PM मोदी ने मन की बात में योग दिवस की सफलता और थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' को सराहा। साथ ही इमरजेंसी को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए नागरिकों को सतर्क रहने की अपील की।
Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 123वें एपिसोड में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस बार भी 21 जून को पूरी दुनिया के करोड़ों लोगों ने योग दिवस में हिस्सा लिया। योग दिवस की इस बार की थीम थी 'Yoga for One Earth, One Health', यानी 'एक पृथ्वी - एक स्वास्थ्य'। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि यह 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि इस बार योग दिवस पहले से भी ज्यादा भव्य रहा। उन्होंने कहा कि हिमालय की बर्फीली चोटियों पर ITBP के जवानों ने योग किया। गुजरात के वडनगर में 2121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन कर रिकॉर्ड बनाया।
दुनियाभर में योग की झलक
पीएम मोदी ने कहा कि न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस जैसे शहरों से योग की तस्वीरें सामने आईं जिनमें शांति, स्थिरता और संतुलन झलकता है। भारत में नौसेना के जहाजों पर, तेलंगाना में 3000 दिव्यांगों ने योग शिविर में भाग लिया। दिल्ली में यमुना तट पर योग को स्वच्छ यमुना अभियान से जोड़ा गया।
जम्मू-कश्मीर के चिनाब ब्रिज पर, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है, वहां भी लोगों ने योग किया। विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया और दो हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए। प्रधानमंत्री ने इन आयोजनों में दिखे अनुशासन और समर्पण की प्रशंसा की।
धार्मिक यात्राओं और एक भारत-श्रेष्ठ भारत का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने धार्मिक यात्राओं पर बात करते हुए कहा कि जब कोई तीर्थयात्रा पर जाता है तो मन में पहला भाव आता है, 'चलो, बुलावा आया है'। उन्होंने कहा कि ये यात्राएं न केवल आत्मिक शुद्धि का साधन होती हैं, बल्कि सेवा और भाईचारे का भी प्रतीक होती हैं।
उन्होंने हाल ही में सम्पन्न भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा का भी जिक्र किया और बताया कि ओडिशा, गुजरात या देश के किसी भी कोने से लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। ये यात्राएं 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूत करती हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब श्रद्धालु पूरी आस्था, समर्पण और अनुशासन के साथ तीर्थयात्रा करते हैं तो उसका फल अवश्य मिलता है। उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दीं।
आपातकाल का जिक्र
मन की बात के इस एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल ने भारत के लोकतंत्र की हत्या की थी और लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारे संविधान की आत्मा है और हमें हमेशा उसकी रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपातकाल थोपने वाले आज पराजित हो चुके हैं लेकिन हमें उस समय से सीख लेते हुए अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने जनता से अपील की कि वे अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को भी समझें और भारत को सशक्त लोकतंत्र बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं है बल्कि यह हमारी सोच, व्यवहार और निर्णयों में भी झलकना चाहिए।