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रूस का तेल हुआ सस्ता! अक्टूबर में भारत के रिफाइनर कर सकते हैं जबरदस्त आयात

रूस का तेल हुआ सस्ता! अक्टूबर में भारत के रिफाइनर कर सकते हैं जबरदस्त आयात

रूस का तेल अब भारतीय रिफाइनरों के लिए और सस्ता हो गया है, जिससे अक्टूबर में आयात में लगभग 6% बढ़ोतरी का अनुमान है। अमेरिकी 50% टैरिफ के बावजूद भारत के सौदे कीमत पर आधारित हैं। सरकारी रिफाइनर 2026 के लिए पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सप्लायर के साथ टर्म डील पर भी बातचीत कर रहे हैं।

Russian Oil: भारतीय रिफाइनर अक्टूबर में रूस से तेल का आयात बढ़ाने की तैयारी में हैं, क्योंकि यूरल्स क्रूड डेटेड ब्रेंट की तुलना में 2–2.5 डॉलर प्रति बैरल सस्ता हो गया है। शिप ट्रैकिंग डेटा के अनुसार आयात लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है। अमेरिका ने भारत पर 50% शुल्क लगाया है, लेकिन भारत ने कहा है कि सौदे केवल कीमत पर आधारित हैं और वे जारी रहेंगे। सरकारी रिफाइनर 2026 के लिए पश्चिम एशिया और अफ्रीका से लंबी अवधि के सप्लायर डील पर भी चर्चा कर रहे हैं।

अक्टूबर में रूस से आयात में वृद्धि का अनुमान

शिपिंग डेटा के अनुसार, अक्टूबर 2025 में रूस से भारत का तेल आयात लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है। यह पिछले महीने की तुलना में लगभग 6 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, यह पिछले साल के इसी महीने के स्तर से थोड़ा कम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि छूट और बढ़ते रिफाइनिंग दबाव के कारण आने वाले महीनों में रूस से तेल का आयात और तेजी से बढ़ सकता है।

भारतीय रिफाइनर आयात बढ़ाकर घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ विदेशी बाजारों में भी तेल की बिक्री करने का विकल्प तलाश रहे हैं। रिफाइनिंग कंपनियां ऐसी योजना बना रही हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर रूस से आने वाले तेल को दूसरे स्रोतों से मिलने वाले तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सके।

अमेरिका का दबाव भारत को रोक पाएगा?

अमेरिका ने अगस्त में भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था। इसका मकसद भारत को रूस से तेल की खरीद कम करने के लिए प्रेरित करना था। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि रूस से होने वाले सौदे केवल कीमत और उपलब्धता पर आधारित हैं। भारत का कहना है कि वह अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार सौदे जारी रखेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि तेल की वैश्विक बाजार कीमतों और रणनीतिक छूट को देखते हुए भारत के लिए रूस से तेल खरीदना आर्थिक रूप से लाभकारी रहेगा। इस कदम से भारतीय रिफाइनर अपने उत्पादन लागत को कम कर सकेंगे और घरेलू बाजार में रिफाइनिंग क्षमता का बेहतर उपयोग कर पाएंगे।

भारत की अगली योजना

इसके अलावा भारत के सरकारी रिफाइनर पश्चिम एशिया और अफ्रीका के तेल उत्पादकों से 2026 के लिए लंबी अवधि के सौदे (टर्म डील) पर बातचीत कर रहे हैं। इन सौदों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर तेल की आपूर्ति में लचीलापन रहे। ऐसे सप्लायर से खरीदारी करने पर भारत जरूरत पड़ने पर मात्रा बदल सकता है या रूस से आने वाले तेल को संभाल सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए यह रणनीति बहुत महत्वपूर्ण है। इसके तहत न केवल रिफाइनर अपनी लागत कम करेंगे, बल्कि तेल की स्थिर आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी। वहीं, यह नीति वैश्विक तेल बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत बनाएगी और देश को तेल आपूर्ति के मामले में अधिक लचीलापन देगी।

रूस से तेल आयात की वैश्विक स्थिति

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस का तेल अब छूट के साथ उपलब्ध है। रूस की इस रणनीति का मकसद अपने तेल के निर्यात को बढ़ाना और वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बनाए रखना है। यूरल्स क्रूड की कीमत डेटेड ब्रेंट की तुलना में अब सस्ती होने के कारण भारतीय रिफाइनर पहले की तुलना में अधिक मात्रा में तेल खरीदने के लिए उत्साहित हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में भारत के रिफाइनर इस अवसर का लाभ उठाकर रूस से आयात में और तेजी लाएंगे। इस स्थिति से भारत के ऊर्जा सेक्टर को फायदा होगा और घरेलू तेल उत्पादन लागत कम होगी।

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