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कोटा-भोपाल रेल लाइन तैयार, छह महीने बाद भी ट्रेन सेवा ठप, सांसद ने जताई नाराजगी

कोटा-भोपाल रेल लाइन तैयार, छह महीने बाद भी ट्रेन सेवा ठप, सांसद ने जताई नाराजगी

कोटा से भोपाल तक 276 किमी नई रेल लाइन छह महीने से तैयार है, लेकिन ट्रेन अभी शुरू नहीं हुई। सांसद दुष्यंत सिंह सहित यात्री नाराज हैं। रेलवे ने प्रक्रिया जारी होने की जानकारी दी है।

कोटा: राजस्थान के कोटा के रामगंज मंडी से मध्य प्रदेश के भोपाल तक 276 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का सपना छह महीने से अधिक समय से अधूरा पड़ा है। नया गांव से खिलचीपुर तक की नई रेल लाइन तैयार हो चुकी है और 20 फरवरी 2025 को संरक्षा आयुक्त ने निरीक्षण कर मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद ट्रेनें अभी तक इस ट्रैक पर नहीं चल पाई हैं। यात्रियों की लंबे समय से प्रतीक्षा अब नाराजगी में बदल गई है।

कोटा रेल मंडल के अधिकारियों के अनुसार, 165 किलोमीटर के ट्रैक में 126 किलोमीटर पूरा हो चुका है। नयागांव से खिलचीपुर तक के 22.32 किलोमीटर लंबे हिस्से पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल भी सफलतापूर्वक हो चुका है। बावजूद इसके इस ट्रैक पर यात्रियों के लिए कोई नियमित ट्रेन सेवा शुरू नहीं की गई। घाटोली तक ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन आगे का सफर ठप है।

सांसद दुष्यंत सिंह ने रेल परियोजना पर नाराजगी जताई

बारां-झालावाड़ के सांसद दुष्यंत सिंह, जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र हैं, ने इस स्थिति पर अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस लंबे समय से रुकी परियोजना से स्थानीय लोगों को भारी असुविधा हो रही है। सांसद ने कोटा से खिलचीपुर तक नई ट्रेन चलाने या मौजूदा ट्रेन के विस्तार की मांग की है।

इसके अलावा, मंडल रेल उपयोगकर्ता समिति की हालिया बैठक में अधिकारियों से यात्रियों के ठहराव और स्टेशन सुविधाओं पर ध्यान देने की अपील की गई। धीरज गुप्ता तेज ने आमेठा स्टेशन पर ठहराव और झालावाड़ सिटी में पिट लाइन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। लोगों का कहना है कि रेलवे की इस देरी ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक कनेक्टिविटी के अवसर को प्रभावित किया है।

रेलवे ने ट्रेन सेवा शुरू करने में देरी बताई

कोटा रेल मंडल के सीनियर डीसीएम सौरभ जैन ने इस मामले में बताया कि प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि ट्रेन लिंक, स्टेशन सुविधाएं और ट्रैफिक का आकलन चल रहा है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि यात्रियों के लिए सेवा कब शुरू होगी।

रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि परियोजना तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण देरी का शिकार है। प्रस्ताव की मंजूरी मिलने के बाद ही नियमित ट्रेन सेवा चालू की जा सकती है। वहीं, यात्रियों में निराशा बढ़ रही है और लोग रेलवे से जल्द कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

स्थानीय यात्रियों और व्यवसायों की चिंता

इस रूट पर रेल सेवा शुरू होने से न केवल यात्रियों को समय की बचत होगी, बल्कि स्थानीय व्यवसायों और कृषि क्षेत्र को भी बड़ा आर्थिक फायदा होगा। लोग कहते हैं कि कोटा-भोपाल रेल लाइन व्यापार और पर्यटन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

स्थानीय निवासी रेखा शर्मा कहती हैं, ‘‘ट्रेन सेवा शुरू होने में इतनी देरी से हम सभी को परेशानी हो रही है। रोज़गार और कारोबार में यह रेल कनेक्टिविटी बहुत मददगार साबित हो सकती थी।’’

रेलवे प्रशासन अब इस मुद्दे पर दबाव बढ़ते देख सकता है, क्योंकि सामाजिक और राजनीतिक रूप से इस परियोजना पर ध्यान केंद्रित हो गया है। अब सवाल यह है कि रेलवे इस अधूरी परियोजना को कब पटरी पर उतारेगा और यात्रियों की लंबे समय से प्रतीक्षा कब समाप्त होगी।

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