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नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने दिलाई शपथ

नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने दिलाई शपथ

नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद देश सियासी संकट में फंस गया था। इस दौरान केपी शर्मा ओली समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। अब नेपाल में नया अंतरिम प्रधानमंत्री मिल गया है।

काठमांडू: नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के बीच सुशीला कार्की को देश का नया अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। केपी शर्मा ओली द्वारा प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नेपाल में सियासी संकट उत्पन्न हो गया था। हिंसक विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक तनाव के बीच सभी प्रमुख राजनीतिक दलों तथा युवाओं के ‘Gen-Z’ प्रदर्शनकारी समूह के प्रतिनिधियों के बीच आम सहमति बनाकर सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। 73 वर्ष की सुशीला कार्की अब नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं।

राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव, प्रधान न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि अंतरिम सरकार को छह महीने के भीतर संसदीय चुनाव कराना होगा, ताकि देश में स्थिर लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल की जा सके।

सुशीला कार्की: न्यायपालिका से राजनीति तक का सफर

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ। उन्होंने 1972 में बिराटनगर से स्नातक किया और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1979 में उन्होंने वकालत शुरू की और 1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक अध्यापिका के रूप में भी कार्य किया।

उनकी न्यायिक यात्रा का अहम मोड़ 2009 में आया, जब उन्हें नेपाल सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2010 में वे स्थायी न्यायाधीश बनीं। 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं। हालांकि अप्रैल 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन जनता के समर्थन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के पक्ष में उठी आवाजों के चलते संसद को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इस घटना ने उन्हें एक ऐसी न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया जो राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकीं।

न्यायपालिका में अपनी पहचान बनाने के बाद अब सुशीला कार्की राजनीति में कदम रख चुकी हैं। उन्हें सभी पक्षों का समर्थन मिला है और उनके नेतृत्व में देश में शांति और स्थिरता बहाल करने की उम्मीद जताई जा रही है। नेपाल की जनता और राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उनके अनुभव, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और दृढ़ता देश को एक नई दिशा देने में मदद करेगी।

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