Columbus

किडनी डायलिसिस में आहार का सही चुनाव, जानिए किन बातों को न करें इग्नोर

किडनी डायलिसिस में आहार का सही चुनाव, जानिए किन बातों को न करें इग्नोर

किडनी डायलिसिस करा रहे मरीज़ों के लिए सही आहार और तरल पदार्थ का संतुलन बेहद जरूरी है। प्रोटीन, सोडियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस का नियंत्रित सेवन स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है। डायलिसिस के दौरान डॉक्टर और रीनल डायटिशियन की सलाह के अनुसार पर्सनल डाइट प्लान अपनाना लाभकारी होता है।

Kidney Dialysis Diet Tips: अगर आप या आपके परिवार के किसी सदस्य को किडनी की समस्या है और हेमोडायलिसिस चल रहा है, तो आहार और तरल पदार्थ पर खास ध्यान देना जरूरी है। डायलिसिस शरीर से विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त पानी निकालता है, लेकिन प्रोटीन, सोडियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस का संतुलित सेवन थकान, सूजन और कमजोरी से बचाता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हर मरीज़ के लिए पर्सनल डाइट प्लान डॉक्टर और रीनल डायटिशियन की मदद से बनवाना चाहिए। सही खान-पान और जीवनशैली के साथ डायलिसिस स्वास्थ्य बनाए रखने का महत्वपूर्ण तरीका है।

डायलिसिस में आहार का महत्व

डायलिसिस के दौरान शरीर से विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त पानी निकाल दिए जाते हैं। लेकिन रोजमर्रा का आहार भी मरीज़ की सेहत पर सीधा असर डालता है। गलत आहार लेने से थकान, सूजन और कमजोरी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए किडनी रोगियों को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

सफदरजंग अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. हिमांशु वर्मा के अनुसार, डायलिसिस में प्रोटीन भी शरीर से निकल सकता है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन जैसे मांस, अंडा, दालें और दूध लेना बेहद जरूरी है।

सोडियम का नियंत्रण

सोडियम, यानी नमक, को सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा सोडियम खाने से शरीर में पानी जमा हो सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और सूजन हो सकती है। पैकेज्ड, तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहना चाहिए। डॉक्टर अक्सर सुझाव देते हैं कि रोजाना 2,000 मिलीग्राम से कम सोडियम ही लेना चाहिए।

पोटैशियम की मात्रा

पोटैशियम हृदय और मांसपेशियों के लिए आवश्यक है। लेकिन अधिक पोटैशियम लेने से दिल की धड़कन पर असर पड़ सकता है। फल और सब्जियों में पोटैशियम पाया जाता है, इसलिए इन्हें अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।

फॉस्फोरस का संतुलन

फॉस्फोरस हड्डियों और दिल के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन किडनी इसे आसानी से बाहर नहीं निकाल पाती। इसलिए दूध, चीज़ और प्रोसेस्ड फूड जैसी चीजों में फॉस्फोरस की मात्रा पर ध्यान रखना जरूरी है। डॉक्टर आमतौर पर 800 से 1,000 मिलीग्राम से ज्यादा फॉस्फोरस लेने से मना करते हैं।

तरल पदार्थ की निगरानी

पानी, जूस, चाय और सूप जैसी तरल चीजों की मात्रा भी नियंत्रित करना जरूरी है। ज्यादा तरल पदार्थ लेने से शरीर में सूजन और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। डायलिसिस के बीच जमा हुए पानी और अपशिष्ट पदार्थों का संतुलन बनाए रखने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।

पर्सनल डाइट प्लान

हर मरीज़ की शारीरिक स्थिति और डायलिसिस का प्रकार अलग होता है। इसलिए पर्सनल डाइट प्लान बनवाना सबसे सही तरीका है। डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में आहार लेने से डायलिसिस का असर बेहतर होता है और थकान, कमजोरी जैसी समस्याएं कम होती हैं।

जीवनशैली और छोटे बदलाव

डायलिसिस सिर्फ इलाज नहीं है। सही खान-पान और जीवनशैली इसे प्रभावी बनाते हैं। छोटे बदलाव, जैसे सही मात्रा में पानी पीना, सोडियम कम करना, प्रोटीन युक्त और पोषणयुक्त भोजन लेना, शरीर को मजबूत रखने में मदद करता है। ये आदतें मरीज़ की सेहत को बेहतर बनाए रखती हैं और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाती हैं।

किडनी डायलिसिस कर रहे मरीज़ों के लिए आहार और तरल पदार्थों का सही नियंत्रण बेहद जरूरी है। प्रोटीन, सोडियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस का संतुलित सेवन मरीज़ की थकान और कमजोरी को कम करता है। साथ ही, डायलिसिस की सफलता और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है। व्यक्तिगत आहार योजना और विशेषज्ञ की सलाह का पालन करना मरीज़ के स्वास्थ्य के लिए सबसे सुरक्षित और कारगर तरीका है।

Leave a comment