मेटा ने यूरोपीय संघ की GPAI आचार संहिता पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया, कारण बताया—कानूनी अनिश्चितता। EU AI अधिनियम समय पर लागू होगा।
Meta: यूरोपीय संघ (EU) द्वारा तैयार की गई सामान्य प्रयोजन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (GPAI) आचार संहिता को लेकर दुनिया की टेक दिग्गज कंपनियों में मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। जहां ओपनएआई जैसी कंपनियां इसे स्वीकार करने को तैयार हैं, वहीं मेटा (Meta) ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। मेटा ने इसके पीछे 'कानूनी अनिश्चितताओं' को जिम्मेदार ठहराया है। यह कदम यूरोपीय संघ में एआई तकनीक के विकास और उसके नियमन को लेकर एक नई बहस को जन्म दे चुका है।
क्या है GPAI आचार संहिता?
GPAI यानी General Purpose Artificial Intelligence आचार संहिता यूरोपीय आयोग द्वारा तैयार किया गया एक स्वैच्छिक दिशानिर्देश है, जिसका उद्देश्य AI डेवलपर्स को नए EU AI Act के अनुपालन में सहायता देना है। इस कोड का पहला संस्करण जुलाई की शुरुआत में जारी किया गया था और इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं माना गया है।
इसमें मुख्य रूप से तीन प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया है:
- पारदर्शिता (Transparency)
- कॉपीराइट अनुपालन (Copyright Compliance)
- सुरक्षा और मौलिक अधिकार (Safety & Fundamental Rights)
यह आचार संहिता डेवलपर्स को प्रोत्साहित करती है कि वे उपयोगकर्ता-अनुकूल दस्तावेज़ बनाएं, यूरोपीय कॉपीराइट नियमों का पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके मॉडल समाज के लिए खतरा न बनें।
मेटा का विरोध: ‘कानूनी अनिश्चितता’ बनी वजह
मेटा ने इस आचार संहिता से दूरी बनाते हुए साफ़ कहा कि इसमें कानूनी अस्पष्टताएं हैं। कंपनी के मुख्य वैश्विक मामलों के अधिकारी जोएल कपलान ने LinkedIn पर एक पोस्ट के माध्यम से घोषणा की कि मेटा इस संहिता पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
कपलान ने कहा, 'हमने दस्तावेज़ का गहन विश्लेषण किया है और यह महसूस किया कि इसमें कई ऐसे दायरे शामिल हैं जो एआई अधिनियम से भी आगे जाते हैं। इससे डेवलपर्स के लिए अनावश्यक उलझनें खड़ी हो सकती हैं। यूरोप AI के मामले में एक अव्यवस्थित दिशा में जा रहा है।'
अन्य कंपनियों का क्या रुख है?
मेटा की तरह यूरोप की कुछ प्रमुख कंपनियां भी AI अधिनियम और GPAI कोड को लेकर चिंतित हैं। एयरबस, मर्सिडीज-बेंज, लुफ्थांसा, फिलिप्स, और सीमेंस एनर्जी जैसी बड़ी कंपनियों ने यूरोपीय आयोग को एक खुला पत्र लिखा है जिसमें AI अधिनियम को स्थगित करने की मांग की गई है। उनका मानना है कि यह नियमन नवाचार को धीमा कर सकता है और यूरोप को एआई क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेल सकता है।
ओपनएआई की अलग राह
दिलचस्प बात यह है कि जहां मेटा इस संहिता को लेकर सतर्क है, वहीं ओपनएआई ने पहले ही इस पर हस्ताक्षर करने की मंशा जाहिर कर दी है। इससे यह साफ होता है कि सभी तकनीकी कंपनियां इस संहिता को लेकर एकमत नहीं हैं और उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं।
यूरोपीय आयोग का सख्त रुख
मेटा और अन्य कंपनियों की चिंताओं के बावजूद यूरोपीय आयोग अपने फैसले पर अडिग है। आयोग के प्रवक्ता थॉमस रेग्नियर ने रॉयटर्स को दिए गए बयान में स्पष्ट कहा कि, 'समय को रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। कोई मोहलत नहीं है। कोई ठहराव नहीं है।' यानी 2 अगस्त से AI अधिनियम का पहला चरण लागू हो जाएगा, भले ही उद्योग में मतभेद क्यों न हों।
क्या होगा आगे?
- मेटा जैसे तकनीकी दिग्गजों द्वारा GPAI कोड को अस्वीकार करना यूरोप में AI नीति निर्माण को लेकर बड़ा संकेत है।
- एक तरफ, जहां नियामक पारदर्शिता और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं,
- वहीं दूसरी ओर, कंपनियां नवाचार की गति को धीमा न करने की वकालत कर रही हैं।
- यदि समाधान नहीं निकला, तो यह संघर्ष यूरोप में AI विकास को प्रभावित कर सकता है।