कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद मनाई जाने वाली कृष्णा छठी का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण को पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर और पंचामृत का भोग अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस पूजन और भोग से घर में सुख-समृद्धि आती है और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
Krishna Chhatti 2025: कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद मनाई जाने वाली कृष्णा छठी को देशभर में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व 2025 में भी भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जब महिलाएं घर-घर में शुभ कार्य करती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को पंजीरी, माखन-मिश्री, खीर और पंचामृत का भोग अर्पित करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजन-विधि और भोग लगाने से परिवार में खुशहाली आती है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
छठी पर कान्हा जी को अर्पित किए जाने वाले प्रमुख भोग
इस पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को कई पारंपरिक व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख भोग इस प्रकार हैं:
- पंजीरी – धनिया पाउडर, घी, चीनी और सूखे मेवों से बनी पंजीरी को श्रीकृष्ण का प्रिय भोग माना जाता है। इसे बनाना आसान और जल्दी तैयार होने वाला प्रसाद है।
- माखन-मिश्री – कान्हा जी का सबसे प्रिय भोग। छठी पर इसे अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- खीर – चावल, दूध और चीनी से बनने वाली पारंपरिक खीर हर शुभ अवसर का हिस्सा होती है। छठी के दिन इसे भगवान को अर्पित करना शुभ फल देता है।
- पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बना पंचामृत अत्यंत पवित्र भोग है। इसे अर्पित करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- अन्य भोग – इसके अतिरिक्त घर में बने ताजे फल, मिठाइयाँ और नमकीन भी भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।
इस दिन की पूजन विधि
कृष्णा छठी पर सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर की सफाई की जाती है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं और फूलों से उनका श्रृंगार किया जाता है। पूजन के दौरान तुलसीदल, माखन-मिश्री, खीर और ताजे फलों का भोग अर्पित किया जाता है। धूप-दीप जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप किया जाता है। शाम के समय महिलाएं गीत-भजन गाकर उत्सव का आनंद लेती हैं और कान्हा जी से घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।