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माता मंसां देवी मंदिर: हरियाणा के पंचकुला की आस्था और इतिहास का प्रतीक

माता मंसां देवी मंदिर: हरियाणा के पंचकुला की आस्था और इतिहास का प्रतीक

हरियाणा के पंचकुला में स्थित माता मंसां देवी मंदिर आस्था, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। यह शक्ति पीठ भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र है और नवरात्र के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करते हैं।

Mansa Devi Temple: भारत, अपनी विविध धार्मिक परंपराओं और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। उत्तर भारत में स्थित माता मंसां देवी मंदिर इन धार्मिक स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर हरियाणा राज्य के पंचकुला जिले में शैवलिक पहाड़ियों की गोद में स्थित है और भगवती मंसां देवी को समर्पित है। माता मंसां देवी शक्ति स्वरूपा देवी हैं और यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मंदिर परिसर लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और यह बिलासपुर गांव में स्थित है। यह चंडीगढ़ के सेक्टर 13 (पूर्व में मणि माजरा) और पंचकुला के पास स्थित है। मंदिर का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह उत्तर भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। इस शक्ति पीठ में सात प्रमुख देवीयों का स्थान है: माता मंसां देवी, नैना देवी, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और जयंती देवी।

मंदिर का इतिहास 

मंदिर परिसर में कुल तीन मंदिर हैं, जिनमें मुख्य मंदिर सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित है। मुख्य मंदिर का निर्माण महाराजा गोपाल दास सिंह ने 1811 से 1815 के बीच किया था। महाराजा गोपाल दास सिंह मणि माजरा के शासक थे और उनका यह मंदिर शैवलिक पहाड़ियों की गोद में बना। मुख्य मंदिर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर पटियाला शिवालय मंदिर स्थित है, जिसका निर्माण 1840 में महाराजा करम सिंह ने करवाया था। यह मंदिर मणिमाजरा रियासत के संरक्षण में था।

स्वतंत्रता के बाद मंदिर 

स्वतंत्रता के बाद जब रियासतों का विलय PEPSU में हुआ, तब राज्य सरकार का संरक्षण समाप्त हो गया। इसके परिणामस्वरूप मंदिर उपेक्षित हो गया। मणिमाजरा के राजा ने मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति की ताकि वे देवी की पूजा और सेवा कर सकें। हालांकि, समय के साथ पुजारियों के पास मंदिर और इससे जुड़े भूमि प्रबंधन का अधिकार स्वतंत्र हो गया। लेकिन वे मंदिर के रख-रखाव और भक्तों की सुविधा के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं जुटा सके। इस कारण मंदिर की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती गई, और नवरात्र के समय तीर्थयात्रियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।

श्री माता मंसां देवी मंदिर बोर्ड की स्थापना

मंदिर की उपेक्षा को देखते हुए हरियाणा सरकार ने मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में लिया और "श्री माता मंसां देवी श्राइन बोर्ड (SMMDSB)" की स्थापना की। इस बोर्ड का मुख्य उद्देश्य मंदिर का प्रबंधन, देखभाल, प्रशासन और ढांचागत विकास सुनिश्चित करना था। 1991 में हरियाणा सरकार ने "श्री माता मंसां देवी श्राइन एक्ट" के तहत मंदिर के सभी प्रबंधन और संपत्ति का नियंत्रण बोर्ड को सौंपा। इस बोर्ड का अध्यक्ष हरियाणा के मुख्यमंत्री होते हैं।

SMMDSB बोर्ड चंडी मंदिर का भी प्रबंधन करता है, जिससे चंडीगढ़ शहर और चंडीमंदिर छावनी का नाम पड़ा।

संरक्षण और विकास

2021 में यह खबर आई कि भारत सरकार ने PRASAD योजना के तहत मंदिर के आसपास सुविधाओं के विकास के लिए 25 करोड़ रुपये का अनुदान दिया। नए मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो गया और पुराने पत्थरों को ग्रेनाइट से बदल दिया गया। मुख्य प्रवेश द्वार का नवीनीकरण भी किया गया। प्रतिदिन मंदिर में लगभग 2000 से 3000 भक्त दर्शन करने आते हैं। धार्मिक सेवाओं के लिए एक निश्चित मूल्य सूची भी तय की गई है।

मंदिर परिसर और वास्तुकला

मंदिर परिसर में तीन मंदिर हैं:

  • मुख्य मंदिर: 1811-1815 में महाराजा गोपाल दास सिंह द्वारा निर्मित।
  • पटियाला शिवालय मंदिर: 1840 में महाराजा करम सिंह द्वारा निर्मित।
  • तीसरा मंदिर: यज्ञशाला और पीपल का पवित्र वृक्ष भी परिसर में है।

शिवालय मंदिर की विशेषता इसके 38 पैनल वाले भित्ति चित्र और फूलों के डिज़ाइन हैं, जिन्हें विक्रम संवत 1870 (813 ई.) में बनाया गया। मंदिर परिसर की वास्तुकला न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

त्यौहार और नवरात्र मेला

माता मंसां देवी मंदिर में नवरात्र उत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। साल में दो बार नवरात्र मेले आयोजित होते हैं:

  • अश्विन माह (शारदीय नवरात्र)
  • चैत्र माह (वसंत नवरात्र)

नवरात्र के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर बोर्ड सभी आवश्यक व्यवस्थाओं का ध्यान रखता है, जैसे छवलदारी, तंबू, ड्यूरियां, कंबल, अस्थायी शौचालय, अस्थायी डिस्पेंसरी, पुलिस पोस्ट और लाइनें। मेले के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट और नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं ताकि भक्तों का मार्गदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

मंदिर तक पहुँच

मंदिर चंडीगढ़ बस टर्मिनस से लगभग 10 किलोमीटर और पंचकुला बस टर्मिनस से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्री स्थानीय बसों द्वारा आसानी से मंदिर पहुँच सकते हैं। रेल यात्रा करने वाले भक्तों के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ है, जो चंडीगढ़-कालका रेल लाइन पर स्थित है।

मंदिर परिसर में स्थापित संस्थान

मंदिर बोर्ड के सहयोग से कई महत्वपूर्ण संस्थान मंदिर परिसर में बनाए जा रहे हैं:

  • माता मंसां देवी संस्कृत कॉलेज, पंचकुला: 2.10 एकड़ भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ।
  • माता मंसां वृद्धाश्रम, पंचकुला: पाँच मंजिला भवन का निर्माण 10.48 करोड़ रुपये में, जनवरी 2022 में पूरा होना निर्धारित।
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद, पंचकुला: 19.87 एकड़ भूमि पर निर्माण कार्य, जिसमें अस्पताल, कॉलेज, छात्रावास और प्रशासनिक भवन शामिल।
  • यह संस्थान न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं बल्कि मंदिर परिसर को सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र भी बना रहे हैं।

माता मंसां देवी मंदिर न केवल हरियाणा और चंडीगढ़ क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है बल्कि यह भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र भी है। मंदिर का इतिहास, वास्तुकला, त्यौहार, और समाज सेवा इस स्थान को विशेष बनाती हैं। समय के साथ, SMMDSB के प्रयासों से मंदिर ने आधुनिक सुविधाओं के साथ अपने धार्मिक महत्व को बनाए रखा है। यह मंदिर न केवल उत्तर भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद का स्रोत भी है।

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