Transport Strike: महाराष्ट्र में परिवहन सेवाएं एक बार फिर ठप होने की कगार पर हैं। राज्य के प्राइवेट बस और ट्रक ऑपरेटरों ने 1 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। इस आंदोलन का नेतृत्व वहतुकदार बचाओ क्रुति समिति कर रही है, जिसके बैनर तले सैकड़ों ट्रांसपोर्ट यूनियन एकजुट हुए हैं। इस हड़ताल का सीधा असर न केवल यात्री सेवाओं पर पड़ेगा बल्कि मालवाहक गाड़ियों के बंद रहने से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है।
इस विरोध की सबसे बड़ी वजह सरकार द्वारा ई-चालान के जरिये की जा रही जुर्माना वसूली है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि राज्य सरकार ने उनकी अन्य वर्षों पुरानी मांगों को भी अब तक अनदेखा किया है। उन्होंने चेताया है कि अगर 30 जून तक उनकी शिकायतों का हल नहीं निकला, तो 1 जुलाई से महाराष्ट्र की सड़कें निजी बसों और ट्रकों से खाली नजर आएंगी।
ई-चालान वसूली बना मुख्य विवाद
हड़ताल की सबसे बड़ी वजह ई-चालान प्रणाली को लेकर ट्रांसपोर्टरों की नाराजगी है। ऑपरेटरों का कहना है कि पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है। कई बार चालान की राशि हजारों रुपये में होती है, जिससे वाहन मालिकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। ट्रांसपोर्टर्स का आरोप है कि ये चालान ज्यादातर मामलों में पुराने हैं और बिना सुनवाई के सीधे बैंक खाते या आरसी पर ब्लॉकिंग कर दी जाती है।
मुंबई, पुणे, नागपुर, और औरंगाबाद जैसे शहरों में ट्रांसपोर्टर्स को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई वाहन मालिकों का कहना है कि जब वे टैक्स भरने या गाड़ी के कागज अपडेट कराने जाते हैं, तो ई-चालान की पेंडेंसी के कारण प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती।
धरना-प्रदर्शन से लेकर चाबी बंद आंदोलन तक की तैयारी
16 जून से मुंबई के आजाद मैदान में ट्रांसपोर्टर्स का धरना-प्रदर्शन जारी है। हालांकि, बीते हफ्ते महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मंत्री उदय सामंत ने पुलिस और परिवहन अधिकारियों के साथ बैठक बुलाने का भरोसा दिया था, जिसके बाद कुछ समय के लिए आंदोलन को स्थगित कर दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद जब सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला, तो ट्रांसपोर्ट संगठनों ने फिर से आंदोलन को तेज करने की घोषणा कर दी।
मुंबई बस मालक संगठन (MBMS) ने बताया कि अगर सरकार 30 जून तक कोई समाधान नहीं निकालती है, तो 1 जुलाई से पूरे महाराष्ट्र में ‘सभी वाहनों की चाबी बंद’ हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। इस हड़ताल में बस, ट्रक, टेम्पो, और अन्य वाणिज्यिक वाहन शामिल होंगे।
सड़कों पर दिखेगा असर, यात्रियों को होगी परेशानी
हड़ताल का सबसे बड़ा असर आम यात्रियों पर पड़ सकता है, खासतौर पर उन लोगों पर जो हर दिन प्राइवेट बसों से यात्रा करते हैं। मुंबई, पुणे, नासिक जैसे बड़े शहरों में हजारों लोग प्राइवेट बसों के जरिए ऑफिस या स्कूल पहुंचते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में निजी बसें ही मुख्य यातायात का साधन हैं। यदि ये सेवाएं बंद होती हैं, तो यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
मालवाहक ट्रकों के हड़ताल पर जाने से फल, सब्जी, अनाज और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है। इससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
ट्रांसपोर्ट सेक्टर की लंबे समय से चली आ रही प्रमुख मांगें
ट्रांसपोर्ट यूनियन केवल ई-चालान की प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रही है, बल्कि उनकी कई अन्य मांगें भी हैं जो सालों से लंबित हैं। पुणे के ट्रांसपोर्ट नेता बाबा शिंदे के अनुसार, उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- ई-चालान की जबरन वसूली को तुरंत रोका जाए
- पुराने जुर्मानों को माफ किया जाए
- भारी वाहनों के लिए अनिवार्य क्लीनर रखने की शर्त को हटाया जाए
- महानगरों में भारी वाहनों के प्रवेश पर लगे समयबद्ध प्रतिबंधों की समीक्षा की जाए
- खराब सड़कों और अधूरे फ्लाईओवर के कारण लगने वाले ट्रैफिक जाम की जिम्मेदारी तय की जाए
- परिवहन लाइसेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट और टोल टैक्स की दरों में पारदर्शिता लाई जाए
इन सभी मुद्दों पर ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है।
सरकार की चुप्पी से बढ़ा गुस्सा
वहतुकदार बचाओ क्रुति समिति ने बयान में कहा है कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पहले से ही डीजल की कीमतों, बीमा दरों और प्रतिस्पर्धा के चलते दबाव में है। अब ई-चालान और पुलिस की कार्रवाई से यह स्थिति और बिगड़ गई है। संगठन का कहना है कि जब तक सरकार आधिकारिक तौर पर बैठक बुलाकर उनकी बात नहीं सुनती और कोई लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
समिति ने दावा किया है कि इस बार उन्हें अंतरराज्यीय बस ऑपरेटरों, स्कूल बस यूनियनों, पर्यटक वाहन संचालकों, और यहां तक कि माल ढोने वाले छोटे टेम्पो यूनियनों से भी समर्थन मिला है। इसका मतलब यह है कि यदि हड़ताल शुरू होती है, तो असर पूरे राज्य में महसूस किया जाएगा।
सरकारी बैठक का इंतजार
अब सभी की नजरें महाराष्ट्र सरकार पर टिकी हैं। ट्रांसपोर्टर्स की तरफ से अल्टीमेटम दिया जा चुका है कि अगर 30 जून तक कोई हल नहीं निकला, तो 1 जुलाई से सड़कों पर सभी प्राइवेट वाहन बंद हो जाएंगे। इससे पहले मंत्री उदय सामंत ने एक बैठक का संकेत जरूर दिया था, लेकिन अब तक तारीख या एजेंडा तय नहीं किया गया है।
इधर पुलिस विभाग की तरफ से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। न तो ई-चालान की प्रक्रिया की समीक्षा की गई है, और न ही किसी तरह की राहत की घोषणा की गई है। इससे ट्रांसपोर्टर्स के बीच यह संदेश गया है कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है।
कई संगठन एकजुट, आंदोलन का दायरा बढ़ा
पहले जहां आंदोलन केवल मुंबई तक सीमित था, वहीं अब यह महाराष्ट्र के लगभग हर जिले तक फैल चुका है। कोल्हापुर, सोलापुर, नागपुर, नाशिक, औरंगाबाद समेत कई शहरों के ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने समर्थन देने का ऐलान किया है। मुंबई बस मालक संगठन, महाराष्ट्र ट्रक ओनर्स एसोसिएशन, टूर एंड ट्रैवल्स यूनियन, स्कूल बस ऑपरेटर यूनियन जैसे कई संगठन इस विरोध में एकजुट हो चुके हैं।
बयान में कहा गया है कि अगर यह आंदोलन लंबा चला, तो न केवल यातायात सेवाएं प्रभावित होंगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। सामान की ढुलाई, निर्माण सामग्री की आपूर्ति और जरूरी वस्तुओं का वितरण बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।