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हिमाचल मानसून आपदा के कारण सड़कें बंद, सेब व्यापार पर 5 हजार करोड़ का संकट और हजारों पेटी बर्बाद होने का खतरा

हिमाचल मानसून आपदा के कारण सड़कें बंद, सेब व्यापार पर 5 हजार करोड़ का संकट और हजारों पेटी बर्बाद होने का खतरा

हिमाचल प्रदेश में मानसून की आपदा के कारण 600 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे सेब व्यापार पर गंभीर असर पड़ा है। बागवानों के हजारों पेटी सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और 5 हजार करोड़ रुपये के सेब कारोबार पर संकट मंडरा रहा है। कई मंडियों में सेब खराब हो रहा है और ढाई से तीन हजार करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित होने की आशंका है।

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण सड़कें बंद होने से प्रदेश के सेब व्यापार को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 4 नेशनल हाईवे और 600 से अधिक सड़कों के बंद होने से बागवानों के हजारों पेटी सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। किन्नौर और अन्य प्रमुख मंडियों में सेब भरा पड़ा है, जिससे लगभग ढाई से तीन हजार करोड़ रुपये के व्यापार पर संकट उत्पन्न हो गया है। इस हालात ने सेब उद्योग की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल दिया है और जल्द राहत कार्य की आवश्यकता है।

हिमाचल प्रदेश में सड़क बंद होने से सेब व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। किन्नौर की टापरी मंडी में 15 हजार पेटी सेब ऑक्शन यार्ड और ट्रकों में फंसी हुई है। मंडी, कुल्लू और चंबा क्षेत्रों में लगभग 55 हजार पेटी सेब गोदाम और ट्रकों में भरी पड़ी है। कुल मिलाकर राज्य में 3.50 लाख पेटी सेब मंडियों और ट्रकों में फंसी हुई है।

शिमला जिले में इस समय 20 से 25 लाख पेटी सेब तैयार हैं, लेकिन सड़कों के बंद होने के कारण इन्हें समय पर मंडियों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया है। इस साल सेब का सीजन सामान्यतः 25 अगस्त तक समाप्त हो जाता, लेकिन बारिश के कारण सितंबर के पहले सप्ताह में भी तुड़ान नहीं हो पाया।

1948 के बाद सबसे भयंकर बारिश

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 1948 के बाद इतनी भयंकर बारिश हुई है। प्रदेश में 450 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की गई है, जिसका सीधा असर बागवानों पर पड़ा है।

इस भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से लगभग 4 से 5 लाख पेटी सेब प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में फंसी हुई हैं। नेशनल हाईवे और राज्य की करीब 1100 सड़कों के बंद होने से बागवानों को अपने उत्पाद मंडियों तक पहुंचाने में गंभीर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार ने सड़कों को खोलने में युद्धस्तर की कार्रवाई शुरू की

राजस्व मंत्री जगत नेगी ने स्वीकार किया कि सड़कों के बंद होने से सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार युद्धस्तर पर कार्य कर रही है और सड़कों को जल्द से जल्द खोलने को प्राथमिकता दी जा रही है।

सरकार का प्रयास है कि बागवानों के उत्पाद समय पर मंडियों तक पहुंचे और सेब व्यापार के नुकसान को कम किया जा सके। इससे सेब उद्योग की आर्थिक स्थिरता बरकरार रहेगी।

उत्पादन बढ़ा, लेकिन व्यापार को बड़ा खतरा

इस साल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों की तुलना में अधिक सेब उत्पादन का अनुमान था। लगभग तीन करोड़ से अधिक सेब की पेटियां बाजार में पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन संपर्क सड़कों के बंद होने से बागवानों को मंडियों तक उत्पाद पहुँचाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

अगर सड़कें जल्द बहाल नहीं हुईं, तो ढाई से तीन हजार करोड़ रुपये के सेब व्यापार पर संकट मंडरा सकता है।

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