT) गठित किया था, लेकिन टीवीके पार्टी ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने गठित की तीन सदस्यीय समिति

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो CBI जांच की निगरानी करेगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए। टीवीके पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की थी कि CBI जांच ही इस मामले को उचित तरीके से आगे बढ़ा सकती है। कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया।

इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर को एसआईटी गठित की थी। हाईकोर्ट ने घटना के दौरान मृत अवस्था में छोड़े गए लोगों को बचाने में टीवीके पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं की भूमिका पर सवाल उठाए थे। अदालत ने रैली में सुरक्षा व्यवस्था की कमी और कार्यकर्ताओं के कर्तव्यों की उपेक्षा की कड़ी आलोचना की।

टीवीके के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम और आर्यमा सुंदरम ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि हाईकोर्ट का एसआईटी आदेश कुछ अपुष्ट आरोपों पर आधारित था और इसके खिलाफ पार्टी ने न्यायिक हस्तक्षेप मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब CBI के माध्यम से पूर्ण जांच होगी, जिसमें रैली आयोजन, भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा प्रबंधन और घटना के सभी पहलुओं की समीक्षा शामिल होगी। समिति की निगरानी से यह सुनिश्चित होगा कि जांच पारदर्शी और निष्पक्ष हो।

साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि जांच के दौरान सभी दस्तावेज, साक्ष्य और गवाहों के बयान को CBI को उपलब्ध कराया जाए। पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में जांच रिपोर्ट समय पर सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत की जाएगी।

 

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