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क्या ITR जल्दी फाइल करने से जल्दी रिफंड मिलता है? जानिए टैक्स नियम

क्या ITR जल्दी फाइल करने से जल्दी रिफंड मिलता है? जानिए टैक्स नियम

देशभर में आयकर रिटर्न (ITR) भरने का सिलसिला तेज़ी से चल रहा है। इस साल आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 तय की गई है। ऐसे में बहुत से टैक्सपेयर्स यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या जल्दी ITR फाइल करने से टैक्स रिफंड भी जल्दी मिल जाता है?

हर साल लाखों करदाता अंतिम तारीख का इंतजार करते हैं और आखिरी दिनों में रिटर्न दाखिल करते हैं, जिससे तकनीकी दिक्कतें, डेटा एरर और डुप्लिकेट एंट्री जैसी समस्याएं सामने आती हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर सही जानकारी और डॉक्युमेंट्स के साथ रिटर्न जल्दी फाइल किया जाए, तो प्रोसेसिंग और रिफंड मिलने की संभावना तेज हो सकती है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती।

जल्दी फाइलिंग से क्या होता है फायदा

फिनटेक कंपनी वनबैंक के संस्थापक विभोर गोयल का मानना है कि यदि मई या जून जैसे शुरुआती महीनों में सही और कंप्लीट डेटा के साथ ITR फाइल किया जाए, तो उसे प्रोसेस होने में आमतौर पर 2 से 4 हफ्ते लगते हैं। उन्होंने बताया कि आखिरी समय पर किए गए सबमिशन अक्सर लंबी कतार में लग जाते हैं, जिससे प्रोसेसिंग में देर हो सकती है।

उनका कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ‘फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व’ के आधार पर रिटर्न प्रोसेस करता है। ऐसे में शुरुआत में जमा हुए रिटर्न्स को जल्दी देखा जाता है, बशर्ते उनमें कोई त्रुटि या मिसमैच न हो।

रिफंड प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक

विभोर गोयल ने यह भी बताया कि केवल समय से फाइल करना ही पर्याप्त नहीं होता। रिफंड जल्दी पाने के लिए रिटर्न का सही और पूरी तरह से मेल खाते हुए भरा होना बेहद जरूरी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर फॉर्म 26AS में किसी ब्याज आय की एंट्री मिस हो जाती है या कोई छोटी सी गलत जानकारी होती है, तो पूरा रिटर्न रिव्यू के लिए भेजा जा सकता है। ऐसी स्थिति में 60 से 90 दिन की देरी हो सकती है।

उनका अनुमान है कि भारत में टैक्सपेयर्स, एम्प्लॉयर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को मिलान की गलती और फॉलो-अप में हर साल करीब 5000 से 7000 करोड़ रुपये का अप्रत्यक्ष नुकसान होता है।

टैक्स विभाग की प्रक्रिया 

EZ Compliance के फाउंडर और सीए शंकर कुमार का कहना है कि टैक्स रिफंड प्रक्रिया पूरी तरह से डिपार्टमेंट की वेरिफिकेशन पद्धति पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि कोई निश्चित नियम नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि जल्दी ITR फाइल करने से निश्चित रूप से जल्दी रिफंड मिलेगा।

उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति जल्दी फाइल करता है लेकिन किसी कारणवश उसका रिटर्न सिस्टम में फंस जाता है, जबकि किसी अन्य का रिटर्न कुछ दिन बाद फाइल होने के बावजूद पहले प्रोसेस हो जाता है। इसलिए यह पूरी तरह फाइलिंग की गुणवत्ता और डाटा के मिलान पर निर्भर करता है।

करेक्शन के लिए मिलता है ज्यादा समय

1 Finance की टैक्स प्रमुख नियति शाह के मुताबिक, जल्दी ITR फाइल करने का एक बड़ा फायदा यह है कि यदि रिटर्न में कोई बेमेल या त्रुटि होती है, तो उसे सुधारने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इससे अंतिम समय की हड़बड़ी और परेशानी से बचा जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि आमतौर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न को उसी क्रम में वेरिफाई करता है, जिस क्रम में वे फाइल किए गए होते हैं। अगर रिटर्न में डाटा पूरी तरह सही है और वह टीडीएस स्टेटमेंट, एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS से मेल खाता है, तो जल्दी फाइल किया गया रिटर्न वाकई जल्दी प्रोसेस हो सकता है।

टैक्स सिस्टम में डिजिटल बदलाव की जरूरत

टैक्स विशेषज्ञों ने यह भी माना कि भारत का टैक्स सिस्टम तकनीकी रूप से काफी आगे बढ़ चुका है, लेकिन अभी भी डेटा मिलान में मैनुअल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ती है। यदि फॉर्म 16, 26AS, AIS और अन्य डॉक्युमेंट्स में डेटा पूरी तरह ऑटोफिल्ड हो जाएं, तो गलतियों की संभावना बहुत कम हो सकती है।

इसके अलावा, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा भेजी गई जानकारी अगर समय से अपडेट हो, तो रिटर्न प्रोसेसिंग और रिफंड की प्रक्रिया और भी तेजी से हो सकती है।

आईटीआर फाइलिंग को लेकर बनी जागरूकता

पिछले कुछ वर्षों में टैक्सपेयर्स के बीच ITR फाइलिंग को लेकर जागरूकता बढ़ी है। आयकर विभाग द्वारा भेजे जाने वाले रिमाइंडर, फॉर्म्स की उपलब्धता और ऑनलाइन सुविधा से प्रक्रिया पहले की तुलना में सरल हो गई है। अब ज्यादातर टैक्सपेयर्स ऑनलाइन मोड में फाइलिंग करते हैं।

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