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मराठा आरक्षण: जरांगे ने दी चेतावनी, कहा- विश्वासघात होने पर चुनावों में सत्तारूढ़ दलों को मिलेगी धूल

मराठा आरक्षण: जरांगे ने दी चेतावनी, कहा- विश्वासघात होने पर चुनावों में सत्तारूढ़ दलों को मिलेगी धूल

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर आरक्षण पर विश्वासघात हुआ, तो सत्तारूढ़ दलों को चुनावों में हार का सामना करना पड़ेगा। आंदोलन जारी रहेगा और मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में शामिल कराया जाएगा।

छत्रपति संभाजीनगर: मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि अगर मराठा समुदाय को आरक्षण के मुद्दे पर किसी प्रकार का विश्वासघात (betrayal) होता है, तो वे आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ दलों को कड़ा संदेश देंगे। मनोज जरांगे ने कहा कि उनका आंदोलन राज्य भर के मराठा समाज के लिए है और इसका लक्ष्य समुदाय के सभी सदस्यों को ओबीसी (OBC) श्रेणी में शामिल कराना है।

मनोज जरांगे पत्रकारों से बातचीत में बोले कि उनकी पांच दिन की भूख हड़ताल (hunger strike) समाप्त होने के बाद उन्हें छत्रपति संभाजीनगर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि कोंकण क्षेत्र के मराठाओं को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है और इसे जल्दी लागू किया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र सरकार का कदम

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को मराठा समुदाय के लिए एक समिति (committee) गठित की थी, जो उन लोगों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र (Kunbi Caste Certificate) जारी करेगी जिनके पास ऐतिहासिक साक्ष्य हैं। इस घोषणा के बाद मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त की। उन्होंने कहा कि अगर हैदराबाद और सातारा के राजपत्र (Gazette Notification) एक महीने में लागू नहीं होते हैं, तो मराठा समुदाय चुनावों में अपनी शक्ति दिखाएगा और सत्तारूढ़ दलों को धूल चटाएगा।

जरांगे ने यह भी कहा कि उनका आंदोलन केवल कोंकण क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य भर के मराठाओं के लिए है। उन्होंने कहा कि यदि आरक्षण का लाभ नहीं मिलता, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

आंदोलन का उद्देश्य

मनोज जरांगे ने बताया कि उनके लिए आंदोलन का लक्ष्य केवल राजनीतिक या व्यक्तिगत नहीं है। उनका मानना है कि कोंकण क्षेत्र के मराठाओं को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण (reservation) का लाभ तुरंत मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को किसी की बात सुनने की बजाय अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर अब कार्रवाई नहीं हुई, तो यह समाज के भविष्य के लिए खतरा बनेगा।

कैबिनेट उप-समिति और ओबीसी लाभ

पत्रकारों ने मनोज जरांगे से कैबिनेट उप-समिति (Cabinet Sub-Committee) के गठन के बारे में सवाल किया। जरांगे ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इससे ओबीसी को फायदा होता है, तो उन्हें खुशी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार ओबीसी के लिए उप-समिति बना रही है, तो उसे दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों और किसानों के लिए भी उप-समितियां बनानी चाहिए, ताकि सभी समाज के वर्गों को लाभ मिल सके।

छगन भुजबल की नाराजगी

मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) का मुद्दा अभी भी विवादित बना हुआ है। महाराष्ट्र के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया और कुनबी जाति प्रमाण पत्र से संबंधित सरकारी आदेश पर नाराजगी जताई। उन्होंने संकेत दिए कि वे इस आदेश को कानूनी चुनौती (legal challenge) देने का विचार कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि मराठा आरक्षण को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस अभी भी जारी है।

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